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EXCLUSIVE: अमेरिका ने TRF को माना लश्कर का हिस्सा, TRF-KRF बैन, कैसे ये PAK की हार और भारत की बड़ी जीत

कश्मीर रेजिस्टेंस फ्रंट (Kashmir Resistance Front) और कश्मीर रेजिस्टेंस (Kashmir Resistance) का प्रयोग लश्कर ए तैयबा ने बीते 2 सालों से करना शुरू किया था.

अमेरिकी सरकार ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा के ऑफ शूट आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (The Resistance Front) TRF को आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा का हिस्सा मानते हुए प्रतिबंधित आतंकी संगठनो की लिस्ट में शामिल कर लिया है. TRF के अलावा अमेरिकी सरकार ने लश्कर ए तैयबा के दो अन्य नाम कश्मीर रेजिस्टेंस फ्रंट (Kashmir Resistance Front), और कश्मीर रेजिस्टेंस (Kashmir Resistance) को भी लश्कर ए तैयबा का ही हिस्सा माना है और प्रतिबंधित किया है.

एबीपी न्यूज़ के पास मौजूद अमेरिका के फ़ेडरल पब्लिक रजिस्टर में छपे अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के आधिकारिक आदेश की एक्सक्लूसिव कॉपी के मुताबिक़ अमेरिका में लश्कर-ए-तैयबा का विदेशी आतंकी संगठन (Foreign Terrorist Organization - FTO) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (Specially Designated Global Terrorist - SDGT) के तौर पर दर्ज स्टेटस बरकरार रहेगा. उसके नए छद्म नामों (off shoots) को भी इस सूची में जोड़ा जा रहा है. ये नए छद्म नाम (off shoots) हैं द रेजिस्टेंस फ्रंट (The Resistance Front) TRF, कश्मीर रेजिस्टेंस फ्रंट (Kashmir Resistance Front), और कश्मीर रेजिस्टेंस (Kashmir Resistance).

लश्कर ए तैयबा के बाद अब TRF, KRF, KR पर लगा बैन
फैसले की कॉपी के मुताबिक लश्कर ए तैयबा के इन 3 छद्म नाम (off shoots) वाले आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (The Resistance Front) TRF, कश्मीर रेजिस्टेंस फ्रंट (Kashmir Resistance Front), और कश्मीर रेजिस्टेंस (Kashmir Resistance) को आतंकी सूची में शामिल करने का फैसला अमेरिका के इमीग्रेशन एंड नेशनलिटी एक्ट की धारा 219 और कार्यकारी आदेश 13224 के तहत लिया गया है.

आदेश के मुताबिक, लश्कर-ए-तैयबा द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे नए नामों द रेजिस्टेंस फ्रंट (The Resistance Front) TRF, कश्मीर रेजिस्टेंस फ्रंट (Kashmir Resistance Front), और कश्मीर रेजिस्टेंस (Kashmir Resistance) के खिलाफ भी अब वही आर्थिक और कानूनी प्रतिबंध लागू होंगे, जो लश्कर ए तैयबा पर लागू हैं. 

एबीपी न्यूज़ को मिले एक्सक्लूसिव दस्तावेज
एबीपी न्यूज़ के पास मौजूद एक्सक्लूसिव दस्तावेजों के मुताबिक, अमेरिकी सरकार ने यह फैसला अमेरिका के अटॉर्नी जनरल और ट्रेजरी सचिव से सलाह के बाद 2 जुलाई 2025 को लिया गया था, जिसे आज आधिकारिक रूप से 18 जुलाई 2025 को ‘फेडरल रजिस्टर’ में प्रकाशित कर दिया है. अमेरिका का फैसला भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत भी है, क्यूंकि अमेरिका ने इन तीनो आतंकी संगठनों को अलग आतंकी संगठन नहीं बल्कि लश्कर ए तैयबा का ही छद्म नाम (off shoot) या फिर हिस्सा (Proxy) माना है. यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्यूंकि भारत भी हमेशा से TRF, KRF और कश्मीर रेजिस्टेंस संगठनों को अलग आतंकी संगठन नहीं बल्कि लश्कर ए तैयबा का ही हिस्सा और ऑफ शूट मानता है ऐसे में अमेरिका ने इस मामले में भारत के रूख को ही अपनाया है.

अमेरिका द्वारा इन संगठनों को लश्कर ए तैयबा का हिस्सा मानते हुए आतंकी सूची में जोड़ने वाला आदेश पाकिस्तान की बड़ी हार है, क्योंकि पाकिस्तान लगातार TRF को ना ही आतंकी संगठन मानता है और ना ही लश्कर ए तैयबा का हिस्सा और तो और UNSC के स्टेटमेंट में पहलगाम आतंकी हमले में TRF के जिक्र को लेकर भी पाकिस्तान ने खुलेआम विरोध किया था और TRF का नाम हटवाया था.

सज्जाद गुल पर 10 लाख का इनाम
जहां TRF, KRF और कश्मीर रेजिस्टेंस दोनों ही आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा के ही छद्म नाम (off shoot) है तो जिस आतंकी सज्जाद गुल से लश्कर ए तैयबा ने TRF, KRF और कश्मीर रेजिस्टेंस का कमांडर बनाया है वो साल 2018 से ही पाकिस्तान में छुपा हुआ है और इस पर एनआईए ने 10 लाख रुपये का इनाम रखा हुआ है. सूत्रों के मुताबिक सज्जाद गुल इस समय पाकिस्तान के रावलपिंडी में रह रहा है.

लश्कर की TRF वाली मोडस ऑपरेंडी की अगर बात करें तो जिस तरह से लश्कर ए तैयबा (LeT) ने भारत में आतंकी हमला करवाने के लिए TRF के नाम का अपना ऑफ शूट आतंकी संगठन जिम्मेदारी लेने के लिए बनाया था तो साल दर साल लश्कर ने TRF जैसे अलग अलग दो और छद्म नाम वाले ऑफ शूट आतंकी संगठन खड़े किए थे, जिनका काम केवल जिम्मेदारी लेना था और ये दो छद्म नाम वाले लश्कर ए तैयबा के ऑफ शूट आतंकी संगठन है कश्मीर रेजिस्टेंस फ्रंट (Kashmir Resistance Front), और कश्मीर रेजिस्टेंस (Kashmir Resistance). इनका प्रयोग लश्कर ए तैयबा ने बीते 2 सालों से करना शुरू किया है. पहलगाम हमले की जिम्मेदारी भी लश्कर ए तैयबा ने कश्मीर रेजिस्टेंस (Kashmir Resistance) नाम के TRF और लश्कर ए तैयबा के छद्म नाम से दिलवायी थी.

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शिवांक मिश्रा साल 2020 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं और इस वक्त एबीपी न्यूज़ में बतौर प्रिंसिपल कॉरेस्पॉन्डेंट कार्यरत हैं. उनकी विशेषज्ञता साइबर सुरक्षा, इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग और जनहित से जुड़े मामलों की गहन पड़ताल में है. कनाडा में खालिस्तानी आतंकियों के शरण मॉड्यूल से लेकर भारत में दवा कंपनियों की अवैध वसूली जैसे विषयों पर कई महत्वपूर्ण खुलासे किए हैं. क्रिकेट और फुटबॉल देखना और खेलना पसंद है.
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