दिल्ली पुलिस का जवान कोरोना संक्रमित, डीसीपी क्वारंटाइन तो जवान अब गेस्ट हाउस में रुकेंगे
पुलिस बैरक हॉलनुमा कमरे होते हैं जिनमें 10 से 12 पुलिसकर्मी साथ रुकते हैं. दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए लिया फैसला.

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिसकर्मियों को भी कोरोना वायरस घेरता जा रहा है. कुछ पुलिसकर्मी इस गंभीर बीमारी की चपेट में आ चुके हैं तो वहीं कुछ कोरोना के संदिग्ध की श्रेणी में रखे गए हैं. इनके अलावा हर जिले से सैकडों की संख्या में पुलिसकर्मी होम क्वारंटाइन के लिए भेजे गए हैं. यह महामारी चारों तरफ तेजी से फैल रही है. इसे देखते हुए पुलिस अधिकारी भी अपने स्तर पर लगातार एहतियातन कदम उठा रहे हैं.
गेस्ट हाउस और होटल को आईसोलेशन वार्ड बनाने की भी तैयारी, साउथवेस्ट डीसीपी भी गए क्वारंटाइन में
पुलिस सूत्रों की माने तो सफदरजंग एंक्लेव थाने में तैनात एएसआई की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद से साउथ वेस्ट जिले के डीसीपी को भी क्वारंटाइन में भेज दिया गया है. असल में पीड़ित एएसआई 32 पुलिसकर्मियों के संपर्क में आया था. इस वजह से उन्हें भी क्वारंटाइन किया गया है. पुलिस सूत्रों का कहना है कि द्वारका डिस्ट्रिक में सभी थानाध्यक्षों से यह कहा गया है कि वे अपने अपने इलाकों में होटल और गेस्ट हाउस का बंदोबस्त करें ताकि भविष्य में उनका इस्तेमाल आइसोलेशन वार्ड के तौर पर किया जा सके. वहां पर पुलिसकर्मियों के ठहरने की व्यवस्था हो सके.
बड़ी संख्या में संवेदनशील जगहों पर तैनात हैं पुलिसकर्मी
दिल्ली पुलिस के जवान बड़ी संख्या में कोरोना के चलते जारी किए गए लॉकडाउन का पालन कराने में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं. केवल कालोनियों में या बाजारों में ही नहीं बल्कि अस्पतालों में भी पुलिसकर्मी ड्यूटी दे रहे हैं. यह कोरोना वायरस के संक्रमण की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है. ऐसे में कुछ पुलिसकर्मी भी कोरोना की चपेट में आए हैं जिसकी वजह से न केवल पुलिसकर्मी ही बल्कि उनके परिजन और सहकर्मी भी कहीं न कहीं कोरोना की जद तक पहुंच चुके हैं. इसीलिए उन्हें भी क्वारंटाइन किया गया है. दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने यह फैसला लिया है कि बैरक खाली कराए जाएं.
असल में बैरक में वे पुलिसकर्मी रहते हैं जो दिल्ली से बाहर के राज्यों के रहने वाले हैं और दिल्ली पुलिस में नौकरी करते हैं. इसके अलावा कुछ पुलिसकर्मी ऐसे भी होते हैं जो रहते तो दिल्ली में ही हैं लेकिन उनका घर थानों से या जिस शाखा में वे तैनात हैं वहां से काफी दूर पड़ता है. उन्हें भी बैरक में ठहरने की अनुमति दे दी जाती है. इसके अलावा यह भी होता है कि जिस शाखा या थाने में बैरक होता है, उसमें रहने वाले पुलिसकर्मी उसी थाने के हो ऐसा जरूरी नहीं है. कई पुलिसकर्मी ऐसे भी हैं जो किसी और जिला या इकाई में तैनात हैं. लेकिन पहले से ही उन्हें उस बैरक में बेड अलॉट हो.
सोशल डिस्टेंसिंग के नज़रिए से सही नहीं है बैरक
बैरक एक हॉल नुमा कमरा होता है जिसमें 10 से 12 पलंग डले होते हैं. पुलिसकर्मी उसी में रहते हैं और वहीं अपने सामान की पेटी रखते हैं. ऐसे में कोरोना जैसे माहौल में बैरक एक सुरक्षित जगह न होने के चलते अब पुलिसकर्मियों के लिए गेस्ट हाउस में कमरों की व्यवस्था की गई है. इसके अलावा कई थानों के एसएचओ ने बैरक में रहने वाले उन पुलिस कर्मियों जो उस थाने में तैनात नहीं हैं. उनसे यह कहा है कि वे अपने यूनिट के अधिकारियों से सम्पर्क करें ताकि उनके गेस्ट हाउस में ठहराने का बंदोबस्त किया जा सके.
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