Afghanistan Scud Missiles: अफगानिस्तान के पास कौन सी खतरनाक मिसाइल? जिससे डरा पाकिस्तान! बॉर्डर पर ले आया तालिबान
स्कड-बी मिसाइल एक सामरिक बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसे USSR ने 1950 के दशक में बनाया था. यह मिसाइल आज भी कई देशों की सेनाओं में सक्रिय है, जिनमें उत्तर कोरिया, ईरान, सीरिया और अब अफगानिस्तान शामिल हैं.

अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच रिश्ते अब बेहद खतरनाक दौर में पहुंच गए हैं. 9 अक्टूबर 2025 को पाकिस्तान की वायुसेना ने अफगानिस्तान के काबुल और खोस्त शहरों पर हवाई हमले किए थे, जिसके बाद संघर्ष बढ़ गया है. पाकिस्तानी टैंकों पर भी अफगानिस्तान के सैनिकों का कब्जा हो गया है. इन हमलों के बाद तालिबान सरकार ने पाकिस्तान सीमा के पास सोवियत काल की स्कड-बी (Scud-B) बैलिस्टिक मिसाइलें तैनात कर दीं. इस कदम से पहले से तनावपूर्ण माहौल और बिगड़ गया.
स्कड-बी मिसाइल एक सामरिक बैलिस्टिक मिसाइल है, जिसे सोवियत संघ ने 1950 के दशक में बनाया था. यह मिसाइल आज भी कई देशों की सेनाओं में सक्रिय है, जिनमें उत्तर कोरिया, ईरान, सीरिया और अब अफगानिस्तान शामिल हैं. यह मिसाइल लगभग 300 किलोमीटर की दूरी तक हमला करने में सक्षम है और एक टन तक विस्फोटक लेकर जा सकती है. इसका ईंधन तरल होता है और इसे मोबाइल लॉन्चर वाहन से दागा जाता है. हालांकि इसकी सटीकता आधुनिक मिसाइलों की तुलना में कम है, लेकिन यह अब भी युद्ध के मैदान में खतरनाक मानी जाती है.
अफगानिस्तान को स्कड मिसाइलें कैसे मिलीं
अफगानिस्तान को स्कड मिसाइलें 1980 के दशक में सोवियत संघ से मिली थीं. सोवियत सेना ने अफगान युद्ध के दौरान देश की तत्कालीन सरकार को सैकड़ों मिसाइलें और लॉन्चर दिए थे. उस समय इन मिसाइलों का इस्तेमाल तालिबान के ठिकानों को निशाना बनाने के लिए किया गया था. 1988 के बाद सोवियत सेना के हटने पर कुछ मिसाइलें अफगान इलाके में रह गईं. इन्हीं मिसाइलों पर बाद में तालिबान ने नियंत्रण हासिल कर लिया.
तालिबान के पास स्कड मिसाइलों का नियंत्रण
2021 में जब तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता संभाली, तब उसने देश में बचे सैन्य संसाधनों को अपने नियंत्रण में ले लिया. इसी दौरान उसे पुरानी स्कड-बी मिसाइलें और उनके लॉन्च सिस्टम भी मिले. तालिबान ने इन मिसाइलों को कई बार सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया, ताकि यह दिखाया जा सके कि अब उसके पास “राज्य की सैन्य क्षमता” मौजूद है. यह प्रदर्शन तालिबान की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा भी था, जिससे वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुद को वैध शासन के रूप में पेश करना चाहता था.
तालिबान की नई सैन्य रणनीति
तालिबान पहले गुरिल्ला युद्ध पर निर्भर था, लेकिन अब वह पारंपरिक सैन्य प्रतीकों को अपनाने लगा है. स्कड-बी मिसाइलों की तैनाती उसी दिशा में एक नया कदम है. इससे पाकिस्तान सहित पड़ोसी देशों में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है. तालिबान चाहता है कि पाकिस्तान को यह स्पष्ट संदेश मिले कि अब अफगानिस्तान केवल राइफल या बम से नहीं, बल्कि मिसाइलों से जवाब देने में सक्षम है.
बढ़ती झड़पें और चेतावनियां
हाल ही में पाकिस्तान ने आतंक विरोधी कार्रवाई के नाम पर काबुल और खोस्त पर हमला किया था. इसके बाद तालिबान ने कहा कि उसने दर्जनों पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया है और कुछ को बंदी बना लिया है. तालिबान के प्रवक्ता ने बयान दिया कि पाकिस्तान को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा.
ड्यूरंड रेखा संघर्ष का केंद्र बिंदु
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच की सीमा, जिसे ड्यूरंड रेखा कहा जाता है. यह सीमा 1893 में ब्रिटिश शासन के दौरान तय की गई थी. अफगानिस्तान आज तक इस रेखा को मान्यता नहीं देता, जबकि पाकिस्तान इसे आधिकारिक सीमा मानता है.इस विवाद के कारण सीमा पर झड़पें, घुसपैठ और हवाई संघर्ष आम हो गए हैं.
ये भी पढ़ें: 80 हजार सैनिक लेकर पाकिस्तान से भिड़ा अफगानिस्तान, फिर कैसे कराया सरेंडर, पढ़ें दोनों सेनाओं का मिलिट्री कंपैरिजन
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL





















