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Sanjay Singh Bail: ED को ललकार कर गए थे जेल, लोकसभा चुनाव से पहले बेल, AAP के लिए कौन सी संजीवनी लाए केजरीवाल के संजय

Sanjay Singh Bail: संजय सिंह के सामने सबसे बड़ा चैलेंज लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को मजबूत करना है और पार्टी को संजय सिंह से उम्मीद भी बहुत ज्यादा है क्योंकि वो पहले ऐसा करके दिखा चुके हैं.

Delhi Liquor Policy Case: पूरे 6 महीने बाद आम आदमी पार्टी (आप) की टॉप लीडरशिप का हिस्सा और पार्टी की आवाज कहे जाने वाले संजय सिंह दिल्ली की तिहाड़ जेल से बाहर आ गए. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के तिहाड़ पहुंचने के ठीक एक दिन बाद संजय सिंह को जमानत मिलने की खबर आई. संजय सिंह की रिहाई आम आदमी पार्टी के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है क्योंकि केजरीवाल की पार्टी अपने सबसे बड़े संकट के दौर से गुजर रही है.

सवाल ये है कि संजय सिंह तिहाड़ से बाहर आने के बाद क्या संकटमोचक की भूमिका अदा कर पाएंगे? क्या वो केजरीवाल का संजय बनकर पार्टी को मुश्किल दौर से बाहर निकाल पाएंगे? दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तिहाड़ की जेल नंबर दो में बंद हैं. केजरीवाल को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है.

क्या आम आदमी पार्टी को मिलेगी संजीवनी

ये भारत के इतिहास में पहली बार है जब एक मौजूदा मुख्यमंत्री तिहाड़ की सलाखों के पीछे मौजूद है और ऐसे में संजय सिंह केजरीवाल के लिए सियासी संजीवनी बनकर तिहाड़ से बाहर आ रहे हैं. संजय सिंह की रिहाई को आप के लिए संजीवनी कहा जा रहा है क्योंकि उनकी पूरी टॉप लीडरशिप जेल में थी.

लेकिन अब संजय सिंह सलाखों से बाहर आ चुके हैं और ये आम आदमी पार्टी के लिए बहुत बड़ी राहत है क्योंकि संजय सिर्फ आम आदमी पार्टी के सांसद नहीं हैं वो आम आदमी पार्टी की रीढ़ की तरह काम करते हैं और केजरीवाल के सारथी की तरह.

मौजूदा वक्त में संजय सिंह के बाहर आने के मायने क्या हैं

आम आदमी पार्टी इस वक्त तीन मोर्चों पर संघर्ष कर रही है. पहला- नेतृत्व की कमी, दूसरा- लोकसभा चुनाव और तीसरा- घोटाले का दाग. संजय सिंह एक साथ अपनी पार्टी के लिए इन तीनों चुनौतियों से निपटने का काम कर सकते हैं.

दरअसल केजरीवाल की गिऱफ्तारी के साथ ही पार्टी नेतृत्व के संकट से जूझ रही थी. पार्टी की कमान कौन संभालेगा ये तय नहीं हो पा रहा था. केजरीवाल के मंत्री आतिशी और सौरभ भारद्वाज मोर्चा तो संभाल रहे थे लेकिन केजरीवाल की खाली कुर्सी पर बैठने के लिए सुनीता केजरीवाल को आगे किया जा रहा था.

चर्चा थी कि सुनीता केजरीवाल ही अरविंद की जगह जिम्मेदारी संभालेंगी लेकिन सुनीता केजरीवाल के साथ रिस्क ये था कि वो कभी राजनीतिक रूप से सक्रिय नहीं रही हैं. उन्हें संगठन के कामकाज का तजुर्बा नहीं है ऐसे में वो कमजोर खिलाड़ी साबित हो सकती हैं.

संजय सिंह के आते ही नेतृत्व का ये संकट दूर हो जाएगा, क्योंकि संजय सिंह ने पार्टी को बनाने का काम किया है वो पार्टी की स्थापना से लेकर उसकी कामयाबी के हर सिरे तक मौजूद रहे हैं. संजय सिंह की पार्टी की कैडर पर मजबूत पकड़ मानी जाती है. उनके आने से कार्यकर्ताओं का मनोबल मजबूत होगा.

जबकि बीजेपी संजय सिंह की वापसी को आम आदमी पार्टी में टूट की वजह बता रही है. संजय सिंह बाहर आने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं से लेकर संगठन के तमाम कामकाज को बखूबी संभालेंगे. दरअसल केजरीवाल पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा हैं वो अपने कार्यकर्ताओं के लिए एक छत की तरह हैं और केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद विधायक खरीद फरोख्त की कोशिशों का आरोप लगा रहे हैं.

रिहाई के बाद संजय सिंह नेतृत्व के संकट को दूर करने में तो जरूर काययाब होंगे लेकिन लोकसभा चुनाव बिल्कुल सामने हैं और संजय पूरे 6 महीने तिहाड़ में बिताने के बाद वापस लौट रहे हैं. संजय सिंह के सामने सबसे बड़ा चैलेंज लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को मजबूत करना है और पार्टी को संजय सिंह से उम्मीद भी बहुत ज्यादा है क्योंकि वो पहले ऐसा करके दिखा चुके हैं.

बिना संजय के पूरी नहीं है आप

आम आदमी पार्टी का मतलब केजरीवाल हो चुका है लेकिन बिना संजय सिंह के पार्टी पूरी नहीं होती. आम आदमी पार्टी के संजय सिंह की गिनती मोदी सरकार के खिलाफ सबसे आक्रामक हमला करने वालों में होती है. सड़क से लेकर संसद तक संजय सिंह जब विरोधियों के खिलाफ हुंकार भरते हैं तो उनके तर्कों की काट किसी के पास नहीं होती. तिहाड़ जेल में रहते हुए संजय सिंह राज्यसभा सांसद की शपथ लेने सदन तक आए थे.

कहने का मतलब ये है कि ऐन चुनाव से पहले संजय सिंह के तौर पर आम आदमी पार्टी को अपनी आवाज और धार मिल गई है.

आम आदमी पार्टी पंजाब से लेकर दिल्ली तक कई राज्यों में चुनाव लड़ रही है. संजय सिंह दिल्ली से बाहर भी संगठन के कामकाज को देखेंगे. संजय सिंह पार्टी के ऐसे कद्दावर नेता हैं जिनके घर पर अक्सर  दिल्ली और पंजाब के विधायकों और नेताओं का तांता लगा रहता है. ऐसे में सूत्रों की माने तो दिल्ली और पंजाब के सभी विधायकों को पार्टी से जोड़कर रखने के काम भी संजय सिंह के जिम्मे होगा.

चुनाव में सिर्फ प्रचार का काम नहीं होता. उम्मीदवारों के नाम का फैसला करने से लेकर फंड की व्यवस्था तक करनी होती है. प्रचार की सही रणनीति बनानी होती है. कार्यकर्ताओं को एकजुट रखना होता है और संजय सिंह इस काम के मास्टर माने जाते हैं.

पार्टी के सभी बड़े फैसले लेने में संजय सिंह की अहम भूमिका होगी

बड़े चेहरे की कमी से जूझ रही पार्टी के बड़े स्टार प्रचारक के तौर पर संजय सिंह उन सभी राज्यों में प्रचार करते हुए नजर आएंगे जिन-जिन राज्यों में पार्टी ने उम्मीदवार तय किए हैं. इतना ही नहीं INDIA गठबंधन में शामिल आम आदमी पार्टी के लिए संजय सिंह की भूमिका अहम रहने वाली है क्योंकि इस गठबंधन में शामिल सभी दलों के साथ AAP की तरफ़ से तालमेल बिठाने का काम संजय सिंह ही करते रहे हैं.

आम आदमी पार्टी जिसकी बुनियाद ही ईमानदारी है उस पार्टी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और पार्टी के तमाम दिग्गज एक-एक करके तिहाड़ पहुंचे. पार्टी पर सबसे बड़ा संकट घोटाले के दाग का है और ऐसे वक्त में संजय सिंह की जमानत पार्टी के लिए एक मैसेज देने का काम करेगी.

कथित शराब घोटाले में संजय सिंह पर पर शराब माफिया और सरकार के बीच मीटिंग करवाने के आरोप लगे थे. हालांकि गिरफ्तारी से पहले संजय सिंह लगातार ईडी को ललकार रहे थे. संजय सिंह की गिरफ्तारी हुई तो वो हंसते हुए घर से रवाना हुए थे और अब 6 महीने बाद कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी है क्योंकि फिलहाल उनके खिलाफ कोई सुराग नहीं मिला है.

हालांकि आम आदमी पार्टी संजय सिंह की रिहाई को लेकर बीजेपी पर हमला कर रही है जबकि बीजेपी इसे मातम मनाने की वजह बता रही है. जांच खत्म नहीं हुई है लेकिन ईडी अब संजय सिंह को गिरफ्तार नहीं कर पाएगी. ट्रायल पूरा होने तक जब-जब तारीखें आएंगी तब-तब संजय सिंह को पेश होना होगा. सुनवाई के दौरान ईडी ने संजय सिंह की राजनीतिक बयानबाजी पर रोक लगाने की मांग की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया था कि हम ऐसा नहीं कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें: Lok Sabha Elections 2024: 'मोहाली का दरोगा पहुंचा तो क्या करेंगे पीएम मोदी', जेल से रिहा होने के बाद बोले AAP नेता संजय सिंह

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