'सेना का सूर्य विश्व ने देखा' , ऑपरेशन सिंदूर पर बोले मोहन भागवत, ट्रंप और अमेरिका को लेकर भी कही बड़ी बात
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि प्रयागराज महाकुंभ में पूरे भारत में श्रद्धा और एकाग्रता की लहर फैली, जबकि पहलगाम में आतंकवादियों ने धर्म पूछ कर निर्दोष नागरिकों की हत्या की.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का शताब्दी समारोह और विजयादशमी उत्सव बड़े धूमधाम के साथ नागपुर में मनाया जा रहा है. समारोह में भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हैं. समारोह में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी शामिल हैं.
इस मौके पर दलाई लामा द्वारा भेजा गया संदेश भी पढ़ा गया, जिसमें उन्होंने संघ को शुभकामनाएं दीं. कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी अपने विचार व्यक्त किए और देश के प्रति सामाजिक जिम्मेदारियों और सेवा भाव पर जोर दिया. आरएसएस का यह शताब्दी समारोह और विजयादशमी उत्सव संघ की सेवा, राष्ट्रभक्ति और सामाजिक योगदान को समर्पित है.
रामनाथ कोविंद ने कही ये बात
इस मौके पर रामनाथ कोविंद ने कहा, "आज का विजयादशमी उत्सव आरएसएस की शताब्दी का प्रतीक है. नागपुर की पावन भूमि आधुनिक भारत की महान विभूतियों जैसे डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर से जुड़ी है."
पूर्व राष्ट्रपति ने आरएसएस को एक "पवित्र, विशाल वट वृक्ष" के रूप में वर्णित किया, जो भारत के लोगों को एक साथ लाता है, उन्हें गौरव और प्रगति का अहसास कराता है.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि प्रयागराज महाकुंभ में पूरे भारत में श्रद्धा और एकाग्रता की लहर फैली, जबकि पहलगाम में आतंकवादियों ने धर्म पूछ कर निर्दोष नागरिकों की हत्या की. उन्होंने यह भी कहा कि सेना का योगदान विश्व स्तर पर देखा गया है और देश के भीतर संवैधानिक उग्रवादी तत्वों का सामना करना भी आवश्यक है.
इस दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा," ये वर्ष श्री गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान का सढ़े तीन सौ वर्ष है...जिन्होंने अत्याचार, अन्याय और सांप्रदायिक भेदभाव से समाज के मुक्ती के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया और समाज की रक्षा की ऐसी एक विभूति उनका समरण इस वर्ष होगा. आज 2 अक्टूबर है तो स्वर्गीय महात्मा गांधी की जयंती है अपने स्वतंत्रता की लड़ाई में उनका योगदान अविस्मरणीय है. लेकिन स्वतंत्रता के बाद भारत कैसा हो उसके बारे में विचार देने वाले हमारे उस समय के दार्शनिक नेता थे उनमें उनका स्थान अग्रणीय हैं....जिन्होंने देश के लिए अपने प्राण दिए ऐसे स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री का आज जयंती है. भक्ति, देश सेवा के ये उत्तम उदाहरण हैं..."
ट्रंप की टैरिफ पर क्या बोले भागवत?
भागवत ने कहा कि अमेरिका ने टैरिफ अपने भले के लिए अपनाया होगा, लेकिन इसका असर सभी देशों पर पड़ेगा. उन्होंने जोर दिया कि भारत को किसी पर निर्भर नहीं रहना चाहिए और निर्भरता को मजबूरी में नहीं बदलना चाहिए. उन्होंने स्वदेशी उत्पादों के उपयोग की आवश्यकता पर भी बल दिया. भागवत ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों का होना जरूरी है, लेकिन यह मजबूरी का कारण नहीं होना चाहिए.
नेपाल में हाल ही में हुई हिंसा पर कही ये बात
नेपाल में हाल ही में हुई हिंसा पर उन्होंने कहा कि असंतोष को इस तरह के हिंसक आंदोलन के माध्यम से व्यक्त करना सही नहीं है. ऐसे रास्तों से सकारात्मक परिवर्तन नहीं आता.
भागवत ने यह भी कहा कि ऐसे माहौल में बाहरी स्वार्थी देश अपने खेल खेल सकते हैं. हमारे पड़ोसी राज्य हमारे अपने हैं, इसलिए उनकी स्थिति हमारे लिए चिंता का विषय है.
देश के अंदर संवैधानिक उग्रवादी तत्व: भागवत
भागवत ने कहा कि देश के अंदर संवैधानिक उग्रवादी तत्व हैं, लेकिन सरकार की कड़ी कार्रवाई और लोगों में नक्सली विचारधारा के खोखलेपन और क्रूरता के प्रति जागरूकता के कारण उग्रवादी नक्सलवादी आंदोलन पर काफी हद तक काबू पाया गया है. उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में न्याय, विकास, सद्भावना और सहानुभूति सुनिश्चित करने के लिए व्यापक कार्ययोजना की आवश्यकता है.
भागवत ने कहा कि आत्मनिर्भर बनकर और वैश्विक एकता के प्रति जागरूक होकर, हमें सुनिश्चित करना होगा कि निर्भरता हमारी मजबूरी न बने और हम अपनी इच्छानुसार कार्य कर सकें. उन्होंने स्पष्ट किया कि स्वदेशी और स्वावलंबन का कोई विकल्प नहीं है.
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Source: IOCL





















