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चुनावी नतीजों से मिलेगा बिहार की सियासत को नई दिशा, कई बड़े चेहरों की किस्मत का होगा फैसला

केंद्र में सरकार बनाने के लिए 40 का आंकड़ा बहुत मायने रखता है. एनडीए का दावा है कि इस बार जनता उन्हें एक बार फिर अपना समर्थन देगी तो वहीं महागठबंधन का कहना है कि इस बार नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं बना पाएंगे.

Lok Sabha Election 2019: थोड़ी ही देर में लोकसभा चुनाव के नतीजे आने लगेंगे. इस बार देश की 542 लोकसभा सीटों पर चुनाव हुए. आज ये पता चल जाएगा कि केंद्र की कुर्सी पर कौन काबिज होगा. ऐसे में 40 सीटों वाले राज्य बिहार पर भी सबकी नजरें हैं. यहां मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच माना जा रहा है. एनडीए में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू, बीजेपी और रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी शामिल हैं. वहीं महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, आरएलएसपी, हम और वीआईपी पार्टी शामिल हैं.

इस बार का लोकसभा चुनाव बिहार में एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए बेहद अहम हैं. एनडीए में नीतीश कुमार की वापसी हो चुकी है और वो खुद को मजूबत मान रही है तो वहीं महागठबंधन में लालू यादव की ‘साख’ दांव पर लगी है. लालू यादव की गैरमौजूदगी में उनके छोटे बेटे तेजस्वी यादव आरजेडी की कमान संभालने हुए हैं. तेजस्वी के लिए भी ये चुनाव कड़ी परीक्षा की तरह ही है. दिल्ली से लेकर पटना तक वे सक्रिय दिखे. महागठबंधन को जीत दिलाने के लिए उन्होंने अपनी पूरी ताकत झोंकी और दूसरे सीनियर नेताओं ने भी उनका साथ दिया. अगर तेजस्वी के नेतृत्व में उनकी पार्टी बेहतर प्रदर्शन करती है तो उनका राजनीतिक कद बढ़ेगा.

बहुमत के लिए महत्वपूर्ण है 40 सीटों का आंकड़ा

केंद्र में सरकार बनाने के लिए 40 का आंकड़ा बहुत मायने रखता है. एनडीए का दावा है कि इस बार जनता उन्हें एक बार फिर अपना समर्थन देगी तो वहीं महागठबंधन का कहना है कि इस बार नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं बना पाएंगे. एनडीए दावा कर रहा है कि बिहार में वे 30 से ज्यादा सीटें जीतेंगे.

बिहार के नतीजे इसलिए भी अहम हो जाते हैं क्योंकि अगले साल वहां विधानसभा चुनाव होंगे. राज्य में विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं. लोकसभा चुनाव में जो पार्टी बाजी मारेगी उसका मनोबल ऊंचा रहेगा. बिहार में फिलहाल जेडीयू और बीजेपी की एनडीए सरकार है. 2015 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी ने 80, जेडीयू ने 71, बीजेपी ने 53 और कांग्रेस ने 71 सीटें जीती थीं. तब आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस ने मिलकर महागठबंधन की सरकार बनाई थी और नीतीश कुमार सीएम बने. लेकिन 2017 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़ दिया और बीजेपी के साथ मिलकर एनडीए की सरकार बनाई. उधर आरजेडी तेजस्वी यादव में बिहार का भावी सीएम देखती है. राबड़ी देवी कहती हैं, ‘नून रोटी खाएंगे तेजस्वी को सीएम बनाएंगे’.

विपक्ष के निशाने पर नीतीश कुमार

इस चुनाव में नीतीश कुमार ने अपने विकास कार्य के नाम पर लोगों से वोट देने की अपील करते दिखे. वे अपने ‘सुशासन-बाबू’ और ‘विकास-पुरुष’ वाली छवि को बरकरार रखना चाहते हैं. महागठबंधन का साथ छोड़ बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने के बाद से ही नीतीश विपक्ष के निशाने पर हैं. खासकर आरजेडी लगातार उनपर जनादेश के अपमान का आरोप लगाती रही है. ऐसे में इस चुनाव में अगर एनडीए बेहतर नंबर पाती है तो इससे ये साफ हो जाएगा कि विपक्ष के आरोपों से जनता ने सहमति नहीं जताई है. अगर महागठबंधन बेहतर प्रदर्शन करती है तो ये एनडीए के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकती है.

इस चुनाव में मंचों के जरिए महागठबंधन ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों को निशाने पर लिया. तेजस्वी ने रोजगार जैसे मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा तो वहीं अपराध जैसे मुद्दों पर नीतीश सरकार को निशाने पर लिया. महागठबंधन के दूसरे दलों ने भी नीतीश कुमार को घेरा. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बिहार में अपनी रैलियों के दौरान ‘न्याय योजना’ का जिक्र किया. उन्होंने नोटबंदी और जीएसटी जैसे विषयों पर केंद्र सरकार पर निशान साधा. वहीं राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने विकास कार्यों का जिक्र किया. उन्होंने बालाकोट एयर स्ट्राइक का भी जिक्र किया. वहीं बीजेपी ने राष्ट्रवाद के मुद्दे पर जनता को अपनी तरफ खींचने की कोशिश की. आतंकवाद के खिलाफ मोदी सरकार की कार्रवाई का जिक्र किया. बीजेपी ने लालू-राबड़ी राज का जिक्र करते हुए आरजेडी पर हमला किया.

महागठबंधन में कौन कितने सीटों पर लड़ रहा है

एनडीए में बीजेपी और जेडीयू के खाते में बराबर-बराबर 17 और बची छह सीटें एलेजपी के खाते में गई. वहीं महागठबंधन में आरजेडी 19, कांग्रेस नौ, आरएलएसपी पांच, हम और वीआईपी को तीन-तीन सीटें दी गई. इसके अलावा एक सीट भाकपा (माले) के लिए छोड़ी गई.

एनडीए और महागठबंधन के कई बड़े चेहरे भी मैदान में हैं जिनकी किस्मत का फैसला कल होना है. बीजेपी का साथ छोड़ चुके शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस के टिकट पर पटना साहिब से चुनाव लड़ रहे हैं. यहां उनका मुकाबला केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से है. सबसे ज्यादा सुर्खियों में रही बेगूसराय सीट के नतीजों में भी लोगों को बेहद दिलचस्पी है. यहां मुकाबला त्रिकोणीय माना जा रहा है. यहां से केंद्रीय मंत्री और बीजेपी उम्मीदवार गिरिराज सिंह मैदान में हैं. वहीं आरजेडी ने अपने सीनियर नेता तनवीर हसन को दोबारा मैदान में उतारा है. सीपीआई ने जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्य़क्ष कन्हैया कुमार को मैदान में उतारा हुआ है.

शरद यादव की किस्मत दांव पर

इसके अलावा मधेपुरा से शरद यादव आरजेडी के टिकट पर मैदान में हैं. पालटिपुत्र सीट पर लालू यादव की बेटी मीसा भारती एक बार फिर अपनी किस्मत आजमा रही हैं. मीसा का मुकाबला बीजेपी के रामकृपाल यादव से है जिनके हाथों 2014 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. पूर्वी चंपारण से कृषि मंत्री राधामोहन सिंह मैदान में हैं. काराकाट और उजियारपुर सीट से आरएलएसपी अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा चुनाव लड़ रहे हैं.

एग्जिट पोल के नतीजे

अगर एग्जिट पोल्स के आंकड़ें को देखें तो बिहार में एनडीए की राह बेहद आसान नजर आती है. एग्जिट पोल्स के मुताबिक बिहार में एनडीए 30 से ज्यादा सीटें जीत सकती हैं. ये आंकड़ें महागठबंधन के खेमे के लिए सही संकेत नहीं दे रहे हैं. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के मुताबिक बिहार में एग्जिट पोल के आंकड़ें उलट जाते हैं, ये यहां का इतिहास रहा है. वहीं एलजेपी नेता चिराग पासवान एग्जिट पोल के आंकड़ों से समहत हैं. उनका मानना है कि जनता ने एनडीए का साथ दिया है.

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