मायावती को मुस्लिमों का 'दुश्मन' बताने वाले वीडियो का सच!

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में चुनाव का बिगुल बज चुका है. महज पांच दिन बाद 11 फरवरी को पहले चरण का मतदान होना है और इस बीच मायावती के मुस्लिमों पर दिए बयान का एक वीडियो वायरल हो रहा है जो उन्हें मुस्लिमों के विरोधी के तौर पर पेश कर रहा है.
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में मायावती मुस्लिमों के खिलाफ आवाज बुलंद करती दिख रही हैं. मायावती का ये वायरल वीडियो आईबीएन 7 चैनल का 10 नवंबर का बताया जा रहा है लेकिन वीडियो देखकर ये पता नहीं चल रहा है कि वीडियो किस साल का है लेकिन दिन जरूर शुक्रवार दिख रहा था. सोशल मीडिया के जरिए ये वीडियो यूपी के कोने-कोने तक पहुंच रहा है लेकिन सबसे ज्यादा ये पश्चिमी यूपी में फैल चुका है.
चुनाव से ठीक पहले वायरल हुआ ये वीडियो मायावती को नुकसान पहुंचा सकता है क्योंकि यूपी में सत्ता तक पहुंचने का रास्ता मुस्लिम वोटर ही तय करते हैं. यूपी चुनाव में हर पार्टी की नजर इस बात पर है कि मुसलमान वोट किस तरफ जाएगा और इसलिए एसपी से लेकर बीएसपी तक मुस्लिम वोट पाने की हर कोशिश में लगे हैं. मायावती ने 2017 यूपी विधानसभा चुनाव के लिए दलित उम्मीदवारों से भी ज्यादा 97 मुस्लिमों को टिकट दिया है जो अब तक का रिकॉर्ड है.
इस कहानी का सच जानने के लिए हमने वायरल वीडियो की पड़ताल शुरू की. मायावती जानती हैं कि दलित और मुस्लिम वोट उन्हें यूपी की सत्ता की कुर्सी तक पहुंचा सकते हैं और इसीलिए वो अपनी रैली में बीएसपी को मुस्लिमों का एकमात्र हितैषी बताकर वोट बटोरने की कोशिश में जुटी हैं.
सवाल ये है कि अगर मायावती मुस्लिम वोट चाहती हैं तो ये वीडियो कब का है ठीक चुनाव से पहले वीडियो के वायरल होने के पीछे मकसद क्या है?
दावा है कि ये वीडियो सबसे ज्यादा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वायरल हो रहा है. पश्चिमी यूपी खास है क्योंकि यहां मुसलमान वोटर करीब 26 फीसदी है और पिछली बार इस इलाके में 26 मुस्लिम उम्मीदवार चुनकर आये थे. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वायरल वीडियो को लेकर लोग क्या सोच रहे थे ये तो पता चल गया लेकिन वीडियो की असली कहानी क्या है इसकी तहकीकात जारी थी.
वायरल वीडियो के जरिए एबीपी न्यूज़ को दो सुराग मिल रहे थे पहला कि ये वीडियो 10 नवंबर का है और दूसरा शुक्रवार के दिन का है. हमने साल दर साल कैलेंडर में ये जाकर ये जानने की कोशिश की कि वो कौन सा साल था जब 10 नवंबर को शुक्रवार का दिन था. इसके लिए हमें 10 साल पीछे जाना पड़ा क्योंकि वो साल 2006 था.
पड़ताल का अगला हिस्सा मायावती का 10 नवंबर साल 2006 का वो बयान तलाशना था जो वायरल हो रहा था क्योंकि वाकई मायावती ने ये बयान दिया भी या नहीं इस बात की पुष्टि तभी हो सकती है.
हमने एबीपी न्यूज की लाइब्रेरी में पड़ताल की. हमने आर्काइव से मायावती का 10 नवंबर 2006 का वो बयान ढूंढा. हमें 10 नवंबर के दिन यूपी की राजधानी लखनऊ में मायावती की प्रेस कॉन्फ्रेंस का वीडियो मिला.
हमने इस वीडियो का मिलान वायरल हो रहे वीडियो से किया. देखने में तो दोनों वीडियो एक जैसे लग रहे थे लेकिन क्या बयान भी वही था. आप भी सुनिए वो बयान जो हमारी लाइब्रेरी में मिला. बातें करीब-करीब वहीं है फर्क सिर्फ इतना है कि वायरल वीडियो 35 सेकेंड का है जबकि मायावती ने अपनी पूरी बात करीब डेढ मिनट के वीडियो में रखी थी.
पूरी कहानी क्या है? दरअसल साल 2006 में मेरठ में नगर निगम चुनाव थे और अगले साल यानि 2007 में यूपी में विधानसभा चुनाव थे. मायावती ने स्थानीय चुनाव में हिस्सा ना लेने का एलान किया और दावा किया कि उन्होंने जनता से अपने वोट बीजेपी को ट्रांसफऱ करने की अपील की थी.
दरअसल मायावती ने अपने बयान में जिस मौजूदा विधायक की बात की थी वो हाजी याकूब हैं. हाजी याकूब की ही पत्नी नगर निगम चुनाव में खड़ी हुई थीं लेकिन वहां हाजी याकूब की पत्नी हार गई थीं और बीजेपी जीत गई थी. दिलचस्प बात ये है कि मायावती को खरी खोटी सुनाने वाले हाजी याकूब अब दोबारा बीएसपी परिवार का हिस्सा बन चुके हैं और बीएसपी के टिकट पर विधायक का चुनाव लड़ रहे हैं.
एबीपी न्यूज की पड़ताल में सामने आया है कि मायावती ने मुस्लिमों को लेकर ये बयान दिया था लेकिन ये बयान करीब 10 साल पुराना साल 2006 का है. हाल फिलहाल में मायावती ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है. इसलिए इसको जिसतरह से पेश किया जा रहा है वो गलत है क्योंकि चुनाव से पहले मायावती को नुकसान पहुंचाने की मंशा है जबकि उन्होंने फिलहाल ऐसा बयान नहीं दिया है. एबीपी न्यूज की पड़ताल में वायरल वीडियो आधा सच साबित हुआ है.
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Source: IOCL





















