पाकिस्तान में पीने के पानी के साथ बाढ़ का खतरा! भारत सरकार ने बना लिया 'मास्टर प्लान', जानें अब क्या होगा
भारत सरकार ने दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी पीने के पानी की झील पर बैराज (डैम) बांधकर पाकिस्तान को पीने के साफ पानी के लिए मोहताज करने का फैसला लिया है. इस फैसले से सूखा और बाढ़ दोनों का खतरा बढ़ गया है.

Pahalgam Terror Attack: पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार के उठाए कड़े कदमों से पाकिस्तान बिलबिला रहा है. सिंधु जल संधि स्थगित करने के बाद पाकिस्तान बैचेन है क्योंकि भारत की 3 बड़ी नदियों से पाकिस्तान को मिलने वाला पानी अब रुक गया है. ऐसे में अब वासर झील के पानी को लेकर भी भारत सरकार ने बड़ा फैसला लिया है, जिससे पाकिस्तान में पीने के पानी के साथ साथ बाढ़ का खतरा मंडराएगा. भारत सरकार ने दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी पीने के पानी की झील पर बैराज (डैम) बांधकर पाकिस्तान को पीने के साफ पानी के लिए मोहताज करने का फैसला लिया है.
वूलर झील पर बैराज बनने से पाकिस्तान को क्या खतरा?
बांदीपोरा में स्थित साउथ एशिया की मीठे पानी की सबसे बड़ी झील वूलर झील है. इस झील से होते हुए झेलम का पानी पाकिस्तान जाता है. जबकि, सिंधु नदी का एक हिस्सा भी इस झील से होकर जाता है. 199 वर्ग किमी में ये झील सोपोर से लेकर बांदीपोरा तक फैली हुई है. यहां का पानी बारामूला से होते हुए पाकिस्तान पहुंचता है. वूलर बैराज बनाने के बाद पाकिस्तान को जा रहा पानी रुक जाएगा, इससे पाकिस्तान ने सूखे जैसी स्थित हो जाएगी. इसके अलावा जब बारिश होगी और भारत बैराज खोलेगा तो पाकिस्तान का बड़ा हिस्सा बाढ़ की चपेट में आ जाएगा.
पिछले 45 सालों में क्यों नहीं बन पाया इस झील पर डैम?
साल 1980 से इस पर बैराज बनाने की कोशिश हुई है, एक हिस्सा बन भी गया, लेकिन अभी तक बांध पूरा नहीं बन पाया है क्योंकि तब पाकिस्तान ने इसपर आपत्ति जताई थी. इसके बाद 1990 में भी बैराज पूरा करने की कोशिश की थी, लेकिन आतंकवाद चरम पर होने से सफलता नहीं मिली. इसके बाद साल 2004 में भी बैराज का काम शुरू हुआ लेकिन पूरा नहीं हो सका. इसके बाद 2012 में फिर से बैराज को पूरा करने की कोशिश हुई तो आतंकियों ने IED लगाकर बैराज को उड़ा दिया था.
भारत ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान को एक भी बूंद पानी नहीं जाने दिया जाएगा. अब संधि रद्द होने के बाद वूलर बैराज का काम पूरा करने का रास्ता साफ है. इस ट्रीटी के रद्द होने से पाकिस्तान में बाढ़ और सूखा दोनों का खतरा होगा.
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Source: IOCL





















