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Ram Navami 2023: देश के इस प्रसिद्ध वाटरफॉल में है महादेव का धाम, वनवास के दौरान रुके थे भगवान राम

Ram Navami 2023 Date: इस ऐतिहासिक मंदिर में शिवरात्री और रामनवमी के दौरान भव्य मेले का आयोजन होता है. यहां भगवान राम के वनवास से जुड़ी कई कहानी भी प्रदर्शित है.

Ram Navami 2023 Date: इस ऐतिहासिक मंदिर में शिवरात्री और रामनवमी के दौरान भव्य मेले का आयोजन होता है. यहां भगवान राम के वनवास से जुड़ी कई कहानी भी प्रदर्शित है.

(छत्तीसगढ़ का चित्रकोट वाटरफॉल)

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पूरे देश में चैत्र नवरात्रि की धूम मची हुई है और लोगों को रामनवमी का बेसब्री से इंतजार है. इस साल रामनवमी का त्योहार धूमधाम से मनाने के लिए सभी तैयारियों में जुटे हुए हैं. छत्तीसगढ़ में भी भूपेश बघेल सरकार ने भगवान राम के वनवास के दौरान जिन जगहों पर प्रभु श्री राम के पैर पड़े थे, उन सभी जगहों को रामवनगमन पथ से जोड़ा है.
पूरे देश में चैत्र नवरात्रि की धूम मची हुई है और लोगों को रामनवमी का बेसब्री से इंतजार है. इस साल रामनवमी का त्योहार धूमधाम से मनाने के लिए सभी तैयारियों में जुटे हुए हैं. छत्तीसगढ़ में भी भूपेश बघेल सरकार ने भगवान राम के वनवास के दौरान जिन जगहों पर प्रभु श्री राम के पैर पड़े थे, उन सभी जगहों को रामवनगमन पथ से जोड़ा है.
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इन्हीं प्रसिद्ध जगहों में से एक है देश में मिनी नियाग्रा के नाम से मशहूर और छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध चित्रकोट जलप्रपात. इस प्रसिद्ध चित्रकोट वाटरफॉल से श्री राम का इतिहास जुड़ा हुआ है. अपने 14 वर्ष के वनवास के दौरान भगवान राम कांकेर से होते हुए चित्रकोट वाटरफॉल पहुंचे और यहां भगवान शिव की आराधना कर शिवलिंग की स्थापना की थी. यह ऐतिहासिक मंदिर आज भी चित्रकोट में मौजूद है, जहां शिवरात्रि और रामनवमी के दौरान मेला लगता है.
इन्हीं प्रसिद्ध जगहों में से एक है देश में मिनी नियाग्रा के नाम से मशहूर और छत्तीसगढ़ का प्रसिद्ध चित्रकोट जलप्रपात. इस प्रसिद्ध चित्रकोट वाटरफॉल से श्री राम का इतिहास जुड़ा हुआ है. अपने 14 वर्ष के वनवास के दौरान भगवान राम कांकेर से होते हुए चित्रकोट वाटरफॉल पहुंचे और यहां भगवान शिव की आराधना कर शिवलिंग की स्थापना की थी. यह ऐतिहासिक मंदिर आज भी चित्रकोट में मौजूद है, जहां शिवरात्रि और रामनवमी के दौरान मेला लगता है.
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छत्तीसगढ़ का दंडकारण्य क्षेत्र कहे जाने वाले बस्तर से भगवान राम के वनवास की कहानी जुड़ी हुई है. पौराणिक कथाओं के अनुसार वनवास के दौरान भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता बस्तर के रास्ते से गुजरते हुए दक्षिण भारत के भद्राचलम पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने बस्तर के चित्रकोट, तीरथगढ़ वाटरफॉल में समय भी गुजारा था और आज भी इन जगहों में भगवान राम के आने के प्रमाण मिलते हैं.
छत्तीसगढ़ का दंडकारण्य क्षेत्र कहे जाने वाले बस्तर से भगवान राम के वनवास की कहानी जुड़ी हुई है. पौराणिक कथाओं के अनुसार वनवास के दौरान भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता बस्तर के रास्ते से गुजरते हुए दक्षिण भारत के भद्राचलम पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने बस्तर के चित्रकोट, तीरथगढ़ वाटरफॉल में समय भी गुजारा था और आज भी इन जगहों में भगवान राम के आने के प्रमाण मिलते हैं.
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चित्रकोट वाटरफॉल में भगवान राम द्वारा स्थापित शिव लिंग में अब ऐतिहासिक मंदिर भी स्थापित किया जा चुका है, जिसका कुछ साल पहले ही जीर्णोद्धार किया गया. इस मंदिर के शिलालेख में भगवान राम के वनवास से जुड़ी कहानी भी प्रदर्शित है. इतिहासकार सुभाष पांडे बताते हैं कि वनवास के दौरान भगवान राम अपने वनवास के चौथे चरण में बस्तर के दंडकारण्य पहुंचे थे.
चित्रकोट वाटरफॉल में भगवान राम द्वारा स्थापित शिव लिंग में अब ऐतिहासिक मंदिर भी स्थापित किया जा चुका है, जिसका कुछ साल पहले ही जीर्णोद्धार किया गया. इस मंदिर के शिलालेख में भगवान राम के वनवास से जुड़ी कहानी भी प्रदर्शित है. इतिहासकार सुभाष पांडे बताते हैं कि वनवास के दौरान भगवान राम अपने वनवास के चौथे चरण में बस्तर के दंडकारण्य पहुंचे थे.
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भगवान राम धमतरी से कांकेर, कांकेर से रामपुर, जुनवानी, केशकाल घाटी शिव मंदिर, राकसहाड़ा, नारायणपुर, चित्रकोट वाटरफॉल शिव मंदिर, तीरथगढ़ वाटरफॉल, सीताकुंड, कोटी माहेश्वरी, कुटुमसर गुफा  और उड़ीसा के मलकानगिरी गुप्तेश्वर और सुकमा जिले के रामा राम मंदिर, समेत कोंटा से होकर दक्षिण भारत के लिए प्रस्थान किये थे.
भगवान राम धमतरी से कांकेर, कांकेर से रामपुर, जुनवानी, केशकाल घाटी शिव मंदिर, राकसहाड़ा, नारायणपुर, चित्रकोट वाटरफॉल शिव मंदिर, तीरथगढ़ वाटरफॉल, सीताकुंड, कोटी माहेश्वरी, कुटुमसर गुफा और उड़ीसा के मलकानगिरी गुप्तेश्वर और सुकमा जिले के रामा राम मंदिर, समेत कोंटा से होकर दक्षिण भारत के लिए प्रस्थान किये थे.
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शोधकर्ता विजय भारत ने बताया कि भगवान राम ने अपने 14 साल के वनवास के दौरान दंडकारण्य में ही अपना ज्यादा समय बिताए थे. भगवान राम ने वनवास के दूसरे पड़ाव में अत्रि ऋषि के आश्रम में कुछ दिन रुकने के बाद मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के घने जंगलों को अपना आश्रय बनाया.
शोधकर्ता विजय भारत ने बताया कि भगवान राम ने अपने 14 साल के वनवास के दौरान दंडकारण्य में ही अपना ज्यादा समय बिताए थे. भगवान राम ने वनवास के दूसरे पड़ाव में अत्रि ऋषि के आश्रम में कुछ दिन रुकने के बाद मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के घने जंगलों को अपना आश्रय बनाया.
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यह काफी घनघोर जंगल क्षेत्र था, दंडकारण्य से होते हुए भगवान राम, लक्ष्मण और सीता माता बस्तर के चित्रकोट जलप्रपात पहुंचे. यहां ऋषि मुनियों के आश्रम में भगवान राम, सीता माता और लक्ष्मण ने अपना कुछ समय बिताया. इस दौरान यहां एक शिवलिंग की भी स्थापना की गई थी, जहां अब एक भव्य मंदिर बन गया.
यह काफी घनघोर जंगल क्षेत्र था, दंडकारण्य से होते हुए भगवान राम, लक्ष्मण और सीता माता बस्तर के चित्रकोट जलप्रपात पहुंचे. यहां ऋषि मुनियों के आश्रम में भगवान राम, सीता माता और लक्ष्मण ने अपना कुछ समय बिताया. इस दौरान यहां एक शिवलिंग की भी स्थापना की गई थी, जहां अब एक भव्य मंदिर बन गया.
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यहां हर साल शिवरात्रि और रामनवमी के मौके पर मेला भी लगता है, जिसमें दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं. वहीं इस चित्रकोट को रामवनगमन पथ में शामिल करते हुए चित्रकोट वाटरफॉल को पर्यटन स्थल के रूप में और भव्य रूप से विकसित किया जा रहा है. यहां पर भगवान राम की विशाल प्रतिमा स्थापित करने पर भी विचार किया जा रहा है.
यहां हर साल शिवरात्रि और रामनवमी के मौके पर मेला भी लगता है, जिसमें दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं. वहीं इस चित्रकोट को रामवनगमन पथ में शामिल करते हुए चित्रकोट वाटरफॉल को पर्यटन स्थल के रूप में और भव्य रूप से विकसित किया जा रहा है. यहां पर भगवान राम की विशाल प्रतिमा स्थापित करने पर भी विचार किया जा रहा है.

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