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कौन हैं निताशा कौल? जिन्हें कर्नाटक सरकार के न्योते के बाद भी भारत में नहीं मिली एंट्री
Nitasha Kaul Profile: भारतीय मूल की ब्रिटिश प्रोफेसर निताशा कौल की इन दिनों काफी चर्चा हो रही है. लंदन से बेंगलुरु एयरपोर्ट पर पहुंची निताशा को इंडिया में एंट्री नहीं मिली.
![कौन हैं निताशा कौल? जिन्हें कर्नाटक सरकार के न्योते के बाद भी भारत में नहीं मिली एंट्री Who Is UK Based Professor and Indian Origin Nitasha Kaul denied to enter in India While she has Invitation of Karnataka Government कौन हैं निताशा कौल? जिन्हें कर्नाटक सरकार के न्योते के बाद भी भारत में नहीं मिली एंट्री](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/02/26/5f05cc32b57a6d90884e8cf59f07832e1708923359204426_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Who Is Nitasha Kaul: ब्रिटेन की वेस्टमिंस्टर यूनिवर्सिटी में भारतीय मूल की प्रोफेसर निताशा कौल को भारत में एंट्री नहीं करने दी गई. ऐसा दावा उन्होंने खुद किया है. निताशा कौल ने दावा करते हुए कहा कि दिल्ली से आदेश के आधार पर बेंगलुरु एयरपोर्ट से ही उन्हें लंदन भेज दिया गया. उन्हें कर्नाटक सरकार ने 24 और 25 फरवरी को आयोजित संविधान और राष्ट्रीय एकता सम्मेलन -2024 में स्पीकर के तौर पर निमंत्रण भेजा गया था.
निताशा कौल के मुताबिक, लोकतांत्रिक और संवैधानिक मूल्यों पर उनकी राय के कारण उन्हें प्रवेश नहीं करने दिया गया. उन्होंने यह भी कहा कि हवाई अड्डे के अधिकारियों ने आरएसएस पर उनकी पिछली आलोचना का संदर्भ दिया.
क्या कहा निताशा कौल ने?
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर उन्होंने लिखा, “मुझसे सिर्फ इतना कहा गया कि हम कुछ नहीं कर सकते, क्या करें दिल्ली से आदेश है. मेरे ट्रैवल और लॉजिस्टिक की व्यवस्था कर्नाटक सरकार की ओर से की गई थी और मेरे पास इसका ऑफिशियल लेटर भी था. मुझे दिल्ली से पहले से कोई सूचना नहीं दी गई थी कि मुझे एंट्री नहीं मिलेगी.”
I was given no reason by immigration except ‘we cannot do anything, orders from Delhi’. My travel & logistics had been arranged by Karnataka & I had the official letter with me. I received no notice or info in advance from Delhi that I would not be allowed to enter.
— Professor Nitasha Kaul, PhD (@NitashaKaul) February 25, 2024
उन्होंने आगे कहा, “मैंने लंदन से बेंगलुरु की फ्लाइट में 12 घंटे बिताए, कई घंटे इमीग्रेशन में बिताए. मुझे यहां से वहां घुमाया गया. कोई जानकारी तक नहीं दी गई, फिर 24 घंटे होल्डिंग सेल में बिताए. सीसीटीवी की कैद में रखा गया, बैठने उठने के लिए बहुत छोटी जगह दी गई और खाने पीने तक पहुंचना भी आसान नहीं था. तकिए और कंबल जैसी बुनियादी चीजों के लिए हवाई अड्डे पर दर्जनों कॉल किए गए, जिन्हें उन्होंने देने से इनकार कर दिया, फिर 12 घंटे की फ्लाइट से लंदन के लिए वापस आ पाई.”
‘भारत विरोधी नहीं, सत्ता विरोधी हूं’
अपने आप को लोकतंत्र का समर्थक बताते हुए निताशा कौल ने कहा, “मैं विश्व स्तर पर सम्मानित अकादमिक और सार्वजनिक बुद्धिजीवी हूं, उदार लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति भावुक हूं. मैं लैंगिक समानता, स्त्री-द्वेष को चुनौती देने, स्थिरता, नागरिक और राजनीतिक स्वतंत्रता, कानून के शासन की परवाह करती हूं. मेरे दशकों का काम मेरे लिए बोलता है.”
कौन हैं निताशा कौल?
निताशा कौल लंदन में वेस्टमिंस्टर विश्वविद्यालय में राजनीति, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की प्रोफेसर हैं. उन्होंने दिल्ली के एसआरसीसी कॉलेज से बीए ऑनर्स किया है. साल 2003 में उन्होंने ब्रिटेन की हल यूनिवर्सिटी से सार्वजनिक नीति में विशेषज्ञता के साथ अर्थशास्त्र में मास्टर और अर्थशास्त्र और दर्शनशास्त्र में पीएचडी की है. 2002 से 2007 तक उन्होंने ब्रिस्टल बिजनेस स्कूल में अर्थशास्त्र के सहायक प्रोफेसर के रूप में काम किया. 2010 में उन्होंने भूटान के रॉयल थिम्पू कॉलेज में रचनात्मक लेखन में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में काम किया. वो एक उपन्यासकार, लेखक और कवि भी हैं.
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