एमके स्टालिन के बचकाना वाले बयान पर भड़के तमिलनाडु के राज्यपाल, कहा- 'ऐसा अहंकार ठीक नहीं'
RN Ravi V/S CM MK Stalin: एमके स्टालिन ने कहा था कि तमिलनाडु के राज्यपाल रवि यह बात “पचा” नहीं पा रहे हैं कि राज्य विकास कर रहा है और विधानसभा को संबोधित न करने का उनका निर्णय “बचकाना” है.

RN Ravi critisied CM MK Stalin: तमिलनाडु के राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच हालिया विवाद ने राजनीतिक माहौल को और गर्म कर दिया है. राज्यपाल आर.एन. रवि ने रविवार (12 जनवरी,2025) को एमके स्टालिन पर पलटवार करते हुए कहा कि ऐसा अहंकार ठीक नहीं है. उन्होंने मुख्यमंत्री पर राष्ट्रगान और संविधान के प्रति सम्मान न दिखाने का आरोप लगाया. राजभवन के बयान में यह भी कहा गया कि तमिलनाडु विधानसभा में "संविधान और राष्ट्रगान का अपमान" बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
दरअसल, राज्यपाल रवि ने 6 जनवरी को तमिलनाडु विधानसभा में अपने अभिभाषण की शुरुआत में राष्ट्रगान गाने की मांग की थी. परंपरा के अनुसार विधानसभा की शुरुआत में "तमिल थाई वल्थु" (राज्य गान) गाया जाता है और अंत में राष्ट्रगान गाया जाता है. राज्यपाल ने इस परंपरा पर आपत्ति जताते हुए कहा कि राष्ट्रगान सत्र की शुरुआत और अंत दोनों समय गाया जाना चाहिए. विधानसभा में राज्य गान के बाद राष्ट्रगान न गाए जाने पर, राज्यपाल ने इसे संविधान और राष्ट्रगान का अपमान करार दिया. उन्होंने इसे "गंभीर चिंता" का विषय बताते हुए सदन छोड़ दिया.
मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री स्टालिन ने इसे "बचकाना हरकत" कहा और राज्यपाल पर विधानसभा की परंपरा का बार-बार उल्लंघन करने का आरोप लगाया. उन्होंने यह भी कहा कि राज्यपाल तमिलनाडु के विकास को पचा नहीं पा रहे हैं. स्टालिन ने विधानसभा में कहा, "राज्यपाल विधानसभा में आते हैं, लेकिन सदन को संबोधित किए बिना लौट जाते हैं. इसलिए मैंने कहा था कि उनकी हरकतें बचकानी हैं."
Thiru @mkstalin asserts that insisting on due respect to the National Anthem and doing fundamental duties enshrined in the Constitution is “absurd” and “childish”. Thanks for betraying the true intentions of the coalition of interests and ideologies to which he is a leader that…
— RAJ BHAVAN, TAMIL NADU (@rajbhavan_tn) January 12, 2025
डीएमके और राजभवन के बीच ठंडे रिश्ते
राज्यपाल और डीएमके सरकार के बीच 2021 से विवाद जारी है. सरकार ने राज्यपाल पर भाजपा के प्रवक्ता की तरह काम करने का आरोप लगाया है. राज्यपाल ने यह तर्क दिया है कि संविधान उन्हें विधेयकों पर अपनी सहमति वापस लेने और समीक्षा करने का अधिकार देता है. बता दें कि डीएमके सरकार आरोप लगाती रही है कि राज्यपाल विधेयकों को रोकने और राज्य सरकार के कामकाज में बाधा डालने का प्रयास कर रहे हैं.
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Source: IOCL





















