Chile Forests Fire: चिली के जंगलों में लगी आग का क्लाइमेट पर पड़ेगा बुरा असर, अब तक 112 लोगों की हो चुकी है मौत
Chile Forests Fire: चिलीवासी वर्षों से सुनामी के खतरे से परेशान थे, जल निकासी योजनाओं को विकसित करने के लिए यहां काम किए जा रहे थे, लेकिन अब आग के खतरों ने सब कुछ बर्बाद कर दिया है.
Chile Forests Fire: चिली के लोग अभी तक सुनामी खतरों से जूझ रहे थे, लेकिन अब यहां नई समस्या आ धमकी है. चिली के 100 से अधिक जंगलों में लगी आग क्लाइमेट पर बुरा प्रभाव डाल सकती है. कॉन्सेप्सियन विश्वविद्यालय के एक शोधकर्ता फ्रांसिस्को डी ला बैरेरा ने कहा- 2017 में आग की लपटों ने चिली के एक शहर को नष्ट कर दिया और 11 लोगों की जान ले ली थी. वहीं 2023 में लगी आग ने 10 लाख एकड़ से अधिक जंगल को जला दिया और दो दर्जन लोगों की जान ले ली.
अब चिली इस सदी की सबसे घातक जंगल की आग में से एक का सामना कर रहा है. राजधानी सैंटियागो के उत्तर-पश्चिम के मध्य चिली के वालपराइसो क्षेत्र में अलग-अलग पहाड़ों और घनी आबादी वाले इलाकों में आग लगने से कम से कम 112 लोगों की मौत हो चुकी है. उम्मीद जताई जा रही है कि दक्षिण अमेरिका में मनुष्यों द्वारा आग लगाई गई, लेकिन गर्मी और सूखे की वजह से आग ने विकराल रूप धारण कर लिया है.
कोलंबिया में आग आपदा घोषित
रिसर्च के मुताबिक पहाड़ी हवाओं ने इस आग को तटीय क्षेत्र में नीचे की तरफ धकेल दिया, जिसकी वजह से आबादी वाले क्षेत्रों में अधिक गर्मी हो गई है. इसकी वजह से उत्तरी दक्षिण अमेरिका में तापमान रिकॉर्ड तोड़ बढ़ गया है, इसका असर कोलंबिया तक जा चुका है. आग की वजह से कोलंबिया की सरकार ने हाल ही में आग आपदा घोषित की है.
यह घटनाक्रम दर्शाता है कि पूरे दक्षिण अमेरिका के साथ दुनिया के बाकी हिस्सों में ग्लोबल वार्मिंग की वजह से सूखे इलाकों में आग और फैल सकती है. इस आग से उन लोगों को ज्यादा समस्याएं हो रही हैं जो आग को झेलने के आदी नहीं हैं. इन इलाकों में आग बुझाने के पर्याप्त साधन भी नही हैं. रिसर्च के मुताबिक शुष्क हवाओं की वजह से आग और फैल सकती है, और इस मौसम में आग को बुझाना मुश्किल शाबित होगा.
नीदरलैंड में ग्रोनिंगन विश्वविद्यालय के जलवायु वैज्ञानिक राउल कोर्डेरो ने कहा "मौसम पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों को अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है." एक रिपोर्ट के मुताबिक राउल कोर्डेरो पहले चिली में थे. उन्होंने कहा एल नीनो जलवायु पैटर्न के दौरान चिली में आग का प्रकोप आम रहा है, इनमें से हाल में लगी आग की तीव्रता अधिक रही है. उन्होंने कहा कि हाल के कई वर्षों में चिली में इस तीव्रता से आग नहीं फैली है. उन्होंने कहा सरकार की तरफ से यहां के निवासियों को सेलफोन पर अलर्ट जारी किया गया था, लेकिन लोगों को उम्मीद नहीं थी कि उनके घरों की तरफ इतनी तेजी से आग फैल सकती है. इस वजह से लोगों ने सरकारी अलर्ट को नजर अंदाज कर दिया, जिससे मौत का आंकड़ा बढ़ गया.
तापमान में हुई भारी वृद्धि- रिपोर्ट
ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रमंडल वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान संगठन के एक वरिष्ठ प्रमुख अनुसंधान वैज्ञानिक वेन्जू कै ने कहा कि चिली दशकों से सूखे से जूझ रहा है. उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से मौसम में बदलाव हुआ है. यहां का मानसून दक्षिण की तरफ स्थानांतरित हो रहा है. हाल ही में दक्षिणी गोलार्ध में बारिश के बाद शर्दी के महीने में जंगलों में पेड़-पौधे उगे थे और आग लगने से सब नष्ट हो जा रहे हैं. आग की वजह से सर्दी के महीनों में दक्षिण अमेरिका के कई इलाकों में तापमान 38 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है.
एजेंस फ्रांस-प्रेसे की रिपोर्ट के अनुसार चिली ने हाल के वर्षों में अग्निशमन कर्मियों, उपकरणों और प्रौद्योगिकी में भारी निवेश किया है. राष्ट्रपति गेब्रियल बोरिक ने दो साल से भी कम समय में इस तरह के खर्च में 47 प्रतिशत की वृद्धि की है, लेकिन नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ कोलंबिया के प्रोफेसर डोलर्स अर्मेंटेरस ने कहा कि इतने उपकरण भी दक्षिण अमेरिका की इस आग बुझाने के लिए पर्याप्त नही हैं.
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