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जम्मू-कश्मीर: किश्तवाड़ के वारवान और मारवाह घाटियों में 4 फीट बर्फबारी, लोग घरों के अंदर रहने को मजबूर
Jammu Kashmir Snowfall: कोकरनाग-वारवान रूट पर 14,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित मार्गन टॉप पहले से ही 3 फीट बर्फ से ढका हुआ था, लेकिन पिछले 48 घंटों में 7 फीट और ताजा बर्फबारी हुई है.
(किश्तवाड़ के वारवान और मारवाह घाटियों में 4 फीट से अधिक बर्फबारी, फाइल फोटो)
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Kishtwar Snowfall News: जम्मू-कश्मीर में बहुप्रतीक्षित बर्फबारी ने अधिकांश लोगों के चेहरे पर खुशी ला दी है, लेकिन किश्तवाड़ जिले के वारवान और मारवाह तहसीलों के लोगों के लिए भारी बर्फबारी ने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं. कश्मीर से एकमात्र सड़क संपर्क बंद होने के कारण यह सुदूरवर्ती इलाका पहले से ही अलग-थलग पड़ा हुआ है. (फाइल फोटो)
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वारवान और मारवाह की जुड़वां घाटियों में चार फीट से अधिक ताजा बर्फबारी हुई है, जिससे लोग घरों के अंदर ही रहने को मजबूर हैं. लेकिन लोगों को दिन-रात काम करना पड़ रहा है, क्योंकि उन्हें इमारतों के ढहने से बचाने के लिए अपनी छतों से लगातार बर्फ हटानी पड़ रही है.
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कोकरनाग-वारवान मार्ग पर 14,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित मार्गन टॉप पहले से ही तीन फीट बर्फ से ढका हुआ था, लेकिन पिछले 48 घंटों में 7 फीट और ताजा बर्फबारी हुई है, जिससे सड़क साफ करने का काम और भी मुश्किल हो गया है.(फाइल फोटो)
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मार्गन टॉप पर दस फीट से अधिक बर्फ जमने के कारण यह क्षेत्र पूरी तरह से कटा हुआ है, जिससे 40 हजार निवासियों को न्यूनतम संसाधनों और अपर्याप्त बुनियादी ढांचे के साथ कठोर सर्दी झेलनी पड़ रही है. वारवान में चार फीट और मारवा में तीन फीट बर्फ जमी है.(फाइल फोटो)
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मारवाह निवासी ने कहा कि इस सर्दी में अब तक बर्फबारी अपेक्षाकृत कम हुई है. उन्होंने बताया कि आमतौर पर कुछ परिवार भीषण सर्दी से बचने के लिए अनंतनाग चले जाते हैं, लेकिन कम बर्फबारी के कारण ज्यादातर लोग इस बार वहां नहीं गए. लेकिन अब भारी बर्फबारी के कारण हमें महीनों तक एकांतवास में रहना पड़ रहा है.(फाइल फोटो)
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2007 में खोला गया 100 किलोमीटर लंबा माटी गौरान-मार्गन टॉप-वारवान मार्ग घाटियों को अनंतनाग जिले के कोकरनाग क्षेत्र से जोड़ने वाला एकमात्र रूट बना हुआ है. हालांकि, यह हर साल कम से कम छह महीने तक बर्फ से ढका रहता है. मार्गन टॉप पर 15 फीट से अधिक बर्फ जमा हो जाती है, जिससे घाटियां प्रभावी रूप से बाकी हिस्सों से कट जाती हैं.(फाइल फोटो)
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सर्दियों के दौरान वारवान और मारवाह में स्वास्थ्य सुविधाएं लगभग न के बराबर होती हैं और सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) में अक्सर डॉक्टर नहीं रहते हैं, जिससे मरीजों खास तौर पर गर्भवती महिलाओं को काफी जोखिम उठाना पड़ता है. लोगों का कहना है कि आपात स्थिति में जब सड़क बंद हो जाती है, तो मरीज़ों को कभी-कभी किश्तवाड़ या कश्मीर ले जाया जाता है.(फाइल फोटो)
Published at : 02 Mar 2025 04:49 PM (IST)
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