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मेरी गलती की वजह से ब्रैडमेन पूरा नहीं कर सके 100 का औसत: नील हार्वे
70 साल बाद भी नील हार्वे को ये मलाल है कि उनकी वजह से ब्रैडमेन 100 का औसत हासिल नहीं कर सके.
सर डॉन ब्रैडमैन की विदाई के 70 साल बाद भी दुनिया में कोई भी ऐसा बल्लेबाज़ नहीं हुआ जो अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में 100 के औसत के करीब भी पहुंचा हो. डॉन ब्रैडमेन ने ऑस्ट्रेलिया के लिए टेस्ट क्रिकेट में 99.94 के औसत से रन बनाए. अगर वो करियर में चार रन और बना लेते तो वो आज दुनिया के इकलौते ऐसे बल्लेबाज़ होते जिनका अंतराष्ट्रीय स्तर पर बल्लेबाज़ी औसत 100 का होता.
लेकिन उनका ऐसा नहीं कर पाने का मलाल आज भी उनके साथी नील हार्वे को है. वो आज भी इस महान बल्लेबाज के इस विशाल उपलब्धि को हासिल नहीं कर पाने के पीछे खुद को जिम्मेदार मानते हैं.
आइये जानें कैसे 100 का औसत नहीं छू पाए ब्रैडमेन:
दरअसल टेस्ट क्रिकेट की अपनी आखिरी पारी में ब्रैडमेन शून्य के स्कोर पर आउट हो गए और उन्हें आउट करने वाले गेंदबाज़ थे इंग्लैंड के लेग स्पिनर एरिक होलीज.
अपनी आखिरी में उन्हें 100 का औसत हासिल करने के लिए चार रन चाहिए थे लेकिन वो शून्य पर बोल्ड हुए और ये सब यहीं ठहर गया.
ब्रैडमेन के आखिरी मैच से एक मैच पहले क्या हुआ?
दरअसल ऑस्ट्रेलिया के ब्रैडमेन के साथी खिलाड़ी नील हार्वे ब्रैडमेन के साथ उनके आखिरी मैच से एक मैच पहले क्रीज़ पर थे. इस मुकाबले की पहली पारी में हार्वे ने शानदार 112 रन बनाए. दूसरी पारी में ब्रैडमेन क्रीज़ पर थे और एक बल्लेबाज़ के आउट होने पर हार्वे क्रीज़ पर आए. अब ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए चार रनों की दरकार थी.
यहीं पर हार्वे ने एक चौका लगाया और मैच जिता दिया. ब्रैडमेन दूसरे छोर पर खड़े रह गए. उस समय ब्रैडमैन 173 रन बनाकर खेल रहे थे और अगर उस मैच में वो चार ब्रैडमेन बनाते तो उनका औसत 100 का होता लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
इस मैच के बाद ब्रैडमेन ने आखिरी मैच खेला और वो उसमें शून्य पर आउट हुए जिससे की उनका 100 का औसत एक सपना ही रह गया.
कल यानि 8 अक्टूबर को है नील हार्वे का जन्मदिन:
कल हार्वे अपना जन्मदिन मनाएंगे लेकिन उन्हें अब भी वो चार रन झकझोर देते हैं. हाल ही में सिडनी मार्निंग हेराल्ड से बातचीत में हार्वे ने कहा, ‘लीड्स में बनाए गए उन चार रनों से मैं आज भी अपराधबोध से ग्रस्त हो जाता हूं. यह पूरी तरह से मेरी गलती थी, जो ब्रैडमैन टेस्ट क्रिकेट में 100 का औसत हासिल नहीं कर पाए. अगर वे चार रन मेरे बजाय उन्होंने बनाए होते, तो वह यह उपलब्धि हासिल कर लेते.’
हार्वे ने इस दिन के बारे में बताया और कहा,‘मैं क्रीज पर आया. लंकाशायर के गेंदबाज केन क्रैन्सटन ने मेरे लेग स्टंप पर गेंद की और मैंने उसे मिडविकेट पर चार रन के लिए खेल दिया. दर्शक इसे देखकर खुशी से झूमे और मैदान की ओर दौड़ पड़े.
हार्वे ने कहा, 'इसके बाद मुझे अब भी याद है कि ब्रैड जोर से चिल्लाए, ‘चलो बेटे. यहां से निकलो.’
हार्वे ने अब भी बातचीत में कहा कि वो दोष लेने के लिए तैयार हैं लेकिन वो नहीं जानते थे कि वह अपने अंतिम टेस्ट मैच में शून्य पर आउट हो जाएंगे.
हार्वे ने बताया कि 'उस समय आंकड़ों का इतना ज़िक्र नहीं होता था और ना ही टेलीविज़न था. किसी पत्रकार को भी इसका एहसास नहीं रहा होगा. जब वो आउट हो गए तब सबको इस बारे में पता चला. इसके बाद इंग्लैंड 52 रनों पर सिमट गया और उन्हें फिर बल्लेबाज़ी का मौका भी नहीं मिला.'
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