Yogi Panchur Visit: अजय सिंह बिष्ट के योगी आदित्यनाथ बनने की कहानी ?
Yogi Aaditynath:पिता को लगता था कि उनका बेटा पढ़ लिखकर बड़ा आदमी बनेगा लेकिन उसने ये कैसा फ़ैसला कर लिया. घर से मोह त्याग कर एक संन्यासी बनकर कैसे रहेगा. मां सावित्री देवी को भी बेटे का अलगाव सता रहा था.
CM Yogi Adityanath Panchur Visit: उत्तराखंड के पौड़ी ज़िले के पंचुर गांव में वन विभाग में काम करने वाले आनंद सिंह बिष्ट और सावित्री देवी के 7 बच्चे हैं. इसमें तीसरे बेटे का नाम अजय बिष्ट था. गांव में रहने वाले अजय सिंह बिष्ट पढ़ने में तेज़ थे तो उन्होंने इंटर के बाद ग्रजुऐशन और पोस्ट ग्रेजुऐशन किया. पढ़ाई के दौरान वो पंचुर के पास कांडी गांव के रहने वाले संत महंत अवैद्यनाथ के सम्पर्क में आये. अवैद्यनाथ महाराज गोरखपुर के गोरखनाथ मठ के महंत थे और उन्हें एक योग्य उत्तराधिकारी की तलाश थी.
इसी बीच अजय सिंह बिष्ट के व्यवहार और तेज़ से प्रभावित होकर महंत अवैद्यनाथ ने अजय सिंह बिष्ट को साथ चलने को कहा. जीवन के मायने समझने और संन्यास से प्रभावित होकर अजय सिंह बिष्ट महंत अवैद्यनाथ के साथ चल पड़े. अजय ने घर में मां को तो इस बात का इशारा कर दिया लेकिन पिता से कहा कि वो नौकरी करने जा रहे हैं. गोरखपुर जाकर जब संन्यास लेने का फ़ैसला अजय सिंह बिष्ट ने कर लिया तब तक पिता इस फ़ैसले से अनभिज्ञ थे. अपने गुरु से दीक्षा लेने के बाद उनका नाम पड़ा 'योगी आदित्यनाथ'.
संन्यास के बारे में पिता को क्या बताया था ?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक परिजन, जिन्होंने ऑफ रिकॉर्ड बातचीत में बताया कि संन्यास के बाद घर वालों से मोह त्याग कर पूरी तरह संन्यासी का जीवन जीने वाले योगी आदित्यनाथ ने संन्यास के बाद पिता को सूचना देने के लिए पोस्टकार्ड का सहारा लिया. सन्यास के बाद पोस्ट कार्ड में योगी ने लिखा कि 'आज से अजय सिंह बिष्ट ख़त्म हो गया'. पोस्ट कार्ड पाकर पिता परेशान हुए, मां फूट-फूटकर रोईं और घरवाले बेहद दुखी हो गए.
पिता को लगता था कि उनका बेटा पढ़ लिखकर बड़ा आदमी बनेगा लेकिन उसने ये कैसा फ़ैसला कर लिया. घर से मोह त्याग कर एक संन्यासी बनकर कैसे रहेगा. माँ सावित्री देवी को भी बेटे का अलगाव सता रहा था. घरवालों को अगर किसी बात की संतुष्टि थी तो इस बात की कि उनका अजय जो अब योगी बन गया है वो महंत अवैद्यनाथ जी के सानिध्य में है.
पहली बार इस उम्र में सांसद बने थे योगी आदित्यनाथ
अवैद्यनाथ महाराज का राम मंदिर आंदोलन की वजह से बड़ा नाम था. पिता भी विचारधारा से संघ से जुड़े थे. ऐसे में बड़े संत का सानिध्य ही परिवार की संतुष्टि का सहारा था. इसके बाद गोरखपुर से जब योगी आदित्यनाथ ने 26 साल की उम्र में चुनाव लड़कर संसद का रास्ता तय किया तो परिवार बेहद खुश था.
योगी आदित्यनाथ ने अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कभी परिवार के लिए नहीं किया. पंचुर गांव में आज भी साधारण सा मकान है, जिसमें उनके पूर्वाश्रम के परिजन रहते हैं. शशि नाम की एक बहन अब भी नीलकंठ मंदिर के बाहर फूल माला की दुकान चलाती हैं तो वहीं एक भाई सेना में कार्यरत है. दो भाई गांव के पास चंदे से बनाये गए एक कॉलेज का प्रबंधन देखते हैं.
अपनी मां से आखिरी बार कब मिले थे योगी आदित्यनाथ ?
पिता जब गम्भीर रूप से बीमार थे तो एक बार योगी उन्हें देखने जरूर गए लेकिन साल 2020 में जब कोविड का पहला वेव अपने चरम पर था, तभी पिता चल बसे. कोविड प्रबंधन में लगे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तब अंत्येष्टि में न जाने का फैसला किया. इसके बाद मां की कोशिश थी कि कम से कम एक बार योगी आदित्यनाथ अपने पंचुर स्थित घर आएं.
मार्च 2022 में दोबारा यूपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी ने कहा कि वो जल्द ही अपनी मां से मिलने अपने घर जाएंगे. इसी वायदे को पूरा करने योगी आदित्यनाथ अपने गांव पहुंच रहे हैं. अपने बेटे को देखने की सालों पुरानी ख्वाहिश पूरी होने की उम्मीद में घर में बैठी मां सावित्री देवी ख़ुश भी बताई जा रही हैं और भावुक भी.
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