फार्मा के बाद अब इस सेक्टर पर ट्रंप की नजर, लगाएंगे भारी टैरिफ; क्या भारत पर होगा असर?
ट्रंप प्रशासन विदेशी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर चिप-आधारित टैरिफ लगाने पर विचार कर रहा है, ताकि अमेरिकी उत्पादन बढ़े और देश की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित हो.

ट्रंप प्रशासन अब विदेशी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर उनके चिप्स के आधार पर टैरिफ लगाने पर विचार कर रहा है. इसका मकसद कंपनियों को अमेरिका में उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित करना है. योजना के अनुसार वाणिज्य विभाग ऐसे उत्पादों पर टैरिफ लगाएगा, जो उनके चिप सामग्री के अनुमानित मूल्य का कुछ प्रतिशत होगा. विभाग ने अभी तक इस पर कोई टिप्पणी नहीं दी है.
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता कुश देसाई ने कहा, “अमेरिका उन सेमीकंडक्टर उत्पादों पर विदेशों पर निर्भर नहीं रह सकता, जो हमारी राष्ट्रीय और आर्थिक सुरक्षा के लिए जरूरी हैं. ट्रंप प्रशासन अमेरिका में महत्वपूर्ण उत्पादन लौटाने के लिए टैरिफ, टैक्स छूट और नियम आसान करने जैसी कई योजनाएं चला रहा है.”
यदि यह योजना लागू होती है, तो यह टूथब्रश से लेकर लैपटॉप तक कई उत्पादों की कीमत बढ़ा सकती है. अर्थशास्त्री माइकल स्ट्रेन ने कहा कि इससे महंगाई और बढ़ सकती है.
ट्रंप प्रशासन ने पहले ही लगाया भारी टैरिफ
ट्रंप प्रशासन ने पहले ही ब्रांडेड दवाओं पर 100% और भारी ट्रक्स पर 25% टैरिफ की घोषणा की है. अप्रैल में फार्मास्यूटिकल्स और सेमीकंडक्टर आयातों पर जांच शुरू की गई थी, ताकि विदेशी निर्भरता कम की जा सके.
रिपोर्ट के अनुसार, जापान और यूरोपीय संघ से आने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स पर 15% और अन्य देशों से आने वाले चिप वाले उत्पादों पर 25% टैरिफ लगाया जा सकता है. वाइट हाउस ने छूट देने पर असंतोष जताया है, क्योंकि ट्रंप सामान्यतः छूट पसंद नहीं करते. हालांकि, वाइट हाउस ने इस तरह की छूट पर असंतोष जताया है, क्योंकि ट्रंप सामान्यतः छूट पसंद नहीं करते. इस योजना के लागू होने से अमेरिकी उद्योग में निवेश बढ़ सकता है, लेकिन उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें बढ़ने की संभावना भी है.
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