एक्सप्लोरर

USAID, 76 साल पुरानी वो कहानी, जिसे शुरू नेहरू ने किया और खत्म PM मोदी ने!

अमेरिका ने अपने दोस्तों की संख्या बढ़ाने के लिए इन देशों की मदद कर रहा था ताकि कुछ कमाई हो और जरूरत पड़ने पर वह इन देशों का इस्तेमाल अपने दुश्मनों और खास तौर से रूस के खिलाफ कर सके.

एक कहानी जो तकरीबन 76 साल पहले शुरू हुई थी, वो अब खत्म हो गई है. इस कहानी के शुरुआती किरदार रहे हैं अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन और भारतीय प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू. इस कहानी को खत्म करने वाले किरदार बने हैं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बहुत अच्छी दोस्ती के बाद भी इसका पटाक्षेप कर दिया है और जिसका नतीजा ये है कि भारत को बड़ा नुकसान हो गया है.

तो आखिर क्या है ये कहानी यूसैड की, क्यों नाटो में शामिल न होने के बाद भी पंडित नेहरू ने अमेरिकी मदद स्वीकार की थी, अब क्यों उस मदद के खत्म होने पर भारत की सियासत में इतना बड़ा हंगामा मचा हुआ है और आखिर क्यों ट्रंप ने न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए ही यूसैड को बंद करके उसके सभी 16 हजार कर्मचारियों-अधिकारियों को भी नौकरी से बर्खास्त कर दिया है, आज बताएंगे विस्तार से.

इस कहानी की शुरुआत हुई थी 1951 से. तब भारत को आजाद हुए महज चार साल हो रहे थे. अंग्रेजी शासन में लुटा-पिटा, बंटवारे का दंश झेलता देश अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश कर रहा था, लेकिन हर मुमकिन कोशिश के बाद भी उस वक्त देश के सभी नागरिकों की भूख मिटाना एक बड़ी चुनौती थी. ऐसे वक्त में प्रधानमंत्री नेहरू और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन के बीच समझौता हुआ. अमेरिका ने कहा कि वो भारत की मदद करेगा ताकि वहां अकाल न पड़े, कोई भूख से न मरे. इसके लिए हैरी ट्रूमैन ने एक कानून बनाया, जिसे नाम दिया गया India Emergency Food Assistance Act 1951.  इस कानून की वजह से अमेरिका ने करीब 2 मिलियन टन अनाज भारत में भेजा ताकि 1950 में आई बाढ़ और फिर अकाल से प्रभावित लोगों को खाना खिलाया जा सके.

ये बात सिर्फ भारत की नहीं थी. दूसरा विश्वयुद्ध जीतने के बाद अमेरिका महाशक्ति बन चुका था और वो भले ही अपने फायदे के लिए ही सही, लेकिन दुनिया के तमाम देशों की अलग-अलग तरह से मदद कर रहा था. फायदे की बात सिर्फ इतनी थी कि अमेरिका का धुर विरोधी सोवियत संघ भी पैसे से दूसरे देशों की मदद कर रहा था ताकि वो उन देशों पर अपना प्रभाव जमा सके. सोवियत संघ के प्रभाव को कम करने के लिए अमेरिका ने अपने तईं मदद की पेशकश की. ऐसे में दूसरे देशों की मदद के लिए अमेरिका में एक नई संस्था बनाई गई, जिसके तहत तमाम देशों की मदद की जाएगी और एक जगह उनका रिकॉर्ड रहेगा.

इसी संस्था का नाम है USAID, यानी कि यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट. तब अमेरिका के राष्ट्रपति हुआ करते थे जॉन एफ कैनेडी. संस्था का मकसद था-
# दुनिया के तमाम देशों को किसी आपदा के वक्त राहत पहुंचाना
# गरीबी से मुक्ति दिलाना
# जलवायु परिवर्तन के साथ ही किसी दूसरी तकनीकी जरूरत को पूरा करना
# अमेरिकी हितों की रक्षा करना, जिसमें द्विपक्षीय व्यापार शामिल हो
# सामाजिक-आर्थिक विकास करना.

तब भी उस वक्त भारत को सबसे ज्यादा जरूरत अनाज की थी, क्योंकि तब तक देश में हरित क्रांति नहीं हुई थी और भारत अपनी जरूरत भर का अनाज भी नहीं उगा पाता था. तब अमेरिका भारत की मदद करता था. ये मदद कितनी बड़ी थी इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अमेरिका विदेशी सहायता के लिए रखे गए अपने कुल फंड का 92 फीसदी हिस्सा सिर्फ खाने की मदद के लिए खर्च करता था. 70 के दशक में अमेरिका ने भारत के लिए और भी दूसरी जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसे दिए. गांवों में बिजली लाने के लिए, उर्वरकों का प्रसार करने के लिए, मलेरिया की रोकथाम के लिए, स्वास्थ्य और जनसंख्या नियंत्रण के लिए. और भी तमाम योजनाओं के लिए अमेरिका मदद करता रहा.

फिर 80 के दशक में अमेरिका ने अपना प्लान बदला, भारत ने भी प्लान बदला और तय हुआ कि अमेरिका जो पैसे देगा, उससे भारत अपना तकनीकी विस्तार करेगा. तो अमेरिका से मिले पैसे से खेती की तकनीक उन्नत करने पर रिसर्च हुआ, वैकल्पिक ऊर्जा के स्रोत पर बात हुई, बायोमेडिकल रिसर्च, वॉटर रिसोर्स मैनेजमेंट और परिवार नियोजन को भी अमेरिका के यूसैड के जरिए मिले पैसे से विस्तार दिया गया. यूसैड की ही आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक साल 1992 से साल 2002 तक अमेरिका ने भारत को यूसैड के जरिए जितना फंड दिया, उसका करीब 65 फीसदी हिस्सा अनाज का ही था.अगर संक्षेप में समझने की कोशिश करें कि यूसैड ने भारत की क्या मदद की तो इसका जवाब मिलेगा कि

# विश्व स्तरीय रिसर्च क्षमता के साथ भारत में 8 कृषि विश्वविद्यालय बनाए गए.
# भारत में पहली आईआईटी की स्थापना हुई और 14 स्थानीय इंजीनियरिंग कॉलेज बनाए गए.
# स्टॉक एक्सेंज की प्रशासनिक व्यवस्था को दुरुस्त करने और कीमतों की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कैपिटल मार्केट डेवलपमेंट की मदद की.
# पानी की सप्लाई के लिए पहला म्यूनिसिपल बॉन्ड लॉन्च करवाया गया और सफाई का ढ़ांचा विकसित किया गया.
# भारत में ग्रीन बिल्डिंग मूवमेंट की शुरुआत हुई.
# प्रतिरोधक क्षमता, परिवार नियोजन, मां-बच्चे का स्वास्थ्य, एड्स, टीबी और पोलियो के लिए चलाए जा रहे राष्ट्रीय कार्यक्रमों को और मजबूत किया गया.

जैसा कि हमने पहले भी बताया कि अमेरिका ने ये मदद कभी इसलिए नहीं की कि वो भारत का या फिर दुनिया के किसी और मुल्क का भला चाहता था. बल्कि अमेरिका मदद ही इसलिए कर रहा था ताकि उसके दोस्तों की संख्या बढ़े, अमेरिका अपने दोस्तों से इसके बदले कुछ कमाई भी करे और जरूरत पड़ने पर इन सभी दोस्तों का इस्तेमाल अपने दुश्मनों और खास तौर से रूस के खिलाफ कर सके. तो अमेरिका जब भारत की मदद कर रहा था यूसैड के जरिए तो उस मदद के साथ-साथ वो कुछ शर्तें भी लादता जा रहा था. आजादी के बाद शुरुआती दिनों में आर्थिक तौर पर कमजोर भारत को उन शर्तों को मानना मजबूरी भी था.

उदाहरण के तौर पर 1965 में अमेरिका ने भारत को करीब 67 मिलियन डॉलर यूसैड के जरिए दिए, लेकिन ये आर्थिक मदद न होकर लोन था. इसमें शर्त थी कि इस पैसे का इस्तेमाल तब के मद्रास और अब की चेन्नई में एक फर्टिलाइजर फैक्ट्री बनाने के लिए किया जाएगा. यहां तक तो ठीक था, लेकिन अमेरिका ने और भी शर्त रखी कि इस फैक्ट्री का संचालन एक अमेरिकी कंपनी ही करेगी और साथ ही इस पूरे इलाके में और कोई दूसरी फर्टिलाइजर फैक्ट्री नहीं बनाई जाएगी..

साल 2004 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में  भारत सरकार ने तय किया कि अगर अमेरिका अपनी शर्तों के साथ यूसैड के जरिए भारत की मदद की पेशकश करता है, तो भारत उस मदद को स्वीकार नहीं करेगा. ये वही साल था, जब सूनामी की वजह से भारत में तबाही मची थी, लेकिन भारत ने सशर्त मदद से इनकार कर दिया.  नतीजा ये हुआ कि अमेरिका ने मदद करनी कम कर दी और वो लगातार भारत पर खर्च होने वाली रकम में कटौती करता गया. एक उदाहरण के तौर पर देखें तो साल 2001 में यही अमेरिका भारत को यूसैड के जरिए 208 मिलियन डॉलर की रकम देता था, जो साल 2024 में घटकर 141 मिलियन डॉलर हो गई है.  

अब साल 2025 में तो अमेरिका कोई भी मदद करने को तैयार ही नहीं है. क्योंकि अब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हैं. 2017 वाले डोनाल्ड ट्रंप और 2025 वाले डोनाल्ड ट्रंप में जजमीन-आसमान का अंतर है, क्योंकि 2025 में ट्रंप भले ही राष्ट्रपति हैं, लेकिन ट्रंप के अधिकांश फैसले लेने वाले टेस्ला के मालिक एलन मस्क हैं, जो विशुद्ध कारोबारी हैं और जिन्हें सिर्फ और सिर्फ अपना फायदा दिखता है. तो एलन मस्क ने इस यूसैड के अस्तित्व पर ही सवाल उठा दिया कि इसकी जरूरत ही क्या है. ट्रंप ने भी मान लिया कि इसकी जरूरत ही क्या है और आखिरकार ट्रंप ने इस यूसैड को ही बंद करके इसके 16 हजार कर्मचारियों-अधिकारियों को बेरोजगार कर उन्हें उनके घर का रास्ता दिखा दिया है.

रही बात कि इस यूसैड को बंद करके अमेरिका ने कितने पैसे बचाए हैं तो अमेरिकी सरकार का आंकड़ा बताता है कि उसने साल 2023 में विदेशी मदद के तौर पर करीब 68 बिलियन डॉलर रुपये खर्च किए हैं, जिसमें से यूसैड के जरिए करीब 40 बिलियन डॉलर खर्च किए गए हैं. अगर अमेरिका के बजट के हिसाब से देखें और अमेरिका का एक साल का पूरा खर्च देखें तो यूसैड पर हुआ खर्च कुल खर्च का करीब 0.6 फीसदी है. 2024 में ये खर्च और भी कम है. 2024 में अमेरिका ने यूसैड के जरिए करीब 44.20 बिलियन डॉलर खर्च किए हैं जो साल 2024 में हुए कुल अमेरिकी खर्च का महज 0.4 फीसदी ही है.

अब जाहिर है कि यूसैड ही बंद हो गया तो भारत को मिलने वाली रकम भी बंद हो गई, लेकिन भारत में असली बवाल मचा है उस पैसे पर जो पिछले साल अमेरिका ने यूसैड के जरिए भारत को दिए हैं, जो करीब 21 मिलियन डॉलर है. अब इस रकम को बंद करते हुए ट्रंप ने कहा कि भारत खुद पैसे वाला देश है तो उसे वॉटर टर्न आउट बढ़ाने के लिए 21 मिलियन डॉलर क्यों ही दिए जाएं. ट्रंप के इस बयान के बाद सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस दोनों एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. बीजेपी का दावा है कि पैसा कांग्रेस को मिला, कांग्रेस का दावा है कि पैसा बीजेपी को मिला.

ट्रंप का दावा है कि पैसा भारत को दिया गया. अब इस पैसे की हकीकत चाहे जो हो, लेकिन अभी की हकीकत ये है कि डोनाल्ड ट्रंप के एक फैसले से न सिर्फ दुनिया भर के देशों को मिलने वाली अमेरिकी मदद खत्म हो गई है, बल्कि अमेरिका में भी करीब 16 हजार लोग बेरोजगार हो गए हैं. बाकी रही बात भारत के नुकसान की तो आंकड़ा बताता है कि पिछले चार साल में भारत को करीब 65 करोड़ डॉलर की मदद मिली है, जिसमें सबसे ज्यादा मदद साल 2022 में 22.82 करोड़ डॉलर की रही है.

उपलब्ध आंकड़ा साल 2001 से है तो 2001 से अब तक भारत को करीब 2.86 बिलियन डॉलर की मदद मिल चुकी है. अब फैसला ट्रंप का है तो इतना नुकसान तो भारत का तय ही है.  बाकी जब जांच एजेंसियां ये जांच करके बता देंगी कि वो 21 मिलियन डॉलर अमेरिका ने किसको दिए हैं और उससे फायदा किसको हुआ है.

 

यह भी पढ़ें:-
भारत के किसी काम का नहीं है USA का F-35 फाइटर प्लेन! क्यों है घाटे का सौदा, जानें 5 कारण

और पढ़ें
Sponsored Links by Taboola

टॉप हेडलाइंस

Indian vs Gibraltar Currency: अमेरिका, कनाडा या खाड़ी नहीं, जिब्राल्टर बना देगा आपको करोड़पति, करेंसी की वैल्यू भारत से बहुत आगे
अमेरिका, कनाडा या खाड़ी नहीं, जिब्राल्टर बना देगा आपको करोड़पति, करेंसी की वैल्यू भारत से बहुत आगे
'कुछ लोग मानसिक संतुलन खो बैठे हैं', ऑपरेशन सिंदूर को लेकर CM देवेंद्र फडणवीस ने पूर्व मुख्यमंत्री को घेरा
'कुछ लोग मानसिक संतुलन खो बैठे हैं', ऑपरेशन सिंदूर को लेकर CM देवेंद्र फडणवीस ने पूर्व मुख्यमंत्री को घेरा
Durlabh Prasad Ki Dusri Shadi Review: संजय मिश्रा और महिमा चौधरी की ये फिल्म एंटरटेनमेंट के साथ साथ जरूरी मैसेज भी देती है
दुर्लभ प्रसाद की दूसरी शादी रिव्यू: संजय मिश्रा और महिमा चौधरी की ये फिल्म एंटरटेनमेंट के साथ साथ जरूरी मैसेज भी देती है
बीमारी ने बिगाड़ी युजवेंद्र चहल की हालत, इस वजह से क्रिकेट करियर पर लगा ब्रेक!
बीमारी ने बिगाड़ी युजवेंद्र चहल की हालत, इस वजह से क्रिकेट करियर पर लगा ब्रेक!

वीडियोज

Bangladesh Breaking: Sheikh Hasina के विरोधी नेता Hadi की मौत पर उग्र हुई भीड़ | Shekh Hasina
किराया मांगने पर...सजा-ए-मौत
Bollywood News:बॉलीवुड गलियारों की बड़ी खबरे | KFH
अभद्र टिप्पणी से मचा तूफान, Syed Imtiaz Jaleel बोले– 'हाथ तोड़ देंगे' | Nitish Hizab Controversy
Mangal Lakshmi:Adit और Kusum निकले Georgia की गलियों में सैर के लिए #sbs

फोटो गैलरी

Petrol Price Today
₹ 94.72 / litre
New Delhi
Diesel Price Today
₹ 87.62 / litre
New Delhi

Source: IOCL

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Indian vs Gibraltar Currency: अमेरिका, कनाडा या खाड़ी नहीं, जिब्राल्टर बना देगा आपको करोड़पति, करेंसी की वैल्यू भारत से बहुत आगे
अमेरिका, कनाडा या खाड़ी नहीं, जिब्राल्टर बना देगा आपको करोड़पति, करेंसी की वैल्यू भारत से बहुत आगे
'कुछ लोग मानसिक संतुलन खो बैठे हैं', ऑपरेशन सिंदूर को लेकर CM देवेंद्र फडणवीस ने पूर्व मुख्यमंत्री को घेरा
'कुछ लोग मानसिक संतुलन खो बैठे हैं', ऑपरेशन सिंदूर को लेकर CM देवेंद्र फडणवीस ने पूर्व मुख्यमंत्री को घेरा
Durlabh Prasad Ki Dusri Shadi Review: संजय मिश्रा और महिमा चौधरी की ये फिल्म एंटरटेनमेंट के साथ साथ जरूरी मैसेज भी देती है
दुर्लभ प्रसाद की दूसरी शादी रिव्यू: संजय मिश्रा और महिमा चौधरी की ये फिल्म एंटरटेनमेंट के साथ साथ जरूरी मैसेज भी देती है
बीमारी ने बिगाड़ी युजवेंद्र चहल की हालत, इस वजह से क्रिकेट करियर पर लगा ब्रेक!
बीमारी ने बिगाड़ी युजवेंद्र चहल की हालत, इस वजह से क्रिकेट करियर पर लगा ब्रेक!
MP News: पेंशन के नाम पर ठगी के बाद दलित किसान ने किया कुछ ऐसा, सुन कर रह जाएंगे दंग
पेंशन के नाम पर ठगी के बाद दलित किसान ने किया कुछ ऐसा, सुन कर रह जाएंगे दंग
क्या किसानों को अब 6 हजार नहीं 12 हजार मिलेंगे? 22वीं किस्त आने से पहले जानें बड़ा अपडेट
क्या किसानों को अब 6 हजार नहीं 12 हजार मिलेंगे? 22वीं किस्त आने से पहले जानें बड़ा अपडेट
Kyunki Saas Bhi Kabhi Bahu Thi: नॉयना का जीना हराम कर देंगे तुलसी के बच्चे, वृंदा बनेगी जुड़वां बच्चों की मां
नॉयना का जीना हराम कर देंगे तुलसी के बच्चे, वृंदा बनेगी जुड़वां बच्चों की मां
ये हैं भारत की सबसे ज्यादा ठंडी जगह, यहां झील तक जाती हैं जम
ये हैं भारत की सबसे ज्यादा ठंडी जगह, यहां झील तक जाती हैं जम
Embed widget