एक्सप्लोरर

Explained: नोबेल पीस प्राइज के काबिल नहीं ट्रंप! 8 युद्ध रुकवाने के दावे के बावजूद क्यों नहीं मिला, अगला कदम क्या?

ABP Explainer: एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप ने नोबेल प्राइज नॉमिनेशन बंद होने के बाद जंगें रुकवाईं. ट्रंप ने नोबेल कमेटी पर दबाव बनाया, जो निगेटिव पॉइंट साबित हुआ.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 8 अक्टूबर को व्हाइट हाउस के ब्लूरूम में कहा था, 'हमने 7 युद्ध सुलझा लिए हैं और 8वां सुलझाने के करीब हैं. मुझे नहीं लगता कि इतिहास में किसी ने इतने मामले सुलझाए हैं, लेकिन नोबेल कमेटी मुझे नोबेल न देने की कोई न कोई तरकीब जरूर निकाल लेगी.'

ट्रंप की यह बात आखिर सच निकली. 2025 का नोबेल पीस प्राइज ट्रंप की जगह वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को मिल गया. ट्रंप बीते कई महीनों से नोबेल की दावेदारी कर रहे थे, जिनपर पानी फिर गया.

तो आइए ABP एक्सप्लेनर में समझते हैं कि आखिर नोबेल कमेटी ने ट्रंप को क्यों नहीं चुना, क्या पीस प्राइज के लिए ट्रंप की बेताबी खत्म होगी और ट्रंप अब आगे क्या करेंगे...

सवाल 1- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल पीस प्राइज क्यों नहीं मिला?
जवाब- विदेश मामलों के जानकार और JNU के प्रोफेसर डॉ. राजन कुमार इसकी 4 बड़ी वजहें बताते हैं...

1. पीस एफर्ट्स की टाइमिंग और ड्यूरेबिलिटी की कमी
नोबेल कमिटी लॉन्ग-टर्म, सस्टेनेबल पीस को तवज्जोह देती है, न कि शॉर्ट-टर्म डील्स को. ट्रंप के गाजा सीजफायर और यूक्रेन समिट जैसे एफर्ट्स सितंबर 2025 में हुए. जबकि नोबेल के लिए नॉमिनेशन की लास्ट डेट 31 जनवरी थी. ट्रंप के प्रयास बहुत देर से हुए. कमेटी पहले ही तय कर लेती है कि नोबेल किसे मिलेगा.

2. मल्टीलेटरल इंस्टीट्यूशन्स और इंटरनेशनल कोऑपरेशन से दूरी
नोबेल विल 'फ्रेटर्निटी बिट्वीन नेशन्स' पर फोकस करता है, जो यूनाइटेड नेशंस और मल्टीलेटरल डिप्लोमैसी को प्रमोस करता है. ट्रंप की पॉलिसी ने WHO फंडिंग कट की, पैरिस क्लाइमेट एग्रीमेंट से बाहर निलले और NATO पर प्रेशर डाला. ट्रंप के यह एक्शन पीस बिल्डिंग को हर्ट करता है.

3. क्लाइमेट चेंज को इग्नोर करना
नोबेल कमिटी क्लाइमेट को 'लॉन्ग-टर्म पीस थ्रेट' मानती है. ट्रंप ने क्लाइमेट चेंज को 'धोखा' कहा और पैरिस डील से बाहर निकले. वो क्लाइमेट चेंज पर भरोसा नहीं करते, जो नोबेल के लिए डिसक्वालिफाइंग है. ट्रंप एडमिन ने क्लाइमेट फंडिंग 40% कम की, जबकि पहले नोबेल जीत चुके अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने क्लाइमेट पर फोकस किया था.

4. नोबेल कमेटी की आजादी और ट्रंप का ओवरऑल फिट न होना
नोबेल कमेटी पॉलिटिकल प्रेशर से दूर रहती है. ट्रंप का लॉबिंग यानी नेतन्याहू और पाकिस्तान गवर्नमेंट से नॉमिनेशंस ने निगेटिव इम्पैक्ट डाला. इसके अलावा ट्रंप ने खुद नॉर्वे के फाइनेंस मिनिस्टर से फोन कर के नोबेल मांग लिया था.

 

ट्रंप ने कहा था कि नोबेल कमेटी मुझे नोबेल न देने की कोई न कोई तरकीब जरूर निकाल लेगी.
ट्रंप ने कहा था कि नोबेल कमेटी मुझे नोबेल न देने की कोई न कोई तरकीब जरूर निकाल लेगी.

सवाल 2- नोबेल पीस प्राइज के लिए ट्रंप के अलावा कौन-कौन दावेदार थे?
जवाब- ट्रंप के अलावा नोबेल पीस प्राइज के लिए 8 बड़े दावेदार थे...

  1. एलन मस्क: अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा और शांति के लिए लगातार समर्थन.
  2. इमरान खान: पाकिस्तान में मानवाधिकारों और लोकतंत्र को मजबूत करने की कोशिश.
  3. ग्रेटा थनबर्ग: जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक जागरूकता फैलाने और पर्यावरण शांति.
  4. यूलिया नवलनया: रूस में मानवाधिकारों की रक्षा और एलेक्सी नवल्नी की विरासत को आगे बढ़ाया.
  5. सूडान इमरजेंसी रिस्पॉन्स रूम्स: सूडान में युद्ध और भुखमरी के दौरान नागरिकों को मानवीय सहायता दी.
  6. कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स: पत्रकारों की सुरक्षा और प्रेस की स्वतंत्रता सुनिश्चित की.
  7. अनवर इब्राहिम: थाईलैंड-कंबोडिया सीजफायर में मध्यस्थता और क्षेत्रीय शांति.
  8. पोप फ्रांसिस: शांति, पर्यावरण और गरीबों के लिए काम किया.

इनके अलावा मारिया मचाडो भी नॉमिनेशंस में थीं, जिन्होंने नोबेल पीस प्राइज 2025 जीता है.

 

मचाडो 20 साल से वेनेजुएला में लोकतंत्र के लिए लड़ाई लड़ रहीं हैं.
मचाडो 20 साल से वेनेजुएला में लोकतंत्र के लिए लड़ाई लड़ रहीं हैं.

सवाल 3- ट्रंप को नोबेल पीस प्राइज दिलाने के लिए किन-किन देशों ने नॉमिनेट किया था?
जवाब- ट्रंप को नोबेल दिलाने के लिए पाकिस्तान, अमेरिका, इसराइल, अजरबैजान, आर्मेनिया, कंबोडिया रुवांडा, गैबॉन और माल्टा देशों ने नॉमिनेट किया. कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि अर्जेंटीना ने भी ट्रंप के लिए सिफारिश की है.

नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी के नियमों के मुताबिक, 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 31 जनवरी 2025 थी. हर साल 1 फरवरी से नॉमिनेशन प्रोसेस शुरू होती है और उसी दिन तक मिले नाम ही मान्य होते हैं. ट्रंप ने 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी और 11 दिन बाद ही नॉमिनेशन बंद हो गया. ऐसे में ट्रंप की दावेदारी कमजोर थी.

सवाल 4- ट्रंप नोबेल पीस प्राइज पाने के लिए इतने बेताब क्यों थे?
जवाब- नोबेल पीस प्राइज के लिए ट्रंप की बेताबी उनके पहले कार्यकाल से दिखने लगी थी...

  • जुलाई 2019 में व्हाइट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने कहा था, 'बराक ओबामा को तो बस भाषण देने के लिए नोबेल मिल गया. असल में मुझे मिलना चाहिए.'
  • सितंबर 2020 में इसराइल और अरब देशों में शांति समझौता हुआ. अमेरिका की भूमिका को लेकर ट्रंप ने कहा, 'नोबेल कमेटी को मुझे नॉमिनेट करना चाहिए.'

दूसरे कार्यकाल में भी ट्रंप ने कई बार नोबेल पीस प्राइज की दावेदारी जाहिर की...

  • जून 2025 में ट्रंप ने कहा कि मुझे 4-5 बार नोबेल मिल जाना चाहिए था.
  • अक्टूबर 2025 में कहा, 'अगर मुझे नोबेल नहीं मिला, तो ये अमेरिका का अपमान होगा.'

डॉ. राजन कुमार के मुताबिक, ट्रंप की बेताबी 2 बड़ी वजहों से है...

1. नोबेल वाले अमेरिकी राष्ट्रपतियों की लिस्ट में आना
ट्रंप से पहले 4 अमेरिकी राष्ट्रपतियों को नोबेल पीस प्राइज मिल चुका है. इनमें बराक ओबामा, जिमी कार्टर, वुडरो विल्सन और थियोडोर रूजवेल्ट शामिल हैं, लेकिन ट्रंप को सबसे ज्यादा ओबामा का नोबेल प्राइज खटकता है. उन्होंने बार-बार कहा है कि ओबामा 'डिजर्व नहीं करते थे' और 'ओबामा ने कुछ खास नहीं किया'. ट्रंप हर हाल में ओबामा को हराना चाहते हैं, जिसके लिए नोबेल पीस प्राइज बेहद जरूरी है.

2009 में बराक ओबामा को राष्ट्रपति बनने के 9 महीने के अंदर नोबेल पीस प्राइज मिल गया था.
2009 में बराक ओबामा को राष्ट्रपति बनने के 9 महीने के अंदर नोबेल पीस प्राइज मिल गया था.

2. पीसमेकर ग्लोबल लीडर बनने की भूख
ट्रंप आक्रामक नीतियों के लिए मशहूर हैं. लेकिन वो अपनी ग्लोबल पीसमेकर लीडर की इमेज बनाना चाहते हैं. अमेरिका पर ईरान-इसराइल जंग की तरह कई युद्ध भड़काने के आरोप हैं. ट्रंप चाहते हैं कि उनके राष्ट्रपति रहते अमेरिका की इमेज शांति के लिए मध्यस्थता करने वाले देश की बने. नोबेल ट्रंप के इस सपने को पूरा कर देगा. इसके अलावा ट्रंप को सेल्फ इमेज मजबूत करना और तारीफों की भूख है.

सवाल 5- नोबेल पीस प्राइज पाने के लिए ट्रंप ने क्या-क्या किया?
जवाब- 14 अगस्त को नॉर्वे के न्यूजपेपर डेगेन्स नैरिंगलिव के आर्टिकल के मुताबिक, जुलाई 2025 में ट्रंप ने नॉर्वे के वित्त मंत्री जेन्स स्टोल्टेनबर्ग को फोन करके नोबेल प्राइज मांगा था. ट्रंप ने 2025 में 8 बड़े युद्ध रोके हैं...

1. भारत-पाकिस्तान संघर्ष: 7 मई को भारत ने पाकिस्तान में 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाकर पहलगाम हमले का बदला लिया और कई आतंकी ठिकाने तबाह कर दिए. 4 दिनों के संघर्ष के बाद 10 मई को ट्रंप ने ट्रुथ पर सीजफायर का ऐलान किया और कहा, 'मैंने दो परमाणु शक्तियों वाले देशों में जंग रुकवा दी.'

2. इसराइल-ईरान युद्ध: 13 जून को इसराइल ने ईरान पर हवाई हमला किया, जिसमें ईरान की परमाणु लेबोरेट्रीज तबाह हुईं और कई टॉप लीडर्स मारे गए. 24 जून को ट्रंप ने सीजफायर करते हुए कहा, 'इसराइल-ईरान के 12 दिनों के युद्ध को मैंने रोक दिया.'

3. कोसोवो-सर्बिया विवाद: 1998 से दोनों देशों में जातीय और ऐतिहासिक तनाव चल रहा था, जिसे 27 जून को ट्रंप ने खत्म करवा दिया. उन्होंने कहा, 'कोसोवो और सर्बिया को बड़े युद्ध की कगार से मैंने रोक दिया.'

4. रवांडा-कांगो संघर्ष: 27 जून को कांगो विद्रोही संघर्ष में चले आ रहे नरसंहार को ट्रंप ने रुकवा दिया. उन्होंने कहा, 'रवांडा और कांगो को मैंने 'शानदार संधि' पर हस्ताक्षर करवाए और विद्रोह रुक गया.'

5. थाईलैंड-कंबोडिया संघर्ष: 24 जुलाई को दोनों देशों के बीच प्रीह विहेर मंदिर और आसपास के विवादित इलाकों को लेकर संघर्ष शुरू हुआ. 4 दिन बाद ही ट्रंप ने सीजफायर कर दिया. उन्होंने कहा, 'थाईलैंड और कंबोडिया के बीच दशकों पुराने सीमा युद्ध को मैंने मध्यस्थता से रोका.'

6. मिस्र-इथोपिया विवाद: दोनों देशों में नाइल डैम जल विवाद पर संघर्ष हो रहा था, जिसे जुलाई 2025 में ट्रंप ने खत्म करवा दिया. ट्रंप ने कहा, 'यह अनंत जल युद्ध था, लेकिन सुलझ गया.'

7. आर्मेनिया-अजरबैजान विवाद: दोनों देशों के बीच नागोर्नो-काराबाख इलाके को लेकर 1988 विवाद चला आ रहा था. 8 अगस्त को ट्रम्प ने दोनों देशों के राष्ट्रपतियों को व्हाइट हाउस बुलाकर समझौता करा दिया. ट्रंप ने कहा, 'आर्मेनिया और अजरबैजान को मैंने व्हाइट हाउस बुलाकर 17-सूत्री शांति संधि पर हस्ताक्षर करवाए.'

8. इसराइल-हमास युद्ध: 2023 से चले आ रहे इसराइल और हमास युद्ध पर 9 अक्टूबर को सीजफायर लग गया. ट्रंप ने नया गाजा प्लान जारी किया, जिसके पहले चरण पर इसराइल और हमास दोनों ने सहमति जताई. ट्रंप ने ट्रुथ पर लिखा, 'यह मजबूत और स्थायी शांति की दिशा में पहला कदम है'.

सवाल 6- क्या नोबेल पीस प्राइज के लिए ट्रंप की जद्दोजहद खत्म होगी?
जवाब- डॉ. राजन कुमार के मुताबिक, ट्रंप की नोबेल पीस प्राइज हासिल करने की जद्दोजहद खत्म नहीं होगी. उन्हें हर हाल में बराक ओबामा से आगे निकलना है, इसलिए वे कोशिशें करते रहेंगे. हालांकि, ट्रंप को अगले साल यानी 2026 का नोबेल पीस प्राइज मिल सकता है. ट्रंप ने इसराइल और हमास में सीजफायर का प्लान बनाया है, जिसका पहला चरण लागू हो गया है. जल्द ही यह जंग पूरी तरह खत्म हो सकती है. ट्रंप की यह मेहनत अगले साल रंग ला सकती हैं, क्योंकि अब ट्रंप के पास नॉमिनेशंस के लिए पर्याप्त समय है.

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप नोबेल हासिल कर के ही रहेंगे. जितने भी युद्ध अभी चल रहे हैं या पूरी तरह से खत्म नहीं हुए, उन्हें खत्म करेंगे. वे नई स्ट्रेटजी पर काम करेंगे और अगले साल के प्राइज की तैयारी करेंगे. ट्रंप बौखलाहट में कोई गलत फैसला लेने से बचेंगे, क्योंकि इससे अगले नोबेल पर असर पड़ेगा.

सवाल 7- आखिर नोबेल प्राइज क्या है और कैसे मिलता है?
जवाब- स्वीडिश साइंटिस्ट अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के आधार पर 27 नवंबर 1895 को नोबेल प्राइज की स्थापना हुई थी. यह 6 कैटेगरीज में मिलता है, जिसमें फिजिक्स, मेडिसिन, केमिस्ट्री, लिटरेचर, इकोनॉमिक्स और शांति शामिल है. यह उन्हें ही मिलता है, जिन्होंने 'मानव जाति के लिए सबसे बड़ा फायदा' पहुंचाने का काम किया हो. 1901 में पहली बार नोबेल पुरस्कार दिए गए थे और रविन्द्रनाथ टैगोर नोबेल जीतने वाले पहले भारतीय हैं.

नोबेल शांति पुरस्कार के लिए कोई भी व्यक्ति किसी को नॉमिनेट नहीं कर सकता. सिर्फ वही लोग नॉमिनेट कर सकते हैं, जो नोबेल कमेटी की तरफ से अधिकृत यानी ऑथराइज्ड हों...

  • नोबेल के लिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सांसद, इंटरनेशनल कोर्ट के जस्टिस, नोबेल के पूर्व विजेता, यूनिवर्सिटीज के प्रोफेसर, नोबेल कमेटी के मौजूदा और पूर्व सदस्य और कुछ विशेष संस्थानों और संगठनों के प्रमुख नामांकन कर सकते हैं.
  • नोबेल के नामांकन हर साल सितंबर से 31 जनवरी तक चलते हैं.
  • मार्च, अप्रैल और मई में एक्सपर्ट्स से परामर्श किया जाता है.
  • जून और जुलाई में सुझावों के साथ रिपोर्ट तैयार होती है.
  • सितंबर में नोबेल अकादमी को अंतिम उम्मीदवारों के नाम की रिपोर्ट मिलती है.
  • अक्टूबर में वोटिंग के बाद नोबेल पुरस्कार का ऐलान किया जाता है.
  • 10 दिसंबर को अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि के दिन नोबेल दिया जाता है.

ज़ाहिद अहमद इस वक्त ABP न्यूज में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर (एबीपी लाइव- हिंदी) अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इससे पहले दो अलग-अलग संस्थानों में भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी. जहां वे 5 साल से ज्यादा वक्त तक एजुकेशन डेस्क और ओरिजिनल सेक्शन की एक्सप्लेनर टीम में बतौर सीनियर सब एडिटर काम किया. वे बतौर असिस्टेंट प्रोड्यूसर आउटपुट डेस्क, बुलेटिन प्रोड्यूसिंग और बॉलीवुड सेक्शन को भी लीड कर चुके हैं. ज़ाहिद देश-विदेश, राजनीति, भेदभाव, एंटरटेनमेंट, बिजनेस, एजुकेशन और चुनाव जैसे सभी मुद्दों को हल करने में रूचि रखते हैं.

Read
और पढ़ें
Sponsored Links by Taboola
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

गोवा में 25 लोगों की मौत के मामले में सरकार का बड़ा एक्शन, लूथरा ब्रदर्स के क्लब पर चला बुलडोजर, देखें वीडियो
गोवा में 25 लोगों की मौत के मामले में सरकार का बड़ा एक्शन, लूथरा ब्रदर्स के क्लब पर चला बुलडोजर, देखें वीडियो
कौन हैं कथावाचक निधि सारस्वत जो बनेंगी BJP के बड़े नेता के घर की बहू? आज लेंगी सात फेरे
कौन हैं कथावाचक निधि सारस्वत जो बनेंगी BJP के बड़े नेता के घर की बहू? आज लेंगी सात फेरे
IPL 2026 की नीलामी के लिए चुने गए सभी 350 खिलाड़ियों के नाम, ग्रीन-शॉ-सरफराज पहले सेट में
IPL 2026 की नीलामी के लिए चुने गए सभी 350 खिलाड़ियों के नाम, ग्रीन-शॉ-सरफराज पहले सेट में
Dhamaal 4 Release Date: 'धुरंधर 2' से घबराए अजय देवगन! पोस्टपोन की 'धमाल 4', जानें नई रिलीज डेट
'धुरंधर 2' से घबराए अजय देवगन! पोस्टपोन की 'धमाल 4', जानें नई रिलीज डेट
Advertisement

वीडियोज

Goa Nightclub Fire Case: नाइट क्लब के मालिकों की संपत्ति पर चलेगा बुलडोजर | Breaking
क्या Gold अभी भी बढ़ेगा? कब और कैसे करें निवेश, जानिए Nilesh Shah MD, Kotak Mahindra AMC की सलाह|
Chanderi की Real Haunted कहानियां, “Stree” की Shooting Spots का सच, Local Legends, Tourism Boom और Handloom Heroes की Untold Journey
Indian Rice Industry को सबसे बड़ा झटका? Trump का नया Trade Move
Parliament Winter Session : Vande Matram पर Mallikarjuna Kharge की ललकार सुन दंग रह गया विपक्ष
Advertisement

फोटो गैलरी

Advertisement
Petrol Price Today
₹ 94.72 / litre
New Delhi
Diesel Price Today
₹ 87.62 / litre
New Delhi

Source: IOCL

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
गोवा में 25 लोगों की मौत के मामले में सरकार का बड़ा एक्शन, लूथरा ब्रदर्स के क्लब पर चला बुलडोजर, देखें वीडियो
गोवा में 25 लोगों की मौत के मामले में सरकार का बड़ा एक्शन, लूथरा ब्रदर्स के क्लब पर चला बुलडोजर, देखें वीडियो
कौन हैं कथावाचक निधि सारस्वत जो बनेंगी BJP के बड़े नेता के घर की बहू? आज लेंगी सात फेरे
कौन हैं कथावाचक निधि सारस्वत जो बनेंगी BJP के बड़े नेता के घर की बहू? आज लेंगी सात फेरे
IPL 2026 की नीलामी के लिए चुने गए सभी 350 खिलाड़ियों के नाम, ग्रीन-शॉ-सरफराज पहले सेट में
IPL 2026 की नीलामी के लिए चुने गए सभी 350 खिलाड़ियों के नाम, ग्रीन-शॉ-सरफराज पहले सेट में
Dhamaal 4 Release Date: 'धुरंधर 2' से घबराए अजय देवगन! पोस्टपोन की 'धमाल 4', जानें नई रिलीज डेट
'धुरंधर 2' से घबराए अजय देवगन! पोस्टपोन की 'धमाल 4', जानें नई रिलीज डेट
RTI से वेतन और पेंशन वाले 'खुलासे' पर उपेंद्र कुशवाहा का बड़ा बयान, 'प्रावधान भी यही है कि…'
RTI से वेतन और पेंशन वाले 'खुलासे' पर उपेंद्र कुशवाहा का बड़ा बयान, 'प्रावधान भी यही है कि…'
Dhurandhar OTT Release: ओटीटी पर कहां रिलीज होगी धुरंधर, धुरंधर की ओटीटी रिलीज डेट और धुरंधर की ओटीटी डील
ओटीटी पर कहां रिलीज होगी धुरंधर, धुरंधर की ओटीटी रिलीज डेट और धुरंधर की ओटीटी डील
हेल्थ प्लान लेते वक्त लोग जो भूल कर बैठते हैं, वही बाद में परेशानियां देती हैं
हेल्थ प्लान लेते वक्त लोग जो भूल कर बैठते हैं, वही बाद में परेशानियां देती हैं
देश के मेडिकल कॉलेजों में खाली सीटों का खुलासा, जानें कितनी हैं MBBS में खाली सीटें?
देश के मेडिकल कॉलेजों में खाली सीटों का खुलासा, जानें कितनी हैं MBBS में खाली सीटें?
Embed widget