महाराष्ट्र: सत्तासीन होने के बाद भी बदली नहीं है शिवसेना, अब भी जारी है हिंसा की सियासत
शिवसेना में हिंसा की सियासत अभी भी जारी है.सत्ता में रहने के बावजूद शिवसेना में बिल्कुल भी बदलाव नहीं आया है.

मुंबई: शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे भले ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए हों, लेकिन उनकी पार्टी ने पुराने तौर तरीके अभी भी नहीं छोड़े हैं. शिव सैनिक अब भी हिंसा करने से बाज नहीं आते. हाल ही में महाराष्ट्र के विदर्भ में दो ऐसी वारदातें हुईं जो कि बताती हैं कि ठाकरे की शिवसेना अब भी हिंसा की राजनीति में यकीन रखती है और सत्तासीन पार्टी होने के बावजूद उसके तेवरों में कोई नरमी नहीं आई है.
उद्धव ठाकरे को लेकर लिखी गईं पोस्ट से खफा थे शिव सैनिक
महाराष्ट्र के वणी इलाके में शिव सैनिकों की भीड़ ने दो दुकानों को अपना निशाना बनाया. इन दुकानों में घुसकर शिव सैनिकों ने जमकर तोड़फोड़ की और सब कुछ तहस-नहस कर दिया. दुकानदारों के साथ गाली गलौच की गई और उन्हें डराया धमकाया गया. ये शिव सैनिक सोशल मीडिया पर उद्धव ठाकरे, शरद पवार और राहुल गांधी को लेकर लिखी गईं पोस्ट से खफा थे.
कोरोना संक्रमण को रोक पाने में असफल होने पर की गई थी टिप्पणी
राज्य में कोरोना के संक्रमण को रोक पाने में असफल होने को लेकर इन नेताओं पर टिप्पणी की गई थी. 26 मई को गुस्साए शिव सैनिकों की भीड़ कथित तौर पर पूर्व शिवसेना विधायक विश्वास नांदेकर की अगुवाई में निकली और 2 दुकानों को अपना निशाना बनाया. एक दुकान मोबाईल फोन बेचने वाले विवेक पांडे की थी और दूसरी जूस सेंटर चलाने वाले सतीश पिंपले की. इस तोड़फोड़ के पहले शिव सैनिकों ने पुलिस थाने में जाकर दोनों के खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज कराया. तोड़फोड़ की वारदात के बाद पुलिस ने शिवसेना नेता नांदेकर को हिरासत में ले लिया.
पहली बार नहीं हुई है घटना
ये कोई पहली बार नहीं है कि ठाकरे सरकार के आने के बाद शिव सैनिकों ने बेधड़क होकर किसी पर हमला किया हो. पिछले साल ठाकरे के सीएम बनने के कुछ दिनों बाद ही मुंबई के वडाला इलाके में भी शिव सैनिकों ने कुछ ऐसा ही किया. एक शख्स जिसने कि उद्धव ठाकरे के खिलाफ फेसबुक पर पोस्ट डाली थी, शिव सैनिक उसके घर पहुंच गए. उस शख्स को घर से निकाल कर पीटा गया और उसके बाद जबरन उसका सिर मुंडवाया गया. पहले पुलिस ने भुक्तभोगी की शिकायत नहीं ली, लेकिन जब मामले ने सियासी रंग ले लिया तब पुलिस ने शिव सैनिकों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया. कुछ घंटों में ही सभी शिव सैनिकों की जमानत हो गई.
शिवसेना की छवि हमेशा से रही है आक्रामक
शिवसेना की इमेज हमेशा से एक आक्रामक और हिंसा में यकीन रखने वाली पार्टी की रही है. भूतकाल में ये पार्टी दक्षिण भारतियों, उत्तर भारतियों, कम्युनिस्टों और मुसलिमों के खिलाफ हिंसा को लेकर खबरों में रही है. पार्टी की छवि एक कट्टर हिंदुत्व वादी पार्टी की बन गई थी, लेकिन पिछले साल नवंबर में जब शिवसेना राज्य की महाविकास आघाडी की सरकार में शामिल हुई तो उसने हिंदुत्व पर नरमी दिखाते हुए सेकुलर शब्द को आत्मसात कर लिया.
माना जाने लगा कि शिवसेना बदल रही है, पार्टी कट्टरता की जगह सहिष्णुता अपना रही है. उद्धव ठाकरे के बयानों और उनके फैसलों से ये नजर भी आ रहा था, लेकिन जमीनी स्तर पर उनकी सोच प्रतिबिंबित नहीं हो रही. संगठन में निचले स्तर के शिव सैनिक अब भी पुराने तौर तरीकों में ही यकीन रखते हैं और पार्टी के विरोध में उठने वाली आवाज को दबाने के लिये हिंसक हो उठते हैं.
लोगों के अभिव्यक्ति के अधिकार पर अतिक्रमण कर रही है शिवसेना?
कोरोना से जुड़े आंकड़े जिस तरह से महाराष्ट्र में बढ़ रहे हैं और जिस तरह से ये राज्य कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है, उसको लेकर न केवल बीजेपी जैसी विपक्षी पार्टियां ठाकरे सरकार को घेर रहीं हैं बल्कि सोशल मीडिया पर भी सरकार की काफी खिंचाई हो रही है. अब सरकार की ओर से पुलिस को निर्देश दिये गये हैं कि अगर कोई सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ भ्रामक टिप्पणी करता है तो उसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाना चाहिये.
सियासी हलकों में इसका मतलब यही निकाला जा रहा है कि ठाकरे सरकार अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों को दबाने की कोशिश कर रही है और लोगों के अभिव्यक्ति के अधिकार पर अतिक्रमण कर रही है.
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