पाकिस्तान में खतरनाक गठबंधन, लश्कर और ISIS-K ने मिलाया हाथ, फोटो सामने आने के बाद हुआ खुलासा
साल 2018 में इस्लामिक स्टेट खुरासान (ISKP) ने बलूचिस्तान के माष्टुंग और ख़ुंदज़ार में पहला कैम्प पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी ISI की मदद से अफ़ग़ानिस्तान में हमला करने के लिए खोला था.

पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ISI के इशारे पर आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और इस्लामिक स्टेट खुरासान मिलकर एक साथ काम करने की रणनीति बना रहे हैं. इसका खुलासा लश्कर ए तैयबा के टॉप आतंकी राणा मोहम्मद अशफाक और बलूचिस्तान में एक्टिव इस्लामिक स्टेट खुरासान (ISKP) की ISI के कॉर्डिनेटर मीर शफीक मेंगल की तस्वीर से हुआ है. बलूचिस्तान में इस्लामिक स्टेट का कॉर्डिनेटर मीर शफीक मेंगल लश्कर ए तैयबा के टॉप आतंकी राणा मोहम्मद अशफाक को सम्मानित कर रहा है और पिस्टल भी भेंट कर रहा है.
लश्कर ए तैयबा का टॉप आतंकी राणा मोहम्मद अशफाक इस समय आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा का नाज़िम ए आला है और इसका काम लश्कर ए तैयबा का विस्तार करना, नए मरकज़ खोलना और दूसरी आतंकी तंज़ीमों के साथ बैठकें करना है.
कौन है मीर शफीक मेंगल
मीर शफीक मेंगल बलूचिस्तान के पूर्व कार्यवाहक मुख्यमंत्री नसीर मेंगल का बेटा है और बीते कई वर्षो से ISI के कहने पर बलूचिस्तान में बलूच लड़ाकों के साथ संघर्ष के लिए प्राइवेट डेथ स्क्वाड का संचालन कर रहा है और साल 2015 से इस्लामिक स्टेट खुरासान (ISKP) के साथ उनके आतंकियों को रहने का ठिकाना देने, हथियार देने का काम रहा है और यह सिर्फ दावा नहीं है. साल 2015 में ख़ुद पाकिस्तान की सरकार की जॉइंट इन्वेस्टीगेशन टीम की रिपोर्ट की जांच में ये तथ्य सामने आया था.
साल 2018 में इस्लामिक स्टेट खुरासान (ISKP) ने बलूचिस्तान के माष्टुंग और ख़ुंदज़ार में पहला कैम्प पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी ISI की मदद से अफ़ग़ानिस्तान में हमला करने के लिए खोला था, जिसमें आरोपों के मुताबिक़ इन कैंपों के कॉर्डिनेटर की ज़िम्मेदारी इसी मीर शफीक मेंगल को दी गई थी, जिसका काम ISI से हथियार, पैसा और अन्य सामान इस्लामिक स्टेट के आतंकियों को पहुंचाना था. साथ ही मीर शफीक मेंगल का ख़ुद का एक डेथ स्क्वाड साल 2010 से बलूचिस्तान में चला रहा है.
आसिफ अली ज़रदारी से कर चुका है मुलाकात
ये साल 2023 की मीर शफीक मेंगल की पाकिस्तान के मौजूदा राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी के साथ मुलाक़ात की तस्वीर है इस बात को समझाने के लिए काफ़ी है कि पाकिस्तान की जांच एजेंसी ने जिस व्यक्ति के साथ इस्लामिक स्टेट के संबंध स्थपित किए थे, उसके साथ पाकिस्तान की राजनीति का बड़ा चेहरा उठ बैठ रहा है. तालिबान की अफ़ग़ानिस्तान में सरकार बनने के बाद ISI के इशारे पर ISKP के दोनों कैंपों के काम के बंटवारा हुआ और तब से ही माष्टुंग कैम्प में रहने वाले और ट्रेनिंग करने वाले आतंकी ISKP के आतंकियों का काम बलूच लड़ाकों पर शफ़ीक़ मेंगल के नेतृत्व में हमला करना था और ख़ुंदज़र के कैम्प में रहने और ट्रेनिंग करने वालों का काम अफ़ग़ानिस्तान में हमला करना था और यहां हथियार से लेकर अन्य हमले के लिए इस्तेमाल होने वाला सामान ISKP के आतंकियों को मीर शफीक मेंगल ही ISI की तरफ़ से मुहैया करवाता था.
हालांकि इस साल मार्च में बलोच लड़ाकों ने ISKP के माष्टुंग स्थित कैम्प पर हमला करके इस्लामिक स्टेट खुरासान के 30 आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया था, जिसके बाद सूत्रों के मुताबिक बलूचिस्तान में लश्कर ए तैयबा को होने का आदेश दिया है. इसी के तहत पहले जून में लश्कर ए तैयबा के नाज़िम ए आला आतंकी राणा मोहम्मद अशफाक ने बलूचिस्तान का दौरा किया और फिर लश्कर ए तैयबा के आतंकी और डिप्टी चीफ सैफुल्लाह कसूरी ने बलूचिस्तान में बलूच लड़ाकों के ख़िलाफ़ जिगरा का आयोजन किया जिसमे बलूच अलगाववादी संगठनों को बलूचिस्तान से उखाड़ फेंकने का प्रण भी लिया गया था.
दोनों मिलकर बलोच लड़ाकों से करेंगे दो-दो हाथ
इसी जिगरे के बाद अब राणा मोहम्मद अशफाक और मीर शफ़ीक़ मेंगल की साथ में तस्वीर सामने आई है जिसके बाद क़यास लगाये जा रहे हैं कि बलूचिस्तान में दोनों बड़े आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा और इस्लामिक स्टेट खोरासान (ISKP) मिलकर बलोच लड़ाकों और अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ काम करेंगे. वैसे लश्कर ए तैयबा के लिए बलूचिस्तान कोई नई जगह नहीं है बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा में लश्कर ए तैयबा का मरकज़ तक़वा बीते कई वर्षों से संचालित हो रहा है और इसका प्रमुख अफ़गान जिहाद में लश्कर की तरफ़ से हिस्सा ले चुका कमांडर मियां साकिब हुसैन है.
साथ ही आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा साल 2002 से 2009 तक बलूचिस्तान में आतंक का ट्रेनिंग कैम्प भी संचालित कर चुका है जहां साल 2006 में आतंकी यासीन भटकल को लश्कर ए तैयबा ने हथियार चलाने ट्रेनिंग दी थी. शफीक मेंगल और राणा मोहम्मद अशफाक की मुलाक़ात के बाद अब कयास लगाए जा रहे हैं कि जिस तरह आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा अफ़ग़ान जिहाद के समय अपने ट्रेनिंग किए हुए आतंकियों को अल-क़ायदा के लिए लड़ने भेजता था, ठीक वैसे ही अब लश्कर बलूचिस्तान में बलूच लड़ाकों से लड़ने के लिए अपने आतंकियों को इस्लामिक स्टेट में भेज सकता है.
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Source: IOCL
























