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मंगल ग्रह पर आखिर क्यों आया भूकंप? क्या अब भविष्य में सुलझ जाएंगे लाल ग्रह के तमाम रहस्य!

Marsquake: पृथ्वी पर आने वाले भूकंप के झटकों को अर्थक्वेक कहते हैं. इसी तरह मार्स पर आने वाले भूकंप के झटकों को मार्सक्वेक कहा जाता है.

NASA Records Quake On Mars: मंगल ग्रह पर वैज्ञानिक लंबे अरसे से जीवन की संभावना की तलाश कर रहे हैं. मंगल पर इंसानों को बसाने के लिए लाल ग्रह के रहस्यों को सुलझाने में जुटे हैं. इस बीच NASA ने एक ऑडियो जारी किया है. कुछ तस्वीरें जारी की हैं जो मंगल ग्रह की गुत्थी को सुलझाने में बहुत मददगार साबित हो सकती हैं. क्योंकि उन तस्वीरों और आवाज ने मंगल पर आए एक भूकंप की मिस्ट्री सॉल्व कर दी है. 

आखिर उन तस्वीरों में क्या दिखा और कैसी थी भूकंप की आवाज. जानिए इस खास रिपोर्ट में...

धरती से करीब साढ़े 22 करोड़ किलोमीटर दूर मौजूद है लाल ग्रह. जिस ग्रह पर दुनिया के साइंटिस्ट जीवन की तलाश कर रहे हैं, जिस ग्रह पर इंसानों के जिंदा रहने की उम्मीद तलाशी जा रही है, उसी मंगल ग्रह पर एक भूकंप आया. उधर मंगल ग्रह पर जमीन हिली, इधर रेड प्लैनेट पर रिसर्च कर रहे वैज्ञानिकों के दिलो-दिमाग में हलचल बढ़ गई.

भूकंप आने के बाद मंगल ग्रह पर क्या दिखा?
पृथ्वी पर आने वाले भूकंप के झटकों को अर्थक्वेक कहते हैं. इसी तरह मार्स पर आने वाले भूकंप के झटकों को मार्सक्वेक कहा जाता है. जिस भूकंप को लेकर वैज्ञानिकों ने स्टडी की है वो अभी नहीं, बल्कि पिछले साल 24 दिसंबर को आया था. तब उसकी वजह का पता नहीं लगा था, लेकिन अब भूकंप की वजह का पता चल गया है. भूकंप आने की वजह थी मंगल ग्रह से एक उल्कापिंड की टक्कर.

मालिन स्पेस साइंस सिस्टम से लिलिया पोसियोलोवा ने कहा, "पिछले साल दिसंबर में मंगल ग्रह पर एक उल्कापिंड टकराया था और सबसे बड़ा क्रेटर बनाया, जो हमने MRO मिशन के 16 साल में नहीं देखा."

NASA ने मंगल ग्रह की दो तस्वीरें जारी की है, जिनमें एक तस्वीर उल्कापिंड की टक्कर वाले दिन यानी 24 दिसंबर 2021 की है, जबकि दूसरी तस्वीर उसके एक दिन बाद यानी 25 दिसंबर 2021 की है. उस तस्वीर में काले रंग का जो धब्बा जैसा दिख रहा है, ये वही क्रेटर यानी गड्ढा है, जो उल्कापिंड की टक्कर के बाद बना. ये गड्ढा 150 मीटर चौड़ा और 21 मीटर गहरा है. दिलचस्प बात ये है कि इस क्रेटर के आस-पास बर्फ देखने को मिली है. उल्कापिंड की टक्कर से बने क्रेटर के चारों ओर दूर-दूर तक बर्फ के टुकड़े नजर आ रहे हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि यहां बर्फ का बहुत बड़ा टुकड़ा मौजूद था जिस पर उल्कापिंड गिरा और वो टुकड़े-टुकड़े हो गया. 

मंगल ग्रह और उल्कापिंड की टक्कर की पुष्टि नासा के MRO यानी मार्स रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर ने की. टक्कर के 24 घंटे बाद ऑर्बिटर ने नए बने क्रेटर की तस्वीर ली. नासा का मार्स रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर 2006 में मंगल की कक्षा में पहुंचा था. 16 साल से लगातार मंगल ग्रह की परिक्रमा कर रहा है, लेकिन तब से अब तक इतना बड़ा क्रेटर बनने की ये पहली तस्वीर सामने आई है.

नासा के MRO (मार्स रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर) ने टक्कर की पुष्टि की और तस्वीरें भेजी लेकिन भूकंप की पुष्टि नासा के इनसाइट लैंडर ने की है. मंगल ग्रह से जब उल्कापिंड टकराया था, तो रिक्टर स्केल पर 4 की तीव्रता का भूकंप आया था.

भविष्य में लाल ग्रह के सुलझ जाएंगे रहस्य
सीस्मोमीटर से लैस इनसाइट लैंडर 4 साल पहले मंगल की सतह पर उतरा था. जिस जगह उल्कापिंड गिरा, वहां से नासा का इनसाइट लैंडर 3,500 किलोमीटर की दूरी पर था. इनसाइट लैंडर में लगे सीस्मोमीटर के जरिए इकट्ठा वाइब्रेशन के आधार पर एक ऑडियो रिकॉर्डिंग जारी की है.

इस आवाज और तस्वीरों से वैज्ञानिकों को उम्मीद जगी है कि भविष्य में लाल ग्रह के तमाम रहस्य सुलझ सकेंगे. क्योंकि इस टक्कर से मंगल ग्रह के आंतरिक हिस्से और ग्रह के निर्माण के इतिहास के बारे में बहुत अहम जानकारी हासिल हो सकेगी. आने वाले समय में रेड प्लैनेट पर इंसानों को भेजने के मिशन में बहुत मदद मिलेगी.

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