पटियाला के वेयरहाउस मालिक का दावा किसान आंदोलन से हो रहा करोडों का नुकसान, SC ने कहा- हाई कोर्ट जाएं
जजों ने याचिकाकर्ता से पूछा कि एक कंपनी मौलिक अधिकार का दावा कैसे कर सकती है? याचिका में कंपनी के मालिक या किसी शेयरधारक को याचिकाकर्ता क्यों नहीं बनाया गया?जजों ने कहा कि मामला पंजाब का है. इससे जुड़े सभी पक्ष वहीं हैं. इसलिए, याचिका पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में दाखिल होनी चाहिए.

नई दिल्ली: किसान आंदोलन के नाम पर अपने गोदाम को बंद कर देने की शिकायत कर रही कंपनी को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट जाने की सलाह दी. पटियाला की एस एम लॉजिस्टिक्स नाम की कंपनी ने बताया था कि कुछ स्थानीय लोगों ने गोदाम में आने-जाने का रास्ता बंद कर दिया है. वहां करीब 21 करोड़ का जल्द नष्ट होने वाला सामान है.
कंपनी की याचिका में क्या कहा गया था?
कंपनी की याचिका में कहा गया था कि उसके वेयरहाउस में अडानी समेत कुछ और कंपनियों का माल है. इसमें से कुछ खाद्य सामग्री है और कुछ अन्य सामग्री है, जिसे एक नियंत्रित तापमान की ज़रूरत है. शुरू में वेयरहाउस के बाहर भारतीय किसान यूनियन ने आंदोलन किया. अब उसके हटने के बाद कुछ स्थानीय ग्रामीण वहां बैठ गए हैं. उनका आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं. उनका विरोध उन कंपनियों से है, जिनका सामान वेयरहाउस में पड़ा है. लेकिन इस वजह से करोड़ों का नुकसान याचिकाकर्ता कंपनी का हो रहा है. कोर्ट पंजाब सरकार को जगह खाली करवाने का निर्देश दे.
याचिका में रोजगार और व्यवसाय के मौलिक अधिकार की दलील दी गई थी. मामला जस्टिस यु यु ललित और के एम जोसफ की बेंच में लगा. जजों ने याचिकाकर्ता से पूछा कि एक कंपनी मौलिक अधिकार का दावा कैसे कर सकती है? याचिका में कंपनी के मालिक या किसी शेयरधारक को याचिकाकर्ता क्यों नहीं बनाया गया? कोर्ट ने यह भी पूछा कि याचिका में आंदोलनकारी संगठन या व्यक्ति को बतौर प्रतिवादी क्यों नहीं जोड़ा गया है? कोर्ट का कहना था कि बिना दूसरे पक्ष को सुने कोई आदेश नहीं दिया जा सकता है.
मामला पंजाब का इसलिए याचिका पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में दाखिल करें- SC
याचिकाकर्ता के वकील सिद्धार्थ बत्रा ने याचिका में ज़रूरी संशोधन करने की अनुमति मांगी. लेकिन जजों ने कहा कि मामला पंजाब का है. इससे जुड़े सभी पक्ष वहीं हैं. इसलिए, याचिका पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट में दाखिल होनी चाहिए. वकील ने अनुरोध किया कि याचिकाकर्ता को रोज़ हो रहे करोड़ों के नुकसान के मद्देनजर हाई कोर्ट में उनकी याचिका पर तेज़ सुनवाई का निर्देश दिया जाए. जजों ने इस अनुरोध को मान लिया और कहा कि हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता 2 दिन में आवेदन दे. हाई कोर्ट यथाशीघ्र इसका निपटारा करे.
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