आखिरकार हो गया फैसला, कमलनाथ होंगे मध्य प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री, विधायक दल के नेता चुने गए
कमलनाथ मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री होंगे. भोपाल में कांग्रेस दल की विधायक दल की बैठक में कमलनाथ को विधायक दल का नेता चुना गया.

नई दिल्ली: कमलनाथ मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री होंगे. भोपाल में कांग्रेस दल की विधायक दल की बैठक में कमलनाथ को विधायक दल का नेता चुना गया. इससे पहले गुरुवार को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के घर कई घंटो तक चली बैठक हुई, जहां कमलनाथ के नाम पर मुहर लगी. बता दें कि इस बैठक में ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ दोनों मौजूद थे. वहां से बैठक खत्म करने के बाद दोनों नेता वापस भोपाल आए. सूत्रो के मुताबिक कमलनाथ 15 दिसंबर को शपथ लेंगे. हालांकि कल सुबह वह राज्यपाल से मिलेंगे और फिर आधिकारिक रूप से शपथग्रहण का एलान होगा.
कांग्रेस ने कमलनाथ को राज्य के अगले मुख्यमंत्री बनने पर ट्वीट कर बधाई दी.
Our best wishes to Shri @OfficeOfKNath for being elected CM of Madhya Pradesh. An era of change is upon MP with him at the helm. pic.twitter.com/iHJe43AB9v
— Congress (@INCIndia) December 13, 2018
कमलनाथ का सियासी सफर
कमलनाथ कांग्रेस के काफी पुराने नेता हैं. कमलनाथ को संजय गांधी का करीबी माना जाता रहा है. वह संजय गांधी के स्कूली दोस्त हैं. दून स्कूल से शुरू हुई यह दोस्ती काफी लंबी चली और इसी वजह से कमलनाथ ने अपना सर्वस्व कांग्रेस पार्टी की सेवा में लगा दिया. 1980 में कांग्रेस ने उन्हें पहली बार छिंदवारा से टिकट दिया था. इंदिरा गांधी ने उस समय चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि मैं नहीं चाहती आप कमलनाथ को वोट करें बल्कि मैं कहती हूं कि आप मेरे तीसरे बेटे को वोट करें.
आदिवासी छिंदवारा से 1980 से पहली बार उन्होंने चुनाव जीता और उसके बाद ही इस इलाके की तस्वीर बदलने में लग गए. वह छिंदवारा से 9 बार विधायक चुने गए हैं. उनके सियासी सफर में ढलान तब आया जब संजय गांधी और इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई. इसके बाद भी वह पार्टी के प्रति हमेशा वफादार रहे. 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगों में उनका नाम भी आया था लेकिन उनकी भूमिका सज्जन कुमार या जगदीश टाइटलर जैसे नेताओं की तरह स्पष्ट नहीं हो सकी.
उनके सियासी सफर में सिख विरोधी दंगे और हवाला कांड दो ऐसे वाकये हैं जिसने उनकी सियासी सफर और व्यक्तित्व पर सवाल उठाया. 1996 में जब कमलनाथ पर हवाला कांड के आरोप लगे थे तब पार्टी ने छिंदवाड़ा से उनकी पत्नी अलकानाथ को टिकट देकर उतारा था, वो जीत गई थीं लेकिन अगले साल हुए उपचुनाव में कमलनाथ को हार का मुंह देखना पड़ा था. वे छिंदवाड़ा से केवल एक ही बार हारे हैं.
महत्वपूर्ण मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली
कमलनाथ ने कांग्रेस सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी संभाली है. यूपीए सरकार में पर्यावरण और वन मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली. साल 1995 से 1996 तक केंद्र सरकार में कपड़ा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे. 2004 से 2009 तक केंद्र सरकार में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली. 2009 में यूपीए-टू में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई. 2001 से 2004 तक कांग्रेस पार्टी के महासचिव रहे.
इस बार भी जीत में निभाई बड़ी भूमिकाज्योतिरादित्य सिंधिया की जगह राहुल गांधी ने कमलनाथ को इस साल 26 अप्रैल को मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया. यहां कांग्रेस साल 2003 से सत्ता से बाहर थी. इस बार भी उनपर पार्टी ने भरोसा दिखाया और वह उस पर खड़े उतरे. ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कमलनाथ ने राज्य में विपक्षी कांग्रेस की किस्मत फिर से पलटने में कामयाबी पाई और कांग्रेस की सरकार बनाई. राज्य में इस बार कांग्रेस को 230 सीटों में कांग्रेस को 114 सीटों पर जीत मिली जबकि बीजेपी को 109 सीटों पर कामयाबी मिली.
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Source: IOCL























