जसवंत सिंह के बेटे और बहू ने वसुंधरा राजे के खिलाफ खोला मोर्चा, बोले- सरकार गिराना है
राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018: अटल बिहारी वाजपेयी की कैबिनेट में मंत्री रहे जसवंत सिंह की बहू चित्रा सिंह ने कहा कि ये जो युद्ध है इसको अब खत्म करने का वक्त आ गया है. आपलोग एकता रुपी शस्त्र को हाथों में उठा लें. वसुंधरा सरकार को गिराना है. यही मेरी आपसे अपील है.

नई दिल्ली: एक तरफ जहां राजस्थान में दोबारा सत्ता में वापसी के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जोर-शोर से प्रचार में जुटी है वहीं दूसरी तरफ बीजेपी में बगावत के स्वर उठने लगे हैं. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंत्री रहे जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह और बहू ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और कहा है कि वसुंधरा सरकार को उखाड़ फेंकने का वत्त आ गया है.
मानवेंद्र सिंह ने 22 सितंबर को बीजेपी से अलग स्वाभिमान रैली का एलान किया है. सिंह का कहना है कि 22 सितंबर की इस रैली में ही उनकी आगे की राजनीतिक राह का फैसला होगा. सिंह ने हालांकि स्पष्ट कहा है कि यह रैली किसी वर्ग (राजपूत) विशेष की नहीं है बल्कि इसमें राज्य की सभी 36 कौमों के 'स्वाभिमानियों' को बुलाया गया है.
बीजेपी के बागी नेता मानवेंद्र सिंह का साथ उनकी पत्नी चित्रा सिंह भी दे रही हैं. स्वाभिमान रैली की तैयारियों की एक बागडोर चित्रा सिंह संभाल रही हैं. घूंघट ओढ़े चित्रा सिंह ने एक सभा में बीजेपी की गौरव यात्रा पर सवाल उठाते हुए कहा, ''ये जो वसुंधरा की गौरव यात्रा निकल रही है. नाम दिया है गौरव यात्रा. इससे पहले सुराज यात्रा निकाली गई थी तो किसी को सुराज मिला क्या? और अब ये पता नहीं कौन से गौरव की यात्रा निकाल रही हैं?''

उन्होंने कहा, ''ये जो युद्ध है इसको अब खत्म करने का वक्त आ गया है. ये मौका ईश्वर ने अच्छा दे दिया है, आपलोग एकता रुपी शस्त्र को हाथों में उठा लें. वसुंधरा सरकार को गिराना है. यही मेरी आपसे अपील है.''
मानवेंद्र सिंह के बागी रुख पर बाड़मेड़ से सांसद कर्नल सोना राम ने कहा कि ये बात है कि विधायक नाराज रहते हैं. ये लोग बीजेपी की गौरवयात्रा से अलग हैं. मानवेंद्र अभी प्रदेश की शिव विधानसभा सीट से विधायक हैं. मानवेंद्र ने बीजेपी से अलग होने या कांग्रेस के साथ जाने की अटकलों पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया. उन्होंने यह कहकर बात टाल दी कि अब आगे की राजनीतिक राह का फैसला तो स्वाभिमान रैली में ही होगा.
मुख्यमंत्री राजे ने अपनी मौजूदा राजस्थान गौरव यात्रा के रूट में बाड़मेर लोकसभा क्षेत्र को शामिल नहीं किया वहीं मानवेंद्र और उनकी पत्नी स्वाभिमान रैली के लिए जनसंपर्क में जुटे रहे.
पुरानी है लड़ाई
ध्यान रहे कि वसुंधरा और जसवंत सिंह में अदावत पुरानी है. 2014 में जसवंत सिंह को लोकसभा टिकट नहीं मिलने के बाद से ये लड़ाई खुल कर सामने आ गई थी. 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेसी नेता कर्नल सोना सिंह को बीजेपी ने बाड़मेर से टिकट दिया था. चुनाव में जसवंत को हराने के लिए सीएम वसुंधरा ने पूरी ताकत झोंक दी थी. इसकी वजह से बाड़मेर लोकसभा चुनाव में जसवंत सिंह को हार मिली.
बाद में अनुशासनहीनता के आरोप में उन्हें पार्टी से भी निष्कासित कर दिया गया. चुनाव के थोड़े दिनों बाद ही जसवंत की तबीयत भी बिगड़ने लगी और कभी अटल-आडवाणी के साथ मिलकर बीजेपी को बनाने वाले जसवंत सिंह आज बीजेपी में हाशिये पर हैं.
बीजेपी बोली- मानवेंद्र से बातचीत जारी
बीजेपी और मानवेंद्र के बीच जारी खींचतान के मुद्दे पर जब पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष मदन सैनी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पार्टी ने मुद्दों पर विचार के लिए मानवेंद्र से संपर्क किया है. उन्होंने कहा, ‘‘बातचीत चल रही है. हमने उनसे पहले भी संपर्क किया था और जो भी मुद्दे हैं उन पर बात करेंगे.’’
वहीं बाड़मेर में बीजेपी के जिलाध्यक्ष जालम सिंह रावलोट ने दावा किया है कि इलाके के राजपूत बीजेपी के साथ हैं और उनमें पार्टी से किसी तरह की नाराजगी नहीं है. प्रस्तावित रैली को सामाजिक कार्यक्रम बताते हुए उन्होंने कहा कि इसका कोई राजनीतिक असर नहीं होगा.
मानवेंद्र की स्वाभिमान रैली बाड़मेर और जोधपुर के बीच स्थित पचपदरा में प्रस्तावित है. पचपदरा में हाल ही में बीजेपी और कांग्रेस ने भी बड़ी सभाओं के जरिए अपनी ताकत दिखाई है.
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Source: IOCL





















