योगी सरकार का एलान- अयोध्या को वेटिकन सिटी और मक्का से भी भव्य बनाएंगे
सिद्धार्थनाथ सिंह के मुताबिक़ रेनोवेशन के बाद अयोध्या समूची दुनिया में वेटिकन सिटी और मक्का से भी महत्वपूर्ण धार्मिक शहर हो जाएगा. अयोध्या में इंटरनेशनल एयरपोर्ट, बस स्टेशन और रेलवे स्टेशन के साथ ही मूलभूत संसाधन मुहैया कराए जाएंगे.
प्रयागराज: यूपी की योगी सरकार ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या को लेकर बड़ा एलान किया है. योगी सरकार ने अयोध्या को ईसाइयों के धर्मस्थल वेटिकन सिटी और मुसलमानों की इबादतगाह मक्का शहर से भी भव्य स्वरुप देने और इसको विकसित किये जाने की बात कही है. इस बारे में योगी सरकार के प्रवक्ता और सूबे के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा है कि उनकी सरकार जल्द ही अयोध्या का रेनोवेशन यानी पुनर्निर्माण करने जा रही है. इसके तहत अयोध्या को इंटरनेशनल लेवल पर विकसित किया जाएगा. इसे इतना खूबसूरत व भव्य लुक दिया जाएगा कि दुनिया के नक़्शे में यह वेटिकन सिटी और मक्का से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण हो जाएगा. अयोध्या में इंटरनेशनल एयरपोर्ट, बस स्टेशन और रेलवे स्टेशन के साथ ही मूलभूत संसाधन मुहैया कराए जाएंगे. यहां विकास कार्यों के ज़रिये इसे भव्य लुक तो दिया ही जाएगा, लेकिन साथ ही इसकी पहचान, संस्कृति और मूल से कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी.
सिद्धार्थनाथ सिंह के मुताबिक़ रेनोवेशन के बाद अयोध्या समूची दुनिया में वेटिकन सिटी और मक्का से भी महत्वपूर्ण धार्मिक शहर हो जाएगा. इसे धर्म और पर्यटन दोनों ही नज़रिये से सजाने-संवारने का काम जल्द ही शुरू हो जाएगा. अयोध्या को दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक शहर बनाने के लिए सरकार इंटरनेशनल कंसल्टेंट भी हायर करने जा रही है. सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा है कि अयोध्या का विकास भारतीय शहर की ही तर्ज पर किया जायेगा, लेकिन यह इंटरनेशनल सिटी से भी ज्यादा सुन्दर शहर बनेगा.
छह दिसम्बर को बाबरी विध्वंस की बरसी के मौके पर प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा है कि सरकार पूरी तरह से हर चुनौती से निबटने को तैयार है. उन्होंने कहा है कि पूरी उम्मीद है कि प्रदेश में शान्ति बनी रहेगी और यदि कोई शान्ति भंग करने की कोशिश भी करेगा तो कानून अपना काम करेगा. उन्होंने कहा है कि देश में हिन्दू और मुसलमान सभी अमन और शान्ति चाहते हैं, यही वजह है कि अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुर्नविचार याचिका दाखिल करने वाले पक्षकारों को भी उनके अपने समाज का उन्हें समर्थन तक नहीं मिल रहा है.
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