दिल्ली हिंसा के शिकार हुए लोगों के घर कैसे मनाई गई होली, जानिए
देशभर में जहां होली का त्योहार हर्षोल्लास से मनाया गया. वहीं दिल्ली हिंसा में मारे गए लोगों के घर में सन्नाटा पसरा छाया रहा.

नई दिल्ली: पूरे देश ने आज होली का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया. लेकिन दिल्ली के नॉर्थ-ईस्ट इलाके के कुछ घरों में हिंसा के बाद यह होली पहले जैसी होली नहीं रही. यहां के निवासियों के लिए इस साल की होली में बिल्कुल भी रंग नहीं थे. हिंसा में जिस घर के चिराग बुझ गए हों, उनके लिए होली भी क्या होली है.
होली के दिन नॉर्थ-ईस्ट के कई घरों में सन्नाटा पसरा रहा. हिंसा ने कई बेकसूर लोगों की जान ली. वो लोग जिन्हें ये भी नहीं पता था कि घर से निकलेंगे तो कभी वापस जिंदा घर नहीं आ सकेंगे. ब्रह्मपुरी का एक ऐसा परिवार जिसने अपने परिवार का मुखिया खो दिया है. विनोद कुमार 24 फरवरी को अपने बेटे के साथ अपने पोते की दवाई लेने के लिए घर से निकले थे. घर से निकले तो बाहर के हालात ठीक नहीं थे. घर से कुछ दूरी पर ही पथराव शुरू हो गया. उपद्रवियों ने कुछ नहीं देखा और बेरहमी से पत्थर मारते रहे. इस पथराव में विनोद कुमार और उनके बेटे नितिन कुमार दोनों ही घायल हो गए. इनकी मदद के लिए कोई आगे नहीं आया. होली के दिन उनके घर में भी खामोशी रही. पत्नी के आखों से आंसू निकलना बंद नहीं हो रहे हैं.
नॉर्थ ईस्ट इलाके की संत रविदास गली, ब्रह्मपुरी में रहने वाले सैनी परिवार ने भी अपने घर के बेटे को खो दिया है. नरेश सैनी हो महज 32 साल के थे और सब्जी की दुकान चलाते थे. हिंसा के दौरान उनको घर के नजदीक ही गोली लग गई. नरेश के परिजन जैसे तैसे उन्हें हॉस्पिटल लेकर गए. कई दिन तक उनका इलाज चलता रहा, लेकिन एक दिन उन्होंने अस्पताल में दम तोड़ दिया. उनकी पत्नी नीतू ने बताया कि नरेश ने अपने पांच साल के बेटे से इस होली पर पिचकारी दिलाने का वादा किया था.
ऐसे ही ना जाने कितने परिवार हैं, जिनके लिए यह होली और आगे आने वाली ना जाने कितनी होली ऐसे ही बेरंग रहेंगी. विनोद कुमार जैसे और भी परिवार हैं, जिनके लिए होली के दिन बेहद गमगीन रहा. इनके घरों में होली की खुशियों की बजाए मातम पसरा रहा.
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Source: IOCL





















