भगवान विष्णु पर टिप्पणी से नाराज... मस्जिद पर सुनवाई में ऐसा कह देते जज तो? CJI गवई को लेकर वकील के गुस्से पर क्या बोले पूर्व जज काटजू?
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू ने कहा कि ब्रिटिश कोर्ट में जज बहुत कम बोलते हैं और दलीलें सुनते हैं. कोर्टरूम का माहौल शांत और स्थिर होना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने सलाह दी है कि जजों को सुनवाई के दौरान ज्यादा टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए. चुप होकर दलीलें सुननी चाहिए. उन्होंने यह बात मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण की कोर्ट में हुई जूता फेंकने की कोशिश की घटना पर कही है. उन्होंने कहा कि जज कोर्ट में अनावश्यक टिप्पणियां करते हैं और फिर ऐसी घटनाओं को आमंत्रित करते हैं. मार्कंडेय काटजू ने यह भी कहा कि अगर मस्जिद से जुड़े मामले में जज ऐसा कह देते तो क्या होता.
मार्कंडेय काटजू ने कहा है कि कोर्टरूम में की गई अनावश्यक टिप्पणियों की वजह से ऐसी घटनाएं होती हैं. मार्कंडेय काटजू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के जरिए इस मामले पर प्रतिक्रिया दी है. पोस्ट में मार्कंडेय काटजू ने कहा कि वह सीजेआई बी आर गवई के साथ वकील के इस अशोभनीय आचरण की पूरी तरह निंदा करते हैं, लेकिन कोर्ट में जजों का ज्यादा बोलना ऐसी घटनाओं को आमंत्रित करता है.
उन्होंने कहा, 'मैं सीजेआई बी आर गवई की तरफ जूता उछालने की कोशिश किए जाने की घटना की निंदा करता हूं, लेकिन सीजेआई ने मूर्ति को रिस्टोर करने की मांग वाली याचिका पर टिप्पणी करके खुद इस घटना को आमंत्रित किया है. उन्होंने खजुराहो मंदिर में भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति को रिस्टोर किए जाने की मांग वाली याचिका पर कहा था- आप कहते हैं कि आप भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त हैं. तो जाओ और भगवान से कहो कि कुछ करें. जाओ उनसे प्रार्थना करो.'
मार्कंडेय काटजू ने पोस्ट में आगे लिखा, 'ये टिप्पणी पूरी तरह से अनुचित और अनावश्यक थी, जिसका मामले के कानूनी मुद्दों से कोई लेना-देना नहीं था. जजों को कोर्टरूम में कम बोलना चाहिए और धर्मोपदेश, प्रवचन या लेक्चर नहीं देने चाहिए. अगर कोई जज मस्जिद जुड़ी याचिका पर सुनवाई करे और ऐसा कुछ कहे तो क्या होगा...'
मार्कंडेय काटजू ने पोस्ट में आगे अपने एक आर्टिकल का लिंक शेयर किया, जो उन्होंने इस मुद्दे पर लिखा है. इसमें उन्होंने कहा, 'जो जज बहुत ज्यादा बोलता है, वो बेसुरा बाजा होता है. काटजू ने इंग्लैंड के लॉर्ड चांसलर सर फ्रांसिस बेकॉन को कोट करते हुए लिखा, 'जज का काम कोर्ट में सुनना होता है न कि बोलना और फिर जो उचित लगे वो निर्णय देना.'
मार्कंडेय काटजू ने ब्रिटिश कोर्ट का अपना अनुभव भी शेयर किया. उन्होंने कहा कि वहां की अदालतों में एकदम शांति होती है और जज चुप होकर सुनवाई करते हैं और वकील भी कम आवाज में दलीलें देते हैं. जब जरूरी हो तभी जज वकील से सवाल करते हैं वरना वह पूरी सुनवाई के दौरान चुप रहते हैं. कोर्ट का माहौल ऐसा होना चाहिए- शांति और स्थिरता.'
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Source: IOCL
























