अमेरिका ने PAK के परमाणु वैज्ञानिक को क्यों नहीं मारा? पूर्व CIA एजेंट का खुलासा, कहा- 'सऊदी हमारे पास आए और...'
Abdul Qadeer Khan: पूर्व CIA अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान के वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान को सऊदी अरब का समर्थन प्राप्त था. सऊदी को उस वैज्ञानिक की जान बचाने के लिए यूएस को रिक्वेस्ट करना पड़ा था.

अमेरिका की सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी (CIA) के पूर्व अधिकारी जॉन किरियाकू ने पाकिस्तान के परमाणु बम बनाने को लेकर बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने ये भी बताया कि पाकिस्तान के परमाणु बम के जनक अब्दुल कादिर खान को अमेरिका ने क्यों नहीं मारा. पूर्व CIA अधिकारी ने बताया कि उस समय अमेरिका के पास अब्दुल कादिर खान के बारे में पूरी जानकारी थी, लेकिन फिर उनके अधिकारी ने उसे नहीं मारने का फैसला किया.
'US के पास अब्दुल कादिर की पूरी जानकारी थी'
न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में जॉन किरियाकू ने बताया, "हमारे पास अब्दुल कादिर के ठहरने से लेकर उनके पूरे दैनिक गतिविधियों के बारे में पता था, लेकिन सऊदी अरब के दवाब के कारण उस अभियान को रोकने का निर्देश दिया गया था. मेरा एक सहमकर्मी अब्दुल कादिर केस पर लगा हुआ था. अगर हमने इजरायली तरीका अपनाया होता तो हम उसे मार ही डालते. उसे ढूंढ़ना बहुत आसान था. हम जानते थे कि वह कहां रहता है."
अमेरिका के सामने सऊदी ने किया था रिक्वेस्ट
पूर्व CIA अधिकारी ने बताया, "पाकिस्तानी वैज्ञानिक को सऊदी अरब का भी समर्थन था. उस समय सऊदी अरब हमारे पास आए और कहा कि कृप्या उन्हें छोड़ दीजिए. हम अब्दुल कादिर के साथ काम कर रहे हैं. हम पाकिस्तानियों के करीबी हैं. उन्होंने (पाकिस्तान) फैसलाबाद का नाम किंग फैसल के नाम पर रखा है."
उन्होंने कहा कि बाद में सीनेट की विदेश संबंध समिति के साथ काम करते समय उन्हें पता चला कि सीआईए और अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के कई अधिकारियों ने पुष्टि की थी कि व्हाइट हाउस ने अब्दुल कादिर खान को नहीं मारने का आदेश दिया था.
किरियाको ने दावा किया कि सऊदी अरब की ओर से अब्दुल कादिर को संरक्षण देना उसकी अपनी परमाणु महत्वाकांक्षाओं से जुड़ा हो सकता है. उन्होंने कहा, "हम अक्सर सोचते थे कि क्या ऐसा इसलिए था क्योंकि सऊदी अरब भी परमाणु क्षमता विकसित कर रहा था. मुझे लगता है कि हमें इस बारे में सोचना चाहिए."
कौन थे अब्दुल कादिर खान?
अब्दुल कादिर खान का जन्म साल 1936 में भारत के भोपाल शहर में हुआ था. विभाजन के बाद साल 1952 में वे अपने परिवार के साथ पाकिस्तान चले गए. 2021 में इस्लामाबाद में 85 वर्ष की आयु में उनकी मौत हुई. उन्हें दुनिया के सबसे कुख्यात परमाणु तस्करों में से एक माना जाता था, जिन्होंने उत्तर कोरिया, ईरान और लीबिया जैसे देशों को टेक्नोलॉजी की आपूर्ति की थी.
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Source: IOCL





















