श्री बांके बिहारी मंदिर में वीआईपी दर्शन पर CJI ने जताई चिंता, बोले- भगवान के विश्राम के समय में होती हैं स्पेशल पूजा
याचिकाकर्ता ने कहा कि श्रद्धालुओं के दर्शन का समय बढ़ाने से आंतरिक पूजा विधान प्रभावित हो रहे हैं. इसका असर पारंपरिक देहरी पूजा पर भी पड़ा है.

वृंदावन के श्री बांके बिहारी मंदिर में विशेष विप पूजा पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने कहा है, 'जब आम श्रद्धालुओं के लिए दरवाजे बंद हो जाते हैं, तब उन लोगों के लिए विशेष पूजा करवाई जाती है, जो मोटी फीस देते हैं. देवता को विश्राम भी नहीं करने दिया जाता. यह एक तरह का शोषण है.'
सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी श्री बांके बिहारी मंदिर मैनेजमेंट कमेटी की याचिका को सुनते हुए की है. यह मैनेजमेंट कमेटी परंपरागत रूप से मंदिर का प्रबंधन चलाने वाले गोस्वामियों की है. इन दिनों सुप्रीम कोर्ट के आदेश से गठित एक हाई पावर्ड कमेटी मंदिर का प्रशासन संभाल रही है. गोस्वामियों की संस्था हाई पावर्ड कमेटी के कुछ निर्देशों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची है.
दरअसल, हाई पावर्ड कमेटी ने श्रद्धालुओं के दर्शन का समय बढ़ाने के लिए कहा है. गोस्वामियों का कहना है कि इससे मंदिर के पारंपरिक पूजा विधान में अड़चन आ रही है. मामले को सुनते हुए कोर्ट ने कहा कि जब आम श्रद्धालुओं के लिए मंदिर बंद हो जाता है, तब वीआईपी पूजा करवाई जाती है. यह समय देवता के विश्राम का है. उन्हें विश्राम करने देना चाहिए.
याचिकाकर्ता के लिए पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कोर्ट की चिंता से सहमति जताई, लेकिन उनका कहना था कि इस तरह की कोई शिकायत सामने नहीं आई है. फिलहाल वह यह बताने कोर्ट आए हैं कि श्रद्धालुओं के दर्शन का समय बढ़ाने से आंतरिक पूजा विधान प्रभावित हो रहे हैं. इसका असर पारंपरिक देहरी पूजा पर भी पड़ा है. चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने थोड़ी देर की जिरह के बाद याचिका पर हाई पावर्ड कमेटी को नोटिस जारी कर दिया. कोर्ट ने जनवरी में सुनवाई की बात कही है.
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Source: IOCL
























