ICC के बयान से बौखलाया PAK, फेक न्यूज सेंटर चलाने वाले मंत्री ने दिया जवाब, अपने ही पाले आतंकियों के जाल में फंसा पाकिस्तान
साल 2014 में पाकिस्तानी सेना ने ऑपरेशन ज़र्ब ए अज़्ब चलाकर अपने पुराने एसेट के ठिकानों पर हमले किए. जवाब में हाफिज गुल ने भी पाकिस्तानी सेना पर धावा बोल दिया.

अफगानिस्तान के पक्तिका में 8 अफगानी खिलाड़ियों की मौत पर अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल (ICC) की प्रतिक्रिया आने के बाद पाकिस्तान की सरकार बौखला गई है. पाकिस्तान के केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अत्ताउल्लाह तरार ने एक्स पर लंबा चौड़ा पोस्ट लिखकर आईसीसी की प्रतिक्रिया को पक्षपातपूर्ण और जल्दबाजी में दी गई टिप्पणी करार दिया है. उन्होंने लिखा कि आईसीसी ने पाकिस्तानी हमले में अफगानिस्तान के क्रिकेटरों के मारे जाने को प्रमाणित करने के लिए कोई ठोस सबूत पेश नहीं किए हैं.
तरार आगे लिखा कि आईसीसी के बयान के कुछ ही घंटों बाद इसके चेयरमैन जय शाह ने एक्स पर वही बात दोहराई और फिर अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने भी उसी तरह का बयान जारी किया. यह दिखाता है कि एक ही बात को कई जगह दोहराकर झूठी कहानी बनाई जा रही है. यह कोई पहली बार नहीं है, आईसीसी के मौजूदा नेतृत्व में कई बार पाकिस्तान क्रिकेट को निशाना बनाया गया है जैसे हाल का 'हैंडशेक विवाद', जिसकी वजह से आईसीसी की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं.
पाकिस्तान के फेक न्यूज चलाने वाले मंत्री ने क्या कहा?
पाकिस्तान के फेक न्यूज़ संचालन करने वाले मंत्री ने आईसीसी के अध्यक्ष जय शाह के भारतीय होने का जिक्र करते हुए लिखा कि आईसीसी को चाहिए कि वह बिना जांचे परखे किसी दावे को सच न माने, किसी देश के कहने पर बयान न दे और सभी देशों के साथ बराबरी का व्यवहार करे और पाकिस्तान को उम्मीद है कि आईसीसी, जिसका मौजूदा अध्यक्ष भारत से है, निष्पक्षता दिखाएगा और इस विवाद को सही तरीके से सुलझाएगा ताकि खेल को राजनीति से दूर रखा जा सके.
पाकिस्तानी सेना ने बीते शुक्रवार को अफगानिस्तान में हमला किया था, जिसमें 17 मासूम लोगों की मौत हुई थी. मरने वालो में 8 क्रिकेट खिलाड़ी भी थे, जिसमें से 3 खिलाड़ी अफगानिस्तान क्रिकेट टीम की घरेलू टीम के सदस्य भी थे. उनका नाम कबीर आगा, सिबगतुल्लाह और हारून था और इन तीनों खिलाड़ियों की पाकिस्तान की कायराना स्ट्राइक मौत पर आईसीसी के अलावा अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड, आईसीसी के चेयरमैन जय शाह समेत पूर्व क्रिकेटर युवराज सिंह, अफगानिस्तान के क्रिकर्टर राशिद ख़ान, गुलबदीन नैब, मोहम्मद नबी ने भी शोक व्यक्त किया.
अफगान क्रिकेट टीम के चेयरमैन ने जय शाह का जताया आभार
आईसीसी के चेयरमैन जय शाह के शोक व्यक्त करने पर अफगानिस्तान क्रिकेट टीम के चेयरमैन मीरवाइज अशरफ ने एक्स पर जय शाह का धन्यवाद कहा और लिखा कि इस मुश्किल समय में संदेश और समर्थन देने के लिए आपका धन्यवाद और आपका साथ और सहानुभूति अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड और पूरे अफगान क्रिकेट परिवार के लिए बहुत मायने रखती है.
अफगान जिहाद के बाद रूस की सेना अफगानिस्तान से वापस चली गई तो ISI के कहने पर हाफिज गुल बहादुर आतंकी मसूद अजहर के साथ जुड़ गया और भारत पर हमला करने के लिए दत्ता खेल और मीरान शाह में जैश ए मोहम्मद के लिए लड़ाके भर्ती करने लगा. हाफिज गुल बहादुर अपना भी एक मदरसा चलाता था, जहां अफगानिस्तान में अमेरिका के खिलाफ़ लड़ने के लिए वो आतंकियों को तैयार करके अफगानिस्तान में हक्कानी नेटवर्क के पास भेजता था.
साल 2006 में पाकिस्तान की सरकार और हाफिज गुल बहादुर के बीच मीरान शाह शांति समझौता हुआ, जिसके तहत हाफिज गुल बहादुर या उसके लड़ाके कभी पाकिस्तान में हमला नहीं करेंगे और बदले में पाकिस्तानी सरकार हाफिज गुल बहादुर को सुरक्षित जगह देगी, जहां वो अपना आतंक का कारोबार चला पाएगा.
2007 में हाफिज गुल बहादुर TTP का संस्थापक सदस्य बना
साल 2007 में हाफिज गुल बहादुर तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान (TTP) का संस्थापक सदस्य बना और उस समय के प्रमुख बैतुल्लाह महसूद का डिप्टी लेकिन पाकिस्तान पर टीटीपी के हमले के विरोध में उसने टीटीपी छोड़ दी और इत्तिहाद शूरा मुजाहिद्दीन पाकिस्तान (ISP) की स्थापना की. जिसका काम अफगानिस्तान में हक्कानी नेटवर्क और अफगान तालिबान के साथ अमेरिका और नाटो सेना पर हमला करना था. खैबर पख्तूनख़्वाह प्रांत में पाकिस्तान के लिए तहरीक ए तालिबान के लड़ाकों को मौत के घाट उतारना था. उस वक्त ISI ने हाफिज गुल बहादुर और उसके संगठन को 'गुड तालिबान' बताया था.
साल 2014 में पाकिस्तानी सेना ने ऑपरेशन ज़र्ब ए अज़्ब चलाकर अपने पुराने एसेट के ठिकानों पर हमला शुरू कर दिया, जिसके बाद हाफिज गुल बहादुर ने भी 2006 के शांति समझौते को रद्द करते हुए साल 2018 में हाजी गुल मार्जन और मौलवी सादिक नूर के साथ उत्तरी वजीरिस्तान में पाकिस्तानी सेना पर हमला करना शुरू किया.
साल 2021 में अफगान तालिबान के काबुल में कब्जे के बाद तहरीक ए तालिबान के साथ मिलकर पाकिस्तानी सेना को इत्तिहाद ए मुजाहिद्दीन के बैनर तले मारना शुरू किया, जो अब तक जारी है. इत्तिहाद उल मुजाहिद्दीन के लड़ाकों की सेना में कुल 1500 से ज़्यादा लड़ाके हैं. सूत्रों के मुताबिक अनुमान के मुताबिक हर साल इत्तिहाद उल मुजाहिद्दीन को 50 से ज़्यादा लड़ाके को पैसे के बदले में जैश ए मोहम्मद ट्रेन करता है.
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