'इतना लेट और वो भी सिर्फ 15 दिनों का', संसद के शीतकालीन सत्र पर कांग्रेस ने उठाए सवाल
Parliament Winter Session: मॉनसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 21 अगस्त को अपने निर्धारित समय से एक दिन पहले ही समाप्त हो गया था. यह सत्र लगातार विपक्ष के विरोध और हंगामों की वजह से बाधित रहा.

संसद का शीतकालीन सत्र इस बार 1 दिसंबर से 19 दिसंबर तक चलेगा. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने केंद्र सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इसकी जानकारी संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा की. उन्होंने कहा कि यह सत्र रचनात्मक और सार्थक चर्चाओं का अवसर देगा और इससे लोकतंत्र और मजबूत होगा.
किरेन रिजिजू ने कहा- जनता की उम्मीदों को पूरा करेगा सत्र
रिजिजू ने अपने पोस्ट में लिखा कि राष्ट्रपति ने 1 दिसंबर से 19 दिसंबर 2025 तक संसद का शीतकालीन सत्र बुलाने की अनुमति दे दी है, जो संसदीय कार्यों की अनिवार्यताओं पर निर्भर करेगा. उन्होंने इसे एक रचनात्मक और अर्थपूर्ण सत्र बताया, जो जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास करेगा.
मॉनसून सत्र में हंगामा और कम प्रोडक्टिविटी
मॉनसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 21 अगस्त को अपने निर्धारित समय से एक दिन पहले ही समाप्त हो गया था. यह सत्र लगातार विपक्ष के विरोध और बार-बार उठे हंगामों की वजह से बाधित रहा. विपक्ष बिहार में वोटर लिस्ट के स्पेशल समरी रिवीजन (SIR) पर चर्चा की मांग कर रहा था, जिसके चलते कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी.
लोकसभा का कैसा रहा कामकाज?
मॉनसून सत्र में लोकसभा की प्रोडक्टिविटी लगभग 31 प्रतिशत रही, जबकि राज्यसभा की प्रोडक्टिविटी करीब 39 प्रतिशत दर्ज की गई. इस सत्र में लोकसभा में कुल चौदह बिल पेश किए गए थे. इनमें से बारह बिल लोकसभा से पारित हुए, जबकि राज्यसभा ने पंद्रह बिल मंजूर किए. दोनों सदनों से कुल पंद्रह बिलों को मंजूरी मिली और एक बिल लोकसभा से वापस ले लिया गया.
सत्र के दौरान भारत की सफल आतंकवाद-रोधी कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विशेष चर्चा भी की गई. यह चर्चा लोकसभा में 28 और 29 जुलाई को व राज्यसभा में 29 और 30 जुलाई को आयोजित हुई थी. यह ऑपरेशन, पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में किया गया था.
कांग्रेस ने पूछा- सत्र इतना छोटा क्यों रखा गया?
शीतकालीन सत्र की तारीखों को लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि सामान्यतः यह सत्र 20 से 23 नवंबर के बीच शुरू होता है और 3 से 4 हफ्ते तक चलता है, लेकिन इस बार इसे 1 दिसंबर से शुरू कर केवल 15 दिनों का रखा गया है. जयराम रमेश ने सवाल उठाया कि सरकार किस बात से बचने की कोशिश कर रही है.
उन्होंने कहा कि क्या दिल्ली के बढ़ते प्रदूषण के चलते सत्र छोटा किया गया है, या सरकार के पास कोई बिल और चर्चा का मुद्दा ही नहीं है? उन्होंने यह भी संकेत दिया कि क्या यह कदम इस बात का संकेत है कि जल्द ही लोकसभा चुनाव की घोषणा हो सकती है. उनके अनुसार, यह पहली बार है जब सरकार इतनी जल्दी सत्र को निपटाने की कोशिश करती दिख रही है.
Source: IOCL






















