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टेक ऑफ से पहले हवाई जहाज में रिलीज किया जाता है प्रेशर, क्या होता है इसका काम
अगर विमान में केबिन प्रेशर को नियंत्रित न किया जाए तो ऑक्सीजन की कमी के कारण यात्रियों को कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं. सांस लेने में तकलीफ के साथ यात्रियों की सूंघने की शक्ति घट जाती है.
आपने कभी न कभी हवाई जहाज की यात्रा तो की ही होगी. हवाई जहाज की यात्रा रोमांचकारी तो होती है, साथ ही इससे हमारा बहुत सा समय भी बचता है. हालांकि, हवाई जहाज में सफर करते वक्त बहुत सी बातों का ध्यान रखा जाता है.
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आपने ध्यान दिया होगा कि जब भी विमान टेक-ऑफ करने वाला होता है, या फिर हवा में होता है तो केबिन प्रेशर रिलीज किया जाता है. क्या आपने कभी सोचा है कि यह क्या होता है और इसे क्यों रिलीज किया जाता है.
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इसके पीछे विज्ञान का एक छोटा सा सिद्धांत है. आपने फिजिक्स की किताबों में यह तो पढ़ा ही होगा कि हम जितनी ऊंचाई पर जाएंगी वायुमंडलीय दाब उतना ही कम हो जाएगा. दरअसल, ज्यादा ऊंचाई पर गैस काफी हल्की हो जाती हैं और ऑक्सीजन कम होने लगती है.
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केबिन प्रेशर का काम इसी जगह होता है. दरअसल, जब विमान हवा में होता है तो विमान के अंदर का वायुमंडलीय दाब अधिक हो जाता है और बाहर का दाब अधिक हो जाता है. इसे नियंत्रित करने के लिए केबिन प्रेशर रिलीज किया जाता है.
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केबिन प्रेशर रिलीज करते समय यह ध्यान रखा जाता है कि विमान के अंदर और बाहर का वायुमंडलीय दाब लगभग समान ही रहे. ऐसा न करने पर विमान में सफर करने वाले यात्रियों को कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं.
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अगर विमान में केबिन प्रेशर को नियंत्रित न किया जाए तो ऑक्सीजन की कमी के कारण यात्रियों को कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं. सांस लेने में तकलीफ के साथ यात्रियों की सूंघने की शक्ति घट जाती है.
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यहां तक कि खून में नाइट्रोजन की मात्रा अधिक होने की वजह से नाक-कान से खून तक आने लग जाता है. अगर इसे नियंत्रित न किया जाए तो जोड़ों में दर्द या इंसान लकवा ग्रस्त भी हो सकता है और उसकी मोत भी हो सकती है.
Published at : 18 May 2025 07:08 PM (IST)
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