फेक न्यूज फैलाने वालों की खैर नहीं! AI से डीप फेक बनाना पर क्या मिलेगी सजा? जानें सरकार ने संसद में क्या बताया
भारत सरकार से शीतकालीन सत्र के दौरान फेक न्यूज रोकने को लेकर सवाल किए गए. जिसका जवाब सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दिया.

भारत सरकार सोशल मीडिया पर फेक न्यूज को रोकने को लेकर कितनी गंभीर है, इसको लेकर आज सदन में सवाल-जवाब देखने को मिला. आज लोकसभा सांसद राजेश रंजन ने सूचना प्रसारण मंत्री से फेक न्यूज को लेकर सवाल पूछा. सावल में पूछा कि फेक न्यूज को रोकने को लेकर सरकार कितनी गंभीर है और फेक न्यूज को रोकने के लिए क्या कर रही है? इसको लेकर जानकारी मांगी गई थी.
सरकार ने क्या जवाब दिया?
प्रश्न का जवाब देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया पर चल रही फेक न्यूज़ और एआई-जनित डीपफेक को देश के लोकतंत्र के लिए ख़तरा बताया. उन्होंने बताया कि गलत सूचना फैलाने वाले तंत्र संविधान और संसद द्वारा बनाए गए कानूनों का पालन नहीं करना चाहते, इसलिए उन पर सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है.
'नए नियम लागू किए गए'
अश्विनी वैष्णव ने सदन को जानकारी देते हुए बताया कि हाल ही में नए नियम लागू किए गए हैं. उनके मुताबिक 36 घंटे के भीतर फेक कंटेंट हटाने की बाध्यता शामिल है. इसके अलावा एआई-जनित डीपफेक की पहचान और कार्रवाई के लिए एक मसौदा नियम भी जारी किया गया है, जिस पर परामर्श जारी है.
'सरकार संवेदनशील है'
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि फेक न्यूज़ और सोशल मीडिया से जुड़े मुद्दे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र की सुरक्षा के बीच एक संवेदनशील संतुलन रखते हैं. सरकार इस संतुलन को लेकर पूरी तरह संवेदनशील है.
उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में डिजिटल इंडिया ने तकनीक को आम लोगों तक पहुंचाया है, जिसका सकारात्मक प्रभाव स्पष्ट रूप से दिख रहा है.
'सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल को रोकना जरूरी'
सूचना प्रसारण मंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया हर व्यक्ति को अपनी बात रखने का मंच देता है, लेकिन इसी के साथ गलत सूचना के दुष्प्रभावों को रोकने के लिए संस्थाओं को मजबूत करना और समाज में भरोसे को बनाए रखना भी उतना ही आवश्यक है. सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है.
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