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Explained: ईरान में कैसी होती है सरकार, जिसकी तर्ज पर तालिबान अफगानिस्तान में सरकार बनाना चाह रहा है

Afghanistan Crisis: अफगानिस्तान में ईरान की तर्ज पर जल्द ही तालिबान सरकार का गठन कर सकता है. तालिबान के सर्वोच्च नेता मुल्ला अखुन्दज़ादा हो सकते हैं.

Afghanistan Crisis: अमेरिका के जाने और अफगानिस्तान में ताबिलान के कब्जे के बाद सरकार के गठन को लेकर कोशिशें तेज हो गई हैं. सरकार गठन के लिए तालिबानी नेताओं की तीन दिन की मीटिंग खत्म हो गई है. abp न्यूज सूत्रों के मुताबिक अफगानिस्तान में तालिबान की नई सरकार ईरान की तर्ज पर बन सकती है. इस नई सरकार में मुल्ला अखुन्दजादा सुप्रीम लीडर हो सकता है. 

सूत्रों के मुताबिक मुल्ला अखुन्दजादा कंधार में ही रहेगा. प्रधानमंत्री और बाकी मंत्री काबुल से सरकार का संचालन करेंगे. सूत्रों से यह भी जानकारी मिली है कि मुल्ला बरादर या याकूब में से कोई एक अफगानिस्तान का प्रधानमंत्री बन सकता है. तालिबान के लगातार अपने बदलने और दुनिया के साथ अच्छे संबंधों की बात कर रहा है. 

काबुल एयरपोर्ट पर कब्जा जमाने के बाद तालिबान के प्रवक्ता ने एयरपोर्ट पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में तालिबान ने एक बार फिर कहा कि हम अमेरिका समेत पूरी दुनिया से अच्छे संबंध चाहते हैं. 31 अगस्त से पहले ही अमेरिका ने अफगानिस्तान को छोड़ दिया.

ईरान में कैसी है सरकार की शक्ल जिसे तालिबान अपनाना चाहता है?
ईरान एक शिया मुस्लिम बहुल देश है, जो एक इस्लामिक गणराज्य है. ईरान चुनाव प्रक्रिया के आधार पर खुद के लोकतांत्रिक देश होने का दावा करता है लेकिन यह आधा सच है. ईरान में सत्ता को कई हिस्सों में बांटा गया है. इनमें सुप्रीम लीडर, राष्ट्रपति, संसद, एसेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स, गार्जियन काउंसिल, एक्सपेंडेंसी काउंसिल, कैबिनेट, ज्यूडीशरी, नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल और कल्चरल रोवोल्यूशन काउंसिल हैं. आइए जानते हैं, इनमें से कुछ प्रमुख के काम और उनका महत्व...

सुप्रीम लीडर
ईरान में सुप्रीम लीडर ही सरकार का सर्वेसर्वा होता है, इसे जीवन भर के लिए एसेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स द्वारा चुना जाता है. ईरान के गठन से अब तक सिर्फ दो ही सुप्रीम लीडर बने हैं. इनमें ईरान के संस्थापक अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी और उनके उत्तराधिकारी अयातुल्ला अली खमेनेई शामिल हैं. खमेनेई वर्तमान में ईरान के सुप्रीम लीडर हैं. 

ईरान का सुप्रीम लीडर सेनाओं और सुरक्षा सेवा का कमांडर होता है. इसके अलावा वह न्यूक्लियर प्रोग्राम का भी हेड होता है. ईरान के आंतरिक और विदेशी मामलों में सुप्रीम लीडर का फैसला आखिरी होता है. इसके अलावा सुप्रीम लीडर को राष्ट्रपति उम्मीदवार, चुनाव परिणाम, रक्षा विभाग में नियुक्ति, ज्यूडीशरी में प्रमुख ही नियुक्ति जैसे अधिकार भी होते हैं. इसके साथ ही सुप्रीम लीडर देश की अर्थव्यवस्था का भी मुखिया होता है.

राष्ट्रपति
राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों की अलग अलग काउंसिल के माध्यम से जांच की जाती है, लेकिन आखिर में सर्वोच्च नेता अंतिम दो उम्मीदवारों का चयन करता है. अन्य देशों की तरह कार्यकारी भूमिका के बजाय प्रशासनिक भूमिका निभाता है. राष्ट्रपति का काम कैबिनेट सदस्यों का चयन, सर्वोच्च नेता की बनाई नीतियों और संसद से पास कानूनों को लागू करना होता है. राष्ट्रपति का कार्यकाल चार साल का होता है और एक व्यक्ति दो बार से ज्यादा चुनाव नहीं लड़ सकता. राष्ट्रपति ही देश का बजट पेश करता है.

गार्जियन काउंसिल
इसमें 12 सदस्य शामिल होते हैं, जिनका कार्यकाल छह साल होता है. इन 12 सदस्यों में छह मौलवी होते और छह न्यायविद हैं. इनमें से छह का चुनााव सुप्रीम लीडर करते हैं और बाकी छह संसद द्वारा चुने जाते हैं. संसद से पास कानून को मंजूर या अस्वीकार कर सकते हैं. राष्ट्रपति, संसद और चुनावों के लिए उम्मीदवारों को स्वीकार या अस्वीकार कर सकते हैं.

संसद
संसद में कानून बनते हैं जिन्हें बाद में गार्जियन काउंसिल पास करती है. इममें कुल 290 सदस्य शामिल होते हैं. संसद के मुख्य गठबंधनों में रूढ़िवादी और सुधारवादी शामिल हैं. संसद के पास राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने का विकल्प मौजूद है. इसके साथ ही विश्वास मत के जरिए मंत्रियों को हटाने का अधिकार भी संसद के पास है. गार्जियन काउंसिल के लिए छह सदस्यों को चुनने का काम भी संसद करती है. संसद राष्ट्रपति द्वारा प्रस्तुत बजट को मंजूरी देती है.

एसेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स
इसमें जनता द्वारा चुने गए 88 इस्लामी विद्वान शामिल होते हैं, जिन्हें गार्जियन काउंसिल चुनती है. एसेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स सुप्रीम लीडर की नियुक्ति और उसके प्रदर्शन की निगरानी के जिम्मेदार है. इसके साथ ही एसेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स के पास सुप्रीम लीडर को हटाने का भी अधिका होता है. लेकिन ईरान में ऐसा कभी होगा, यह संभव नहीं लगता. अगर सुप्रीम लीडर की किसी कारण वश मौत हो जाती है तो एसेंबली ऑफ एक्सपर्ट्स एक सीक्रेट वोटिंग करवाएगी जिसमें उसके उत्तराधिकारी को साधारण बहुमत से चुना जाएगा.

एक्सपेंडेंसी काउंसिल
इसका काम सुप्रीम लीडर को सलाह देना है. इसके साथ ही अगर संसद और गार्जियन काउंसिल मुद्दे को लेकर विवाद हो तो उस पर फैसला लेने का अधिकार  एक्सपेंडेंसी काउंसिल के पास होता है. एक्सपेंडेंसी काउंसिल में सुप्रीम लीडर 45 ऐसे लोगों की नियुक्ति करता है जिसमें धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र के लोग शामिल होते हैं.

कैबिनेट
कैबिनेट के सदस्यों को चुनने का अधिकार राष्ट्रपति के पास होता है, कैबिनेट कानूनों को लागू करवाने के लिए राष्ट्रपति का सहयोग करती है. इनके चुनाव के लिए संसद की मंजूरी भी जरूरी है. संसद महाभियोग के जरिए मंत्रियों को हटा भी सकती है.

नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल
इसकी अध्यक्षता राष्ट्रपति करता है, इसका मुख्य काम सुप्रीम लीडर की बनाई राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियों को लागू करना है. देश में अपराध की परिभाषा और किस अपराध को किस श्रेणि में रखना है, इसका काम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल ही करती है.

न्यायपालिका अध्यक्ष
न्यायपालिका अध्यक्ष की नियुक्ति सुप्रीम लीडर करता है और यह देश की तमाम अदालतों का प्रमुख होता है. यह सभी अदालतें इस्लामी कानूनों के आधार पर फैसले करती हैं. वर्तमान में एक कट्टर मौलवी इब्राहिम रायसी न्यायपालिका अध्यक्ष हैं. इसके साथ ही न्यायपालिका अध्यक्ष गार्जियन काउंसिल में शामिल होने वाले छह न्यायविदों को चुनने का काम भी करता है.

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