गोरखपुर: 100 किलो मसूर की दाल से बनी मां दुर्गा की भव्य प्रतिमा, बनेगी भक्तों के आकर्षण का केन्द्र
कलाकार प्रवीण विश्वास गोरखपुर रेलवे स्टेशन के सामने मां दुर्गा की इस भव्य प्रतिमा को बनाने में जुटे हैं. वे बताते हैं कि मूर्ति में करीब सौ किलो दाल खर्च हो रही है. चूहा, हंस, सांप से लेकर राक्षस की मूर्ति भी दाल से ही बन रही है.

गोरखपुर: शारदीय नवरात्र आज बुधवार से शुरू हो गया. कलाकार मां दुर्गा की प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं. साहबगंज किराना मंडी में इस बार मसूर की दाल से बनी प्रतिमा आकर्षण का केन्द्र होगी. ईको फ्रेंडली प्रतिमाएं वैसे तो काफी पहले से बन रही हैं. लेकिन, इस बार ये प्रतिमा मां दुर्गा के भक्तों के लिए आकर्षण का केन्द्र होगी.

किराना मंडी में इस बार बैठने वाली मां दुर्गा की प्रतिमा के साथ गणेश और कार्तिकेय की प्रतिमा बनाने में भी मसूर की दाल का प्रयोग किया जा रहा है.कलाकार प्रवीण विश्वास गोरखपुर रेलवे स्टेशन के सामने मां दुर्गा की इस भव्य प्रतिमा को बनाने में जुटे हैं. वे बताते हैं कि मूर्ति में करीब सौ किलो दाल खर्च हो रही है. चूहा, हंस, सांप से लेकर राक्षस की मूर्ति भी दाल से ही बन रही है. इसके अलावा बांस, मिट्टी और पुआल का प्रयोग किया जाएगा. मूर्ति के ऊपरी सतह पर मसूर की दाल लगने से प्रतिमा काफी आकर्षक दिख रही है.

63 साल के प्रवीण विश्वास पश्चिम बंगाल के नवदीप धाम के रहने वाले हैं. वे 48 साल से गोरखपुर में प्रतिमाएं बना रहे हैं. प्रवीण बताते हैं कि उनके साथ पश्चिम बंगाल से 30 कारीगर यहां पर काम कर रहे हैं. वे बताते हैं कि इस बार 55 मूर्तियों का आर्डर मिला है. एक मूर्ति बनाने में 100 किलो मसूर की दाल का प्रयोग किया गया है. मूर्तियों को बनाने में हर्बल पेंट का इस्तेमाल किया जा रहा है.
रेलवे स्टेशन, गोरखनाथ, मेडिकल रोड, कूड़ाघाट, खोराबार, सूबा बाजार और रेतीरोड पर स्थापित होने वाली मूर्तियों को वे तैयार कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि इको फ्रेंडली इस मूर्ति की कीमत 40,000 हजार रुपए है. वे बताते हैं कि वे अपने कला की कीमत ले रहे हैं. हालांकि आम मूर्तियां भी 25 से 30 हजार रुपए की पड़ती हैं.

मूर्ति का आर्डर देने वाले मनीष मद्धेशिया बताते हैं कि वे इस बार मसूर की दाल की बनी इको फ्रेंडली प्रतिमा तैयार करवा रहे हैं. उनका कहना है कि जहां देश में प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है. ऐसे में हम सभी का दायित्व है कि हम पर्यावरण की सुरक्षा के लिए ऐसी मूर्तियां तैयार करवाएं, जो पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाएं. यही वजह है कि उन लोगों ने इस बार ये तय किया कि वे लोग मसूर की दाल से बनी मां दुर्गा की भव्य प्रतिमा को स्थापित करेंगे. उनका कहना है कि लोगों को इससे सीख लेनी चाहिए और पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखकर ईको-फ्रेंडली प्रतिमा स्थापित करें.
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Source: IOCL























