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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब ले लिया वो फैसला जिसका दिल्ली से लाहौर तक पड़ेगा असर! जानिए क्या

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने अपने दूतावासों से वायु गुणवत्ता निगरानी को बंद कर दिया है, जिससे भारत सहित कई देशों में प्रदूषण के लाइव डेटा का अभाव हो गया है.

Trump Administration Stops Air Quality Monitoring: डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने अपने दूतावासों के माध्यम से वायु गुणवत्ता (AQI) की निगरानी बंद कर दी है, जो दुनिया भर में पर्यावरण संबंधी डेटा प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण स्रोत था. इस फैसले से दिल्ली जैसे शहरों में प्रदूषण की सटीक जानकारी प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले डेटा का अभाव हो गया है. इसका प्रभाव वैश्विक स्तर पर महसूस किया जा रहा है.

अमेरिकी दूतावासों से प्रदूषण की लाइव ट्रैकिंग 2008 से की जा रही थी, जो अमेरिका के नागरिकों और अंतरराष्ट्रीय समुदायों को एयर क्वलिटी की सटीक जानकारी उपलब्ध कराती थी. भारत में खासकर दिल्ली में यह डेटा बहुत महत्वपूर्ण था क्योंकि यहां की एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) गंभीर रूप से खराब रहती है. ट्रैकिंग के तहत दिल्ली सहित विभिन्न शहरों में एयर पॉल्यूशन मॉनिटरिंग होती थी, जिससे दुनिया भर के लोग और एजेंसियां प्रदूषण के स्तर को जान पाते थे. इसकी मदद से उचित कदम उठा सकते थे. हालांकि, अब ट्रंप प्रशासन के फैसले के कारण यह सुविधा बंद कर दी गई है.

बजट कटौती और बंद की वजह
अमेरिकी विदेश विभाग ने बजट में कटौती का हवाला देते हुए कहा है कि वह एयर क्वालिटी ट्रैकिंग प्रोग्राम का डेटा टेलिकास्ट बंद कर रहा है. विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा, "बजट की कमी के कारण हमें यह सुविधा बंद करनी पड़ रही है." पुराने डेटा अब भी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) की वेबसाइट पर उपलब्ध रहेंगे, लेकिन लाइव डेटा मंगलवार (3 मार्च) से बंद कर दिया गया है. जब तक नई धनराशि मुहैया नहीं होती तब तक यही स्थिति बनी रहेगी.

चीन और वायु गुणवत्ता डेटा का विवाद
ये पहली बार नहीं है जब अमेरिकी दूतावास का डेटा किसी देश में विवाद का विषय बना हो. चीन में भी अमेरिकी दूतावास के एयर क्वालिटी डेटा को लेकर विवाद हुआ था. ये बात 2014 की है, जब ओबामा एक शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए चीन गए थे. उस समय अमेरिकी दूतावास का डेटा एक ऐप पर शेयर हो गया था. इससे यह पता चला कि चीन की ओर से जारी किए जा रहे प्रदूषण के आंकड़ों और अमेरिकी दूतावास के आंकड़ों में काफी अंतर था. इससे चीन की प्रदूषण डेटा छुपाने की कोशिश उजागर हुई और देश को शर्मिंदगी उठानी पड़ी.

भारत पर क्या असर?
भारत के कई शहरों विशेष रूप से दिल्ली जैसी जगहों पर अमेरिकी दूतावास की तरफ से दिए किए गए एयर क्वालिटी डेटा का इस्तेमाल करता था. जनवरी के महीने में जब दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खतरनाक हो जाता है तो अमेरिकी दूतावास का डेटा अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों और वैज्ञानिकों के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता है.

अब ट्रंप प्रशासन की ओर से इस डेटा को बंद करने के फैसले के बाद अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों को केवल भारत सरकार की तरफ से दिए किए गए डेटा पर निर्भर रहना होगा. इसका मतलब है कि वैश्विक संस्थानों के पास प्रदूषण के स्तर को मापने के लिए एक स्वतंत्र स्रोत नहीं होगा.

वैश्विक पर्यावरणीय प्रभाव
अमेरिकी दूतावास से प्राप्त डेटा न केवल भारत के लिए बल्कि दुनिया भर के देशों के लिए महत्वपूर्ण था. अमेरिकी नागरिक, जो विदेशी शहरों में रहते हैं या यात्रा करते हैं वे अपने स्वास्थ्य के लिए प्रदूषण के स्तर के आधार पर फैसले लेते थे. इस निगरानी प्रणाली के बंद होने से वैश्विक स्तर पर एयर क्वालिटी की सटीक जानकारी प्राप्त करना मुश्किल हो जाएगा.

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