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जन्मदिन विशेष: पीएम मोदी का टेक्नोलॉजी से लगाव और युवाओं के बीच लोकप्रियता

PM Modi Birthday Special: गुजरात के मुख्यमंत्री बनते ही, उन्होंने सरकार में तकनीक और विज्ञान के प्रथम प्रयोग की शुरुआत गांधीनगर से ही की. विज्ञान और तकनीक उनके जीवन में ऑक्सीजन की तरह घुले हुए है.

PM Modi Birthday Special: 17 सितंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 71वां जन्मदिन है, नरेंद्र मोदी भले ही 72वें साल में प्रवेश कर रहे हो, लेकिन युवाओं के दिलों और सोच पर वे राज करते हैं. कड़े और साहसिक निर्णय लेना और असंभव व कठिन कार्यों को हाथ में लेना और उससे भी आगे दिन में खुली आँखो से सपने देखना और उन सपनों को पूरा करना उन्हें चिर युवा बनाता है. कई बार तो वे युवाओं को चुनौती देते नज़र आते हैं. उनकी यही विशेषता उन्हें बच्चों, किशोर और युवाओं में लोकप्रिय बनाती है. प्रधानमंत्री की एक  विशेषता है, जितनी जल्दी नई तकनीक को स्वीकार करना उतनी ही जल्दी उससे घुल-मिल जाना. एक उपभोक्ता के तौर पर जब वे तकनीक को तुरंत स्वीकार करते हैं तो इसका फ़ायदा भी वे उठाते हैं, वो भी देश के लिए उसका भरपूर उपयोग करके. 

नई तकनीक से खास लगाव

कैसे प्रधानमंत्री तकनीक को आम लोगों के लिए उपयोगी बनाते हैं, इसकी कुछ अनसुनी कहानी आपको सुनाते हैं, साल 2001 में नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने,  बहुत कम लोग जानते हैं कि "लीडर मोदी" के "टेक्नोक्रेट मोदी" बनने के सफर की शुरुआत गांधी नगर से ही हुई. हम "टेक्नोक्रेट मोदी" इसलिए कह रहे हैं क्योंकि नरेंद्र मोदी आज तकनीक के अभिनव प्रयोगों के पर्याय बन गए हैं.

गुजरात के मुख्यमंत्री बनते ही, उन्होंने सरकार में तकनीक और विज्ञान के प्रथम प्रयोग की शुरुआत गांधीनगर से ही की. विज्ञान और तकनीक उनके जीवन में ऑक्सीजन की तरह घुले हुए है. आमतौर पर उनके जनरेशन के नेता नई तकनीक से संघर्ष करते ही नज़र आते हैं,  जबकि नरेंद्र मोदी, सरकारी कामकाज और तकनीक का समन्वय कर सरकार चलाने में माहिर है. 

सीएम रहते सैटेलाइट से करवाई स्कूलों की मैपिंग

साल 2001 में मुख्यमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने गुजरात में हर विभाग का आकलन करना शुरू किया,  किस विभाग में कितना पोटेंशियल है, किस विभाग में कहां कमी हैं. इसी दौरान उन्हें विधायकों के माध्यम से कई इलाकों में विद्यालयों की कमी की जानकारी मिली. नरेंद्र मोदी ने इसका सही-सही आकलन करने के लिए अंतरिक्ष विज्ञान का सहारा लिया. सेटेलाइट के ज़रिए पूरे गुजरात के विद्यालयों की मैपिंग करवाई. ये पहला प्रयोग था जब किसी सरकार ने विद्यालयों की स्थापना और उनके घनत्व की जानकारी के लिए सेटेलाइट का सहारा लिया था.  नतीजे भी मुख्यमंत्री मोदी के लिए चौंकाने वाले थे.  गुजरात के आदिवासी इलाकों खासतौर पर अम्बाजी (बनासकाठा) से लेकर उमरगांव (बलसाड़) की पट्टी में 30-30 किलोमीटर तक 12वीं तक के विद्यालय नहीं थे. इसके बाद मोदी ने सैटेलाइट की मदद से विद्यालयों के लिए स्पॉट तय किये और 12वीं तक के 25 नए विद्यालय खोले गए. 

"टेक्नोक्रेट मोदी" ने अंतरिक्ष विज्ञान या स्पेस टेक्नोलॉजी का दूसरा प्रयोग मछुआरों के लिए किया. समंदर में फिश कैचमेंट एरिया, मछलियों के मूवमेंट के कारण बदलता रहता है. कैचमेंट एरिया 40-50 किलोमीटर तक शिफ्ट हो जाता है, मछुआरों को सिर्फ भाग्य पर निर्भर रहना पड़ता है. सैटेलाइट के ज़रिए मछलियों के कैचमेंट एरिया की अचूक सूचनाएं मछुआरों तक पहुंचाने का काम भी नरेंद्र मोदी ने शुरू किया. मोदी से सीखकर कई राज्य सरकारें सैटेलाइट की मदद मछुआरों के लिए लेने लगी.

ऐसे रोकी चंडीगढ़ में केरोसीन की चोरी

प्रधानमंत्री हर महीने राज्य के अधिकारियो की बैठक लेते है, ये बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंस के ज़रिए होती है. इसमें केंद्र की योजनाओं की प्रगति की समीक्षा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद करते हैं. एक बड़ी रोचक घटना है कि बैठक के दौरान पीएम के संज्ञान में आया कि चंडीगढ़ में हर महीने 30 लाख लीटर केरोसिन इस्तेमाल होता है. पीएम मोदी खुद चंडीगढ़ रहे हैं, उनके मन में सवाल उठा आखिर उच्च माध्यम वर्ग के शहर में कौन हैं जो केरोसिन का इस्तेमाल करते हैं.

ये केरोसिन, राशन की दुकानों से दिया जाता था, प्रधानमंत्री ने सबसे पहले वहां के राशन की दुकानों और उपभोक्ताओं को आधार से लिंक करवाया. 6 महीने के भीतर केरोसिन की खपत गिरकर कुछ हज़ार लीटर पर आ गयी. नरेंद्र मोदी यहीं चुप नहीं बैठे, उन्होंने अब उन लोगो की सूची बनवाई जो अभी भी केरोसिन इस्तेमाल कर रहे थे और उन्हें उज्ज्वला योजना में गैस दी गयी, इस तरह तकनीक का इस्तेमाल कर न केवल सरकारी खजाना बचाया बल्कि प्रदूषण भी रोका, ये सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तकनीक की समझ और सूझ-बूझ से संभव हुआ.

इनोवेशन और इनोवेटिव सोच

गुजरात के गांधी नगर में देश की उत्कृष्ट फोरेंसिक इंस्टीट्यूट है. तेलगी घोटाले का खुलासा इसी लैब की रिपोर्ट के बाद हुआ था. नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद इस इंस्टीटूट को यूनिवर्सिटी बनाया, लेकिन क्यों?  आजकल क्राइम टेक्नोलॉजी ड्रिवेन हो गए हैं, अपराधी तकनीक का इस्तेमाल के गंभीर अपराध को जन्म दे रहे हैं, ख़ासतौर पर साइबर क्राइम के मामले तेज़ी से बढ़े हैं. ऐसे मामलों को सटीक सबूतों के साथ हल करने के लिए टेक्नोलॉजी की भी उतनी ही ज़रूरत है. ये पूरी दुनिया में अकेली फ़ॉरेंसिक यूनिवर्सिटी है, इसमें 60 देशों के छात्र और विशेषज्ञ पढ़ने आ रहे हैं. अब इंटरपोल भी भारत की तकीनीकी विशेषज्ञता की मदद ले रहा, ये नरेंद्र मोदी की टेक्नोलॉजी इनोवेशन और इनोवेटिव सोच का नतीजा है.

अब हम आपको थोड़ा पीछे भी ले चलते हैं. बात साल 1999 के आस-पास की है. तब नरेंद्र मोदी बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री थे. वे दिल्ली में अशोक रोड के पार्टी कार्यालय में रहते थे. एक शाम पत्रकार संजय बरागटा उनसे मिलने पहुंचे. नरेंद्र मोदी ने बातचीत में उनकी कमीज़ की पॉकेट में रखे 'इलेक्ट्रॉनिक नोट पैड' को देखा, मोदी ने उत्सुकतावश पूछा, नया "ई-नोट पैड" लाये हैं क्या?  उस समय देश में ई-नोट पैड नए-नए आये थे, इलेक्ट्रॉनिक नोट पैड हाथ में लेते ही बोले अच्छा अपग्रेडड वर्जन है, संजय बरागटा चौंक गए. लोग इलेक्ट्रॉनिक नोट पैड के बारे में कम जानते थे, लेकिन नरेंद्र मोदी तब भी कम्प्यूटर और तकनीक की जानकारी में सबसे आगे रहते थे. 

प्रधानमंत्री का पदभार संभालने के बाद नरेंद्र मोदी ने एडवांस तकनीक के प्रयोग की कक्षा भी लगवाई. सभी अधिकारी भी तकनीक का इस्तेमाल करें इसके लिए जॉइंट सेक्रेटरी स्तर के अधिकारियों से लेकर राज्य स्तर पर भी विभागीय ट्रेनिंग दी गयी.

योजनाओं को भ्रष्टाचार से बचाने के लिए टेक्नोलॉजी की मदद

केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं को भष्टाचार से बचाने के लिए "टेक्नोक्रेट मोदी" ने सीधे तकनीक से जोड़ दिया है. मसलन स्वच्छ भारत योजना के "हर घर टॉयलेट" को 'जियोटेगिग' से जोड़ा गया है, इसमें जिस व्यक्ति के घर में टॉयलेट बनाया जाता है, उस जगह की फोटो खींचकर साइट पर अप लोड की जाती है. फ़ोटो अपनी जिओ लोकेशन के साथ अपलोड होती है, इससे टॉयलेट कहीं बना और फ़ोटो कहीं ओर की हो ऐसा कर पाना नामुमकिन हो गया.

सरकारी कामकाज के अतिरिक्त रोजमर्रा में भी नरेंद्र मोदी तकनीक का बखूबी प्रयोग करते हैं. बात उनके पीएम बनने से पहले की है वे 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे. अहमदाबाद में अपना मत डालने के बाद उन्होंने मोबाइल से सेल्फी ली. तब देश में सेल्फी शब्द कम लोगों ने सुना था, लेकिन मोदी ने बताया कि नई तकनीक के इस्तेमाल में वे पीछे नहीं रहते हैं. आज देश का युवा सेल्फी का दीवाना है.

गुजरात में पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी को आपने एम्फिबियस प्लेन यानी पानी से उड़ान भरने और उतरने में सक्षम विमान की शुरुआत करते देखा होगा. भारत में इस तकनीक के प्लेन के पहली बार प्रयोग की शुरुआत भी मोदी ने ही की है. बुलेट ट्रेन की तकनीक को भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही देश में ला रहे हैं. इससे सफर और सुगम बनेगा.

स्पेस टेक्नोलॉजी या सेटेलाइट का इस्तेमाल सरकार के हर काम में दिखने लगा है. रेल लाइन बिछाना हो, नई सड़क का निर्माण हो, पाइप लाइन बिछानी हो, ऑप्टिकल फायबर की लाइन डालनी हो या मोबाइल टावर लगाना हो, सेटेलाइट तकनीक के ज़रिए मार्ग और जगह तय की जा रही है. अब जमाना तकनीक का है, "टेक्नोक्रेट मोदी" कहते हैं तकनीक सभी को बराबर आंकती है. इसकी नज़र में, न कोई अमीर है, ना कोई गरीब और न कोई वीआईपी है. इसलिए तकनीक का  जितना ज्यादा इस्तेमाल होगा, समाज और राष्ट्र में समानता का भाव उतना और मजबूत होगा.

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