Monkeypox: मंकीपॉक्स की पहचान के लिए भारतीय कंपनी ने बनाई RT-PCR किट, 1 घंटे में संक्रमण का चलेगा पता
Monkeypox RT PCR Kit: चार जीन आरटी-पीसीआर किट में पहला व्यापक ऑर्थोपॉक्स ग्रुप में वायरस का पता लगाता है, दूसरा और तीसरा मंकीपॉक्स और चेचक वायरस को अलग करता है.
RT-PCR-Based Kit For Detection of Monkeypox: दुनियाभर में मंकीपॉक्स के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. अब तक 20 से अधिक देशों में ये बीमारी फैल चुकी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक मंकीपॉक्स (Monkeypox) के लगभग 200 मामलों की अब तक पुष्टि हो चुकी है. इस बीच अच्छी खबर ये है कि एक भारतीय प्राइवेट हेल्थ कंपनी ने मंकीपॉक्स वायरस का पता लगाने के लिए रियल-टाइम RT PCR किट बनाने की घोषणा की है.
भारतीय प्राइवेट हेल्थ डिवाइस कंपनी ट्रिविट्रान हेल्थकेयर ने शुक्रवार को मंकीपाक्स यानी आर्थोपॉक्सवायरस वायरस का पता लगाने के लिए एक रियल-टाइम आरटी-पीसीआर (RT-PCR) किट विकसित करने की घोषणा की है. ट्रिविट्रॉन हेल्थकेयर ने बताया है कि उनकी रिसर्च एंड डेवलपमेंट टीम ने मंकीपॉक्स वायरस का पता लगाने के लिए एक आरटी-पीसीआर आधारित किट विकसित की है.
मंकीपॉक्स की पहचान के लिए RT-PCR किट
ट्रिविट्रॉन की मंकीपॉक्स रियल-टाइम पीसीआर किट चार रंग फ्लोरोसेंस पर आधारित किट है. ये किट एक ट्यूब में चेचक और मंकीपॉक्स के बीच अंतर कर सकती है. कंपनी का कहना है कि इसमें 1 घंटे का समय लगता है. चार जीन आरटी-पीसीआर किट में पहला व्यापक ऑर्थोपॉक्स ग्रुप में वायरस का पता लगाता है, दूसरा और तीसरा मंकीपॉक्स और चेचक वायरस को अलग करता है.
दुनिया के कई देशों में तेजी से बढ़ रहे मामले
उधर, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के अधिकारी ने शुक्रवार को कहा था कि भारत गैर-स्थानिक देशों में बढ़ते संक्रमण को देखते हुए तैयार है. हालांकि भारत में अब तक मंकीपॉक्स का कोई भी मामला सामने नहीं आया है. अमेरिका (America) ने शुक्रवार को मंकीपॉक्स के 9 मामलों की पुष्टि की थी. अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ऑस्ट्रिया, इज़राइल और स्विट्जरलैंड सहित कई और देशों में भी मंकीपॉक्स के मामलों की रिपोर्ट की गई है.
मंकीपॉक्स के लक्षण?
यूरोप के देशों में मंकीपॉक्स (Monkeypox) के ज्यादा मामले देखे जा रहे हैं. गौरतलब है कि मंकीपॉक्स प्राइमेट (Primate) और अन्य जंगली जानवरों में पैदा होता है. अधिकांश रोगियों में बुखार, शरीर में दर्द, ठंड लगना और थकान का कारण बनता है. गंभीर मामलों वाले मरीजों के चेहरे, हाथों और शरीर के अन्य हिस्सों पर चकत्ते और घाव विकसित होते हैं.
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