'युद्ध की सोच बदल गई...', ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने दिखाया भारत की सैन्य एकता का दम, पढ़िए राजनाथ सिंह ने क्या कुछ कहा
Rajnath Singh Operation Sindoor: रक्षा मंत्री ने कहा कि आज के दौर में तकनीक, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा एक-दूसरे से गहराई से जुड़ी हैं. उन्होंने बताया कि सरकार, उद्योग व अन्य अब साथ मिलकर रक्षा क्षेत्र में काम कर रहे हैं.

नई दिल्ली में बुधवार (22 अक्टूबर) को आयोजित एक कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना की सराहना करते हुए कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की सैन्य एकता और समन्वय का बेहतरीन उदाहरण है. उन्होंने कहा कि इस अभियान ने दिखा दिया कि भारत किसी भी खतरे या चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है. राजनाथ सिंह ने कहा- 'इस ऑपरेशन ने युद्ध की परिभाषा ही बदल दी है.'
युद्ध का रूप बदल चुका है- राजनाश सिंह
रक्षा मंत्री ने कहा कि अब युद्ध केवल सीमाओं तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि तकनीक और साइबर दुनिया में भी लड़ा जा रहा है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने सेनाओं को आधुनिक बनाने और मजबूत करने के लिए कई ऐतिहासिक कदम उठाए हैं. उन्होंने बताया कि मुख्य रक्षा अध्यक्ष (Chief of Defence Staff) का पद बनाना तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल का अहम फैसला था. उन्होंने कहा- 'इसका परिणाम हमें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में साफ दिखा, जब भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया.'
सिविल-मिलिट्री फ्यूजन पर जोर
इस कार्यक्रम में राजनाथ सिंह ने लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) राज शुक्ला की किताब 'Civil-Military Fusion as a Metric of National Power & Comprehensive Security' का विमोचन किया. उन्होंने कहा कि सिविल-मिलिट्री फ्यूजन (नागरिक और सैन्य क्षेत्र का मेल) सिर्फ नीति नहीं बल्कि भारत की राष्ट्रीय शक्ति बढ़ाने का रास्ता है. इससे नई तकनीकों और नवाचार को बढ़ावा मिलता है, जिससे देश आत्मनिर्भर बनता है.
भारत बन रहा रक्षा निर्माण का केंद्र
रक्षा मंत्री ने कहा कि आज के दौर में तकनीक, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा एक-दूसरे से गहराई से जुड़ी हैं. उन्होंने बताया कि सरकार, उद्योग, स्टार्टअप और शोध संस्थान अब साथ मिलकर रक्षा क्षेत्र में काम कर रहे हैं. कभी भारत रक्षा उपकरणों का बड़ा आयातक हुआ करता था, लेकिन अब वह तेजी से रक्षा निर्माण केंद्र के रूप में उभर रहा है. राजनाथ सिंह के अनुसार, 'दस साल पहले भारत का रक्षा उत्पादन लगभग 46,000 करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर 1.51 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जिसमें से 33,000 करोड़ रुपये का योगदान निजी क्षेत्र का है.' इस मौके पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, थलसेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे.
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