सावरकर अपमान मामला: मुकदमा रद्द करने की राहुल गांधी की मांग का यूपी सरकार ने किया विरोध, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाली
यूपी सरकार ने राहुल गांधी की याचिका का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने लिखित जवाब में उनके बयान को जानबूझकर सामाजिक वैमनस्य फैलाने के लिए दिया गया बताया है.

वीर सावरकर अपमान मामले में समन के खिलाफ राहुल गांधी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 4 सप्ताह के लिए टल गई है. मामले के शिकायतकर्ता का जवाब दाखिल न होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई स्थगित की है. लखनऊ के एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट के समन पर अंतरिम रोक फिलहाल जारी रहेगी.
क्या है मामला?
लखनऊ के रहने वाले वकील नृपेंद्र पांडे ने राहुल के खिलाफ आईपीसी की धारा 153(A) और 505 का मुकदमा दायर किया है. इसमें बताया गया है कि 17 दिसंबर 2022 को महाराष्ट्र के अकोला में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल ने वीर सावरकर को अंग्रेजों का नौकर और पेंशन लेने वाला कहा. प्रेस कॉन्फ्रेंस में पहले से तैयार पर्चे भी पत्रकारों को दिए गए. यह दिखाता है कि पूरी तैयारी से समाज में नफरत फैलाने के इरादे से राहुल ने वह विवादित बयान दिया. 4 अप्रैल को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने राहुल के खिलाफ जारी समन निरस्त करने से मना कर दिया था.
यूपी सरकार का जवाब
यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने लिखित जवाब में राहुल की याचिका का विरोध किया है. उनके बयान को जानबूझकर सामाजिक वैमनस्य फैलाने के लिए दिया गया बताया है. अभी मामले के शिकायतकर्ता का जवाब दाखिल होना बाकी है. उनकी तरफ से बताया गया कि वह जल्द ही जवाब दाखिल कर देंगे.
कोर्ट लगा चुका है राहुल को फटकार
25 अप्रैल को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राहुल को गैरजिम्मेदाराना बयान देने के लिए कड़ी फटकार लगाई थी. कोर्ट ने कहा था, 'आपकी दादी ने भी सावरकर की प्रशंसा करते हुए चिट्ठी लिखी थी. स्वतंत्रता सेनानियों के इतिहास-भूगोल के बारे में जानकारी जुटाइये.' 2 जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा था, 'महात्मा गांधी भी अंग्रेज वायसराय को भेजे पत्र में स्वयं को 'आपका निष्ठावान सेवक' लिखते थे. क्या उसके चलते कोई उन्हें भी अंग्रेजों का नौकर कह देगा?'
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Source: IOCL
























