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Shivraj Singh Chouhan Unknown Fatcs: फिलॉसफी में गोल्ड मेडल हैं एमपी के सीएम, 11वीं में ही ये चुनाव लड़कर बन गए थे अध्यक्ष

शिवराज सिंह चौहान

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Shivraj Singh Chouhan Political Career: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) राज्य के नागरिकों को बेहत्तर जीवन देने के लिए हर रोज नई-नई योजनाएं लागू करते है. इसके साथ ही उन्होंने बेटियों के लिए भी कई योजनाएं शुरू की है जिसमें बेटियों को पढ़ाई और शादी में मदद मिलेगी. वहीं बहुत कम लोग जानते हैं कि शिवराज सिंह चौहान ने सीएम बनने के लिए काफी लंबा संघर्ष किया है. उनका छोटे से गांव से निकलकर सीएम बनने तक का सफर बहुत ही रोचक रहा है. आज इस रिपोर्ट में हम आपको उनके इसी सफर के बारे में बताने जा रहे हैं.
Shivraj Singh Chouhan Political Career: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) राज्य के नागरिकों को बेहत्तर जीवन देने के लिए हर रोज नई-नई योजनाएं लागू करते है. इसके साथ ही उन्होंने बेटियों के लिए भी कई योजनाएं शुरू की है जिसमें बेटियों को पढ़ाई और शादी में मदद मिलेगी. वहीं बहुत कम लोग जानते हैं कि शिवराज सिंह चौहान ने सीएम बनने के लिए काफी लंबा संघर्ष किया है. उनका छोटे से गांव से निकलकर सीएम बनने तक का सफर बहुत ही रोचक रहा है. आज इस रिपोर्ट में हम आपको उनके इसी सफर के बारे में बताने जा रहे हैं.
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शिवराज सिंह चौहान का जन्म सीहोर जिले में नर्मदा तट पर बसे एक छोटे से गांव जैत में 5 मार्च 1959 को हुआ था. उनके पिता का नाम प्रेम सिंह चौहान और माता का नाम सुंदर बाई है.
शिवराज सिंह चौहान का जन्म सीहोर जिले में नर्मदा तट पर बसे एक छोटे से गांव जैत में 5 मार्च 1959 को हुआ था. उनके पिता का नाम प्रेम सिंह चौहान और माता का नाम सुंदर बाई है.
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बता दें कि सीएम शिवराज राज्य के बच्चों के बीच मामा के नाम से प्रसिद्ध है. इसके अलावा उनके पांव-पांव वाले भैया के रूप में भी जाना जाता है.पांव-पांव वाले भैया उन्हें इसलिए कहा जाता था क्योंकि जब वो सांसद बने तब कांग्रेस की सरकार थी. इसलिए उन्होंने राज्य में कई पदयात्राएं की थी. यही वजह रही कि वो विदिशा संसदीय क्षेत्र में पांव-पांव वाले भैया के नाम से भी पहचाने जाने लगे. फिर लंबे सफर के बाद 29 नवंबर 2005 को शिवराज पहली बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे.
बता दें कि सीएम शिवराज राज्य के बच्चों के बीच मामा के नाम से प्रसिद्ध है. इसके अलावा उनके पांव-पांव वाले भैया के रूप में भी जाना जाता है.पांव-पांव वाले भैया उन्हें इसलिए कहा जाता था क्योंकि जब वो सांसद बने तब कांग्रेस की सरकार थी. इसलिए उन्होंने राज्य में कई पदयात्राएं की थी. यही वजह रही कि वो विदिशा संसदीय क्षेत्र में पांव-पांव वाले भैया के नाम से भी पहचाने जाने लगे. फिर लंबे सफर के बाद 29 नवंबर 2005 को शिवराज पहली बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे.
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हालांकि शिवराज के राजनीति में कदम रखने से उनके परिवार वाले बिल्कुल खुश नहीं थे बावजूद इसके उन्होंने परिवार के खिलाफ जाकर मजदूरों के हक में अपना पहला आंदोलन किया. ये आंदोलन मजदूरों की मजदूरी बढ़ाने के लिए किए गया था. जो शिवराज सिंह ने जीता था.
हालांकि शिवराज के राजनीति में कदम रखने से उनके परिवार वाले बिल्कुल खुश नहीं थे बावजूद इसके उन्होंने परिवार के खिलाफ जाकर मजदूरों के हक में अपना पहला आंदोलन किया. ये आंदोलन मजदूरों की मजदूरी बढ़ाने के लिए किए गया था. जो शिवराज सिंह ने जीता था.
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राजनीति में कामयबी पाने के बाद शिवराज सिंह चौहान सांसद ने 6 मई 1992 को साधना के साथ शादी के साथ शादी की थी. फिलहाल वो दोनों दो बेटों के मात-पिता है.
राजनीति में कामयबी पाने के बाद शिवराज सिंह चौहान सांसद ने 6 मई 1992 को साधना के साथ शादी के साथ शादी की थी. फिलहाल वो दोनों दो बेटों के मात-पिता है.
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वहीं पढ़ाई की बात करें तो शिवराज ने शुरुआती पढ़ाई गांव में की और इसके बाद वो भोपाल में पढ़ें. यहीं से उनमें राजनीति के प्रति रूचि जागी. तभी उन्होंने 10वीं में स्टूडेंट कैबिनेट के सांस्कृतिक सचिव का चुनाव लड़ा लेकिन उसमें जीत हासिल नहीं कर पाए. इसके ब1 साल बाद उन्होंने 11वीं क्लास में अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा और इसमें जीत हासिल कर वो 1975 में छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए.
वहीं पढ़ाई की बात करें तो शिवराज ने शुरुआती पढ़ाई गांव में की और इसके बाद वो भोपाल में पढ़ें. यहीं से उनमें राजनीति के प्रति रूचि जागी. तभी उन्होंने 10वीं में स्टूडेंट कैबिनेट के सांस्कृतिक सचिव का चुनाव लड़ा लेकिन उसमें जीत हासिल नहीं कर पाए. इसके ब1 साल बाद उन्होंने 11वीं क्लास में अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा और इसमें जीत हासिल कर वो 1975 में छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए.
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फिर शिवराज पीछे नहीं हटे और 13 साल की छोटी सी उम्र वो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) से जुड़ गए. तब उन्होंने सरकार में लगाए गए आपातकाल का विरोध किया था. शिवराज इस दौरान 1976-77 के बीच जेल भी गए थे. इसके साथ ही आपको ये भी बता दें कि सीएम शिवराज ने भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के हमीदिया कॉलेज से दर्शनशास्त्र से पोस्ट ग्रेजुएशन किया और वो एक गोल्ड मेडलिस्ट स्टूडेंट रहे हैं.
फिर शिवराज पीछे नहीं हटे और 13 साल की छोटी सी उम्र वो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) से जुड़ गए. तब उन्होंने सरकार में लगाए गए आपातकाल का विरोध किया था. शिवराज इस दौरान 1976-77 के बीच जेल भी गए थे. इसके साथ ही आपको ये भी बता दें कि सीएम शिवराज ने भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के हमीदिया कॉलेज से दर्शनशास्त्र से पोस्ट ग्रेजुएशन किया और वो एक गोल्ड मेडलिस्ट स्टूडेंट रहे हैं.
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बता दें कि सीएम बनने से पहले शिवराज सिंह चौहान पांच बार सांसद भी रह चुके हैं. पहली बार वो अटल बिहारी वाजपेयी के विदिशा सीट छोड़ने पर 10वीं लोकसभा के लिए में सांसद बने थे. फिर 11वीं लोकसभा में वो यहीं से दोबारा सांसद बने. इसके बाद 12वीं लोकसभा के लिए तीसरी बार भी वो विदिशा से ही सांसद बने और  1999 में 13वीं लोकसभा के लिए चौथी बार और 15वीं लोकसभा के लिए विदिशा से ही पांचवीं बार सांसद चुने गए.
बता दें कि सीएम बनने से पहले शिवराज सिंह चौहान पांच बार सांसद भी रह चुके हैं. पहली बार वो अटल बिहारी वाजपेयी के विदिशा सीट छोड़ने पर 10वीं लोकसभा के लिए में सांसद बने थे. फिर 11वीं लोकसभा में वो यहीं से दोबारा सांसद बने. इसके बाद 12वीं लोकसभा के लिए तीसरी बार भी वो विदिशा से ही सांसद बने और 1999 में 13वीं लोकसभा के लिए चौथी बार और 15वीं लोकसभा के लिए विदिशा से ही पांचवीं बार सांसद चुने गए.
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बताते चलें कि पांच बार सांसद बनने के बाद साल 2005 में वो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बने. फिर उनकी किस्मत पलटी और 29 नवंबर 2005 को जब बाबूलाल गौर ने अपने पद से इस्तीफा दिया तो शिवराज सिंह चौहान राज्य के मुख्यमंत्री बने. इसी के साथ उन्होंने सीएम के तौर पर अब तक सबसे लंबे वक्त तक रहने का रिकॉर्ड भी
बताते चलें कि पांच बार सांसद बनने के बाद साल 2005 में वो बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बने. फिर उनकी किस्मत पलटी और 29 नवंबर 2005 को जब बाबूलाल गौर ने अपने पद से इस्तीफा दिया तो शिवराज सिंह चौहान राज्य के मुख्यमंत्री बने. इसी के साथ उन्होंने सीएम के तौर पर अब तक सबसे लंबे वक्त तक रहने का रिकॉर्ड भी

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