'ब्रिटिश अधिकारी के स्वागत के लिए लिखा गया था जन गण मन', बीजेपी सांसद के बयान पर मचा बवाल
बीजेपी नेता विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी ने कहा कि वंदे मातरम को अधिक महत्व दिया जाना चाहिए और वंदे मातरम और जन गण मन दोनों का दर्जा समान है.

कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी के एक बयान ने बवाल मचा दिया है. उनका दावा है कि देश का राष्ट्रगान- जन गण मन, 'ब्रिटिश अधिकारी का स्वागत करने के लिए लिखा गया था.' उनके इस दावे पर कांग्रेस नेता और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियंक खरगे ने गुरुवार (6 नवंबर, 2025) को प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि यह आरएसएस का एक और वॉट्सऐप मैसेज है.
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी ने यह बयान उत्तर कन्नड़ जिले के होन्नावर में एक कार्यक्रम के दौरान दिया है. यह कार्यक्रम वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था. बीजेपी नेता कागेरी ने कहा कि वंदे मातरम को अधिक महत्व दिया जाना चाहिए और वंदे मातरम और जन गण मन दोनों का दर्जा समान है.
उन्होंने कहा, 'मैं इतिहास के बारे में बात नहीं करना चाहता. वंदे मातरम को राष्ट्रगान बनाए जाने की जोरदार मांग थी, लेकिन हमारे पूर्वजों ने वंदे मातरम के साथ जन गण मन को भी स्वीकार किया, जो ब्रिटिश अधिकारी के स्वागत के लिए रचा गया था. हम उसे मानते और गाते आ रहे हैं.'
विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी ने कहा कि वंदे मातरम का देश के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान सदैव प्रेरणास्रोत रहा है. उन्होंने कहा, 'इसके 150 साल पूरे होने के मौके पर यह गीत हर किसी तक पहुंचना चाहिए- स्कूलों, कॉलेजों, युवाओं और आम जनता तक.'
विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी के बयान पर प्रियंक खरगे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया है. उन्होंने लिखा, 'बीजेपी सांसद कागेरी अब कहते हैं कि राष्ट्रगान ब्रिटिश है. यह बकवास है. यह आरएसएस का एक और व्हाट्सऐप मैसेज है.'
उन्होंने कहा कि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने 1911 में ‘भारत भाग्य विधाता’ की रचना की थी, जिसकी पहली पंक्ति बाद में ‘जन गण मन’ बनी. यह गीत 27 दिसंबर 1911 को कोलकाता में कांग्रेस अधिवेशन में पहली बार गाया गया था, न कि किसी ब्रिटिश राजा के सम्मान में.
खरगे ने कहा, 'टैगोर ने 1937 और 1939 में स्पष्ट किया था कि यह गीत ‘भारत के भाग्य विधाता’ की स्तुति करता है, न कि जॉर्ज पंचम, जॉर्ज षष्ठम या किसी और जॉर्ज की.' उन्होंने कहा, 'सांसद ने कहा है कि वह इतिहास में नहीं जाना चाहते, लेकिन मैं आग्रह करता हूं कि भाजपा और आरएसएस के हर नेता, कार्यकर्ता और स्वयंसेवक को इतिहास में लौटकर आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गेनाइज़र के संपादकीय पढ़ने चाहिए- ताकि समझ सकें कि संविधान, तिरंगे और राष्ट्रगान के प्रति अनादर की आरएसएस की लंबी परंपरा रही है. यह वायरस ठीक किया जाना चाहिए.'
पत्र सूचना कार्यालय (PIB) के अनुसार, 2025 में बंकिमचंद्र चटर्जी के लिखे वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे हो रहे हैं. माना जाता है कि यह गीत 7 नवंबर 1875 को अक्षय नवमी के अवसर पर रचा गया था.
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Source: IOCL






















