Bangladesh Hindu Death: बांग्लादेश में भीड़ ने हिंदू युवक दीपू चंद्र को क्यों उतारा मौत के घाट, यूनुस की पुलिस ने उगला सच
बांग्लादेश में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की लिंचिंग का सच सामने आया है. जानिए पुलिस, फैक्ट्री प्रबंधन और जांच एजेंसियों ने क्या कहा.

बांग्लादेश में हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की नृशंस हत्या से बवाल मचा हुआ है. 18 दिसंबर 2025 की रात मयमनसिंह जिले के भालुका इलाके में कट्टरपंथी भीड़ ने ईशनिंदा का आरोप लगाकर दीपू को बेरहमी से पीटा और फिर उसके शव को आग के हवाले कर दिया. दीपू एक कपड़ा फैक्ट्री में काम करता था, उस पर बिना किसी ठोस सबूत के धार्मिक भावना आहत करने का आरोप लगाया गया.
द डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक मयमनसिंह इंडस्ट्रियल जिले के पुलिस अधीक्षक मोहम्मद फरहाद हुसैन खान के अनुसार, उन्हें घटना की जानकारी रात करीब 8 बजे मिली. जब पुलिस टीम मौके की ओर रवाना हुई, तब तक हालात बेहद बिगड़ चुके थे. सड़क पर सैकड़ों लोग जमा थे और भीड़ इतनी उग्र थी कि घटनास्थल तक पहुंचना लगभग नामुमकिन हो गया. पुलिस का कहना है कि अगर समय रहते सूचना मिल जाती तो शायद युवक की जान बचाई जा सकती थी.
हाईवे बना हिंसा का गवाह, तीन घंटे तक ठप रहा ट्रैफिक
पुलिस जब फैक्ट्री के पास पहुंची तो देखा कि भीड़ दीपू के शव को ढाका–मयमनसिंह हाईवे की ओर ले जा रही थी. इस दौरान करीब 10 किलोमीटर लंबा जाम लग गया, जो लगभग तीन घंटे तक चला. ट्रैफिक जाम के कारण न पुलिस ठीक से आगे बढ़ सकी और न ही राहत एजेंसियां समय पर पहुंच पाईं.
फैक्ट्री प्रबंधन की भूमिका भी सवालों के घेरे में
पायनियर निटवेयर बांग्लादेश फैक्ट्री के प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार, शाम करीब 5 बजे कुछ मजदूरों ने हंगामा शुरू किया था. आरोप लगाया गया कि दीपू ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है. हालांकि फैक्ट्री प्रबंधन ने भी यह स्वीकार किया कि इन आरोपों के समर्थन में कोई प्रमाण मौजूद नहीं था. स्थिति को शांत करने के लिए फैक्ट्री के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दीपू से जबरन इस्तीफा लिखवाया ताकि भीड़ शांत हो जाए, लेकिन यह कदम भी नाकाफी साबित हुआ.
शिफ्ट बदलते ही भड़की हिंसा
शाम की शिफ्ट खत्म होते ही दूसरी शिफ्ट के मजदूरों और बाहर के स्थानीय लोगों की भीड़ फैक्ट्री के बाहर जमा हो गई. संख्या बढ़ते ही हालात और बिगड़ गए. रात करीब पौने नौ बजे गुस्साई भीड़ ने फैक्ट्री का गेट तोड़ दिया और दीपू को सिक्योरिटी रूम से बाहर खींच लिया. इसके बाद उसे सरेआम पीटा गया और उसकी मौके पर ही हत्या कर दी गई. कुछ ही देर बाद शव को आग के हवाले कर दिया गया.
जांच में सामने आया सच: आरोप पूरी तरह झूठे
बांग्लादेश की रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) की शुरुआती जांच में यह साफ हुआ है कि दीपू ने न तो सोशल मीडिया पर और न ही कहीं और कोई आपत्तिजनक पोस्ट की थी. अधिकारियों के मुताबिक, ईशनिंदा का आरोप पूरी तरह निराधार था. जांच एजेंसियों का कहना है कि हालात बिगड़ने पर फैक्ट्री को बचाने के लिए दीपू को भीड़ के हवाले कर दिया गया, जो एक गंभीर चूक है.
गिरफ्तारियां हुईं, लेकिन सवाल अब भी बाकी
पुलिस अब तक इस मामले में 12 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. पीड़ित के भाई ने 140 से 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है. जांच जारी है, लेकिन इस घटना ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा व्यवस्था पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं.
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Source: IOCL























