बेलआउट के लिए किसी हद तक जाने को तैयार पाकिस्तान, वित्त मंत्री ने मानी IMF की बड़ी शर्त
आईएमएफ के पास बेलआउट के लिए पहुंचे पाकिस्तान के सामने दुनिया की सबसे बड़ी वित्तिय संस्थाओं में शामिल इस संस्था ने एक शर्त रखी है. इस शर्त के तहत पाकिस्तान के बेलआउट पैकेज पर तभी विचार किया जाना है जब पाकिस्तान ये साझा करता है कि उसे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपेक) के तहत चीन से कितना कर्ज मिला है.

इस्लामाबाद: विदेश पूंजी के एक बार फिर समाप्त होने की समस्या से जूझ रहे पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने बड़ा बयान दिया है. वित्त मंत्री असद उमर ने कहा है, "पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ उस कर्ज का ब्यौरा साझा करने के लिए तैयार है जो उनके देश ने चीन से लिया है."
आईएमएफ के पास बेलआउट के लिए पहुंचे पाकिस्तान के सामने दुनिया की सबसे बड़ी वित्तिय संस्थाओं में शामिल इस संस्था ने एक शर्त रखी है. इस शर्त के तहत पाकिस्तान के बेलआउट पैकेज पर तभी विचार किया जाना है जब पाकिस्तान ये साझा करता है कि उसे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपेक) के तहत चीन से कितना कर्ज मिला है.
पाकिस्तानी वित्त मंत्री उमर ने अमेरिका के उस दावे को भी खारिज किया जिसमें कहा गया है कि पाकिस्तानी के विदेशी पूंजी भंडार की समस्या के पीछे चीन आधारित वो प्रोजेक्ट जिम्मेदार हैं जिनके तहत भारी निवेश किया गया है. आपको बता दें कि हाल ही में पाकिस्तानी वित्त मंत्री मलेशिया में थे और वहीं आईएमएफ ने पाकिस्तान के बेलआउट पैकेज की मांग के बाद आईएमएफ ने चीन आदारित निवेश के खुलासे की मांग की थी.
उमर ने इस दौरे से पाकिस्तान वापस आने के बाद कहा कि बेलआउट पैकेज के लिए आईएमएफ के पास जाने का फैसला मित्र देशों से ली गई सलाह के बाद लिया गया है. उन्होंने ये जानकारी भी दी कि 7 नवंबर को आईएमएफ की टीम पाकिस्तान आने वाली है. इस दौरान ये संस्था यहां उस प्रोग्राम का ब्यौर तय करेगी जिसके तहत पाकिस्तान को बेलआउट दिया जाना है.
गुरुवार को आया ता लेगार्ड का बयान आपको बता दें कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टीन लेगार्ड ने गुरुवार को कहा था कि पाकिस्तान के साथ बेलआउट (राहत) के सौदे में कर्जों की पूरी पारदर्शिता दिखानी होगी, जिनमें से अधिकांश कर्ज चीन से उसकी ऐतिहासिक बेल्ट और रोड (बीआरआई और पाक में सीपेक) योजना के तहत मिला है. इंडोनेशिया के बाली शहर में आयोजित आईएमएफ और विश्व बैंक समूह की सालाना बैठक में लेगार्ड ने कहा था, "हम जो भी काम करते हैं, उसमें किसी देश के कर्ज के स्वरूप और आकार को लेकर हमारे पास पूरी स्पष्टता और पारदर्शिता होनी जाहिए."
पाकिस्तान के खिलाफ है अमेरिका इससे पहले पाकिस्तान ने कहा कि उसे आईएमएफ से कर्ज की जरूरत होगी. देश का व्यापार घाटा बढ़ रहा है और मुद्रा में गिरावट आ रही है, जिससे उसका विदेशी मुद्रा भंडार जल्द ही खत्म होने वाला है. विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान को आयात और कर्ज का भुगतान करने की जरूरतों के लिए 12 अरब डॉलर (15,95,04,00,00,000 पाकिस्तानी रुपए) की जरूरत है. पाकिस्तान के लिए आईएमएफ से कर्ज का मसला चीन से उसके संबंधों को लेकर पहले ही जटिल हो चुका है. पाकिस्तान को बीजिंग की बेल्ट और रोड परियोजना में सबसे ज्यादा कर्ज मिला है.
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने जुलाई में ही चेतावनी दी थी कि वॉशिंगटन नहीं देखना चाहता है कि पाकिस्तान को आईएमएफ से किसी प्रकार का कर्ज मिले, जोकि चीनी बांडधारकों को बेलआउट करने के लिए जाए.
Source: IOCL






















