'बंकिम दा नहीं, बाबू कहिए', जब ममता बनर्जी के MP ने संसद में भाषण के दौरान PM मोदी को टोका, Video
वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर देश के दोनों सदनों राज्यसभा और लोकसभा में बहस चल रही है. इसी सिलसिले में पीएम मोदी के भाषण के दौरान एक ऐसा वाकया देखने को मिला जिसने सभी का ध्यान खींचा.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को लोकसभा में वंदे मातरम् पर चर्चा के दौरान इसके रचयिता बंकिम चंद्र चटर्जी को बंकिम दा कहा तो तृणमूल कांग्रेस की ओर से आपत्ति जताई गई. इसके बाद PM मोदी ने राष्ट्रगीत के लेखक के नाम के साथ बाबू शब्द जोड़ा.
लोकसभा में राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने पर चर्चा की शुरुआत करते हुए जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसकी रचना के समय का उल्लेख कर रहे थे तो उन्होंने बंकिम चंद्र चटर्जी को बंकिम दा कहकर पुकारा. इस दौरान तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सौगत रॉय ने प्रधानमंत्री से चटर्जी का जिक्र करते समय बाबू शब्द का इस्तेमाल करने को कहा.
दादा सौगत रॉय को फिर रेल दिया 😁 https://t.co/qxH5bF5CcR pic.twitter.com/JYkw5DmCXM
— Social Tamasha (@SocialTamasha) December 8, 2025
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ठीक है. मैं बंकिम बाबू कहूंगा. धन्यवाद, मैं आपकी भावनाओं का सम्मान करता हूं.’’हल्के-फुल्के अंदाज में मोदी ने तृणमूल सांसद रॉय से यह भी पूछा कि वह उन्हें तो दादा कह सकते हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मैं आपको तो दादा कह सकता हूं ना? या आपको इस पर भी एतराज है.’’ पश्चिम बंगाल में बड़े भाई या किसी सम्मानित व्यक्ति को जहां ‘दादा’ शब्द से संबोधित किया जाता है, वहीं ऐतिहासिक संदर्भ में आदरसूचक संबोधन के रूप में ‘बाबू’ पुकारा जाता है. इससे पहले, प्रधानमंत्री के भाषण की शुरुआत में रॉय ने कोई टिप्पणी की तो मोदी ने उनसे पूछा कि उनकी तबियत तो ठीक है.
पीएम के भाषण पर कल्याण बनर्जी ने आपत्ति जताई
पीएम मोदी के भाषण पर टीएमसी के संसद कल्याण बनर्जी ने भी अपत्ति जताई है. उन्होंने कहा, "बहस PM नरेंद्र मोदी ने शुरू की थी. यह सच में, बहुत दुख की बात है, यह घटिया थी. बहस वंदे मातरम के लिए थी, जवाहरलाल नेहरू या इंदिरा गांधी पर हमला करने के लिए नहीं. जिस तरह से उन्होंने महान लेखक बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय को एड्रेस किया, वह सच में परेशान करने वाला था. असल में, सिर्फ़ नरेंद्र मोदी या अमित शाह ही नहीं, BJP वाले बंगालियों से नफ़रत करते हैं, उनसे नफ़रत करते हैं, लेकिन मजबूरी में नेताजी सुभाष चंद्र बोस को बर्दाश्त करना पड़ता है, बंगालियों की आज़ादी की लड़ाई को बर्दाश्त करना पड़ता है, रवींद्रनाथ टैगोर को बर्दाश्त करना पड़ता है, क्योंकि भारत बंगालियों से ही खिला है. उन्हें बंगाली पसंद नहीं हैं. मैं PM नरेंद्र मोदी को दा नहीं कह सकता, मेरा कल्चर इसकी इजाज़त नहीं देता."
VIDEO | Parliament Winter Session: TMC MP Kalyan Banerjee (@KBanerjee_AITC) says, "The debate was started by PM Narendra Modi, it is really, very sorry to say, it was below standard. The debate was for Vande Mataram, not for attacking Jawaharlal Nehru, or Indira Gandhi. The way… pic.twitter.com/FrL81OU2Hm
— Press Trust of India (@PTI_News) December 8, 2025
टीएमसी ने साधा निशाना
इधर पूरे मामले पर टीएमसी ने एक बयान जारी किया है. पार्टी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा, 'बीजेपी के लिए यह बिल्कुल अजीब पल है. सालों से इन लोगों ने बंगाल के कल्चरल आइकॉन को बेईमानी से हड़पने की कोशिश की है, इस उम्मीद में कि उधार की श्रद्धा राज्य में उनके पूरे पॉलिटिकल दिवालियापन की भरपाई कर देगी. हर कोशिश ने सिर्फ़ यह दिखाया है कि वे बंगाल की कल्चरल चेतना, इतिहास और शब्दावली से कितने अनजान हैं.
It is a textbook fish-out-of-water moment for @BJP4India. For years, these BOHIRAGOTO interlopers have tried to dishonestly appropriate Bengal’s cultural icons, hoping that borrowed reverence might compensate for their utter political bankruptcy in the state. Each attempt has… pic.twitter.com/d81BaTreuu
— All India Trinamool Congress (@AITCofficial) December 8, 2025
उन्होंने कोबीगुरु को हड़पने की कोशिश की, लेकिन जे. पी. नड्डा ने गलत तरीके से शांतिनिकेतन को उनका जन्मस्थान बताकर अपनी अज्ञानता दिखाई. उन्होंने स्वामीजी को हड़पने की कोशिश की, लेकिन सुकांत मजूमदार ने उन्हें एक “अज्ञानी लेफ्टिस्ट प्रोडक्ट” बना दिया. उन्होंने ईश्वर चंद्र विद्यासागर को हड़पने की कोशिश की, लेकिन उनकी मूर्ति तोड़ दी. और अब, राज्यसभा में वंदे मातरम पर बैन लगाने पर हुए विरोध के बाद, यह नया मज़ाक सामने आया है.'
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL





















