बिहार: नीतीश के 'सड़कछाप' वाली टिप्पणी के विरोध में महागठबंधन के नेताओं ने निकाला मार्च
राज्यपाल से मिलकर बाहर लौटे प्रतिनिधिमंडल में शामिल आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे ने कहा कि नीतीश कुमार केवल सीएम ही नहीं बल्कि सदन के नेता भी हैं. सदन के नेता होने के नाते उनका दायित्व है कि सभी दल के नेताओं का सम्मान करें.

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के तथाकथित 'सड़कछाप' वाले बयान से आहत महागठबंधन के नेता आज राजभवन मार्च के लिए निकले. पटना के हड़ताली मोड़ पर पुलिस ने बैरिकेडिंग कर बड़ी संख्या में शामिल कार्यकर्ताओं को रोक दिया. हालांकि उनमें से विपक्षी पार्टियों के प्रतिनिधिमंडल को राज्यपाल ने वार्ता करने के लिए बुलाया. इनमें आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष रामचन्द्र पूर्वे, वीआईपी के अध्यक्ष मुकेश सहनी, हम प्रवक्ता दानिश रिजवान और आरएलएसपी के सत्यानंद दांगी समेत सभी विपक्षी पार्टियों के नेता शामिल थे.
राज्यपाल से मिलकर बाहर लौटे प्रतिनिधिमंडल में शामिल आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे ने कहा कि नीतीश कुमार केवल सीएम ही नहीं बल्कि सदन के नेता भी हैं. सदन के नेता होने के नाते उनका दायित्व है कि सभी दल के नेताओं का सम्मान करें. मुख्यमंत्री किसी को 'नीच' कहते हैं तो कभी 'सड़कछाप' कहते हैं. हम सड़कछाप नहीं हैं, आपको कुर्सी से हटाने वाले लोकतंत्र पर विश्वास रखने वाले पॉलिटिकल पार्टी हैं. सारी बातों को हमने महामहिम से कहा है.
रामचंद्र पूर्वे ने कहा कि मुख्यमंत्री को एहसास हो गया है कि 2019 के चुनाव में वे कहीं भी बीजेपी और आरएसएस को सीटें नहीं दिला पाएंगे. 2020 का जो विधानसभा का चुनाव होगा उसमें सफाया होगा. यह एक मेंटल केस बन गया है.
बता दें कि इससे पहले बड़ी संख्या में मौजूद नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बिहार सरकार के खिलाफ नारे लगाए. इस दौरान उनकी पुलिस से हल्की नोंकझोंक भी हुई. कार्यकर्ता लगातार उग्र होते चले गए, लेकिन पुलिस के आगे उनकी एक न चली, और वे हड़ताली मोड़ से ही वापस लौट गए.
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