ऑडियो सैंपल के जरिए कोरोना ट्रैकिंग की रोचक तकनीक, मुंबई के नेस्को ग्राउंड कोविड सेंटर में चल रहा है प्रयोग
दुनिया भर में कोरोना का कहर बरपाया हुआ है. लगातार बढ़ते मामलेे चिंता का विषय बन गये है. वहीं संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए तमाम तरह के प्रयास जारी है. ऐसे में अब वॉइस सैंपल के जरिए कोरोना के ट्रैकिंग की प्रक्रिया मुंबई में शुरू की गई है.
नई दिल्ली: दुनिया भर में कोरोना का कहर बना हुआ है पश्चिमी देशों में फिर एक लहर है भारत में भी उत्तर भारत में माहौल बिगड़ रहा है. मुंबई में बीमारी कंट्रोल में है इसके बाद भी नित नए प्रयोग करोना कि रोकथाम के लिए हो रहे हैं इसी कड़ी में वॉइस सैंपल के जरिए कोरोना के ट्रैकिंग की प्रक्रिया मुंबई में शुरू की गई है.
मुंबई के नेस्को ग्राउंड में बने कोविड सेंटर में ऑडियो सैंपल के जरिए कोरोना को ट्रैक करने की प्रक्रिया का प्रयोग जारी है. इजरायली कंपनी के अंग बीएमसी के गठजोड़ से इसे शुरू किया गया है और अगर प्रयोग सफल रहा तो 40 सेकंड में मरीज के हालात से लेकर संक्रमण के परिणाम सामने आएंगे जो की बीमारी की रोकथाम के लिए बेहद जरूरी होंगे. भारत में कुल 4 भाषाओं में हिंदी अंग्रेजी मराठी गुजराती में सैंपलिंग की प्रक्रिया नेस्को के ग्राउंड में हो रही है.
ऑडियो सैंपल के जरिए कोरोना के मरीज की इंटेंसिटी की जांच की जा रही है
कोरोना की जांच के कई तकनीकी बाजार में मौजूद है. आरटी-पीसीआर रैपिड एंटीजन, एंटीबॉडी टेस्ट तमाम तरीकों के बीच में जो सबसे ज्यादा प्रचलन में है वह आरटी-पीसीआर है. अब एक नई तकनीक जो वैश्विक तौर पर चर्चा में है उसका प्रयोग मुंबई में भी किया जा रहा है. ऑडियो सैंपल के जरिए कोरोना के मरीज की इंटेंसिटी की जानकारी लेना एबीपी न्यूज़ रिपोर्टर अजय दुबे ने खुद मरीज बनके अपना ऑडियो सैंपल दिया जानिए कैसे काम करती है ये तकनीक.
सबसे पहले जांच कराने के लिए आए व्यक्ति की सूचना ली जाती है. जिसके बाद उसके मेडिकल कंडीशन से जुड़े तमाम सवालों पर जानकारी ली जाती है. फिर लंग्स और ऑडियो इंपैक्ट को जानने के लिए 1 से लेकर 20 तक गिनती कराई जाती है. 5 बार खांसी कराई जाती है और फिर डाटा कलेक्ट कर के रख लिया जाता है. अभी यह प्रयोगात्मक तौर पर है सफल परिणाम आने में समय है. इस प्रयोग में नेस्को ग्राउंड में ऐसी कुल 2000 लोगों के सैंपल लिए गए हैं एडमिट होने के तीसरे दिन और उसके बाद डिस्चार्ज होने पर तो कुल 4000 ऑडियो सैंपल है जो मेडिकल रिपोर्ट के संग इजरायली कंपनी को भेजे गए है.
कोरोना के मरीजों के गले और फेफड़े में आ जाती है सूजन
इसराइल में इस प्रयोग की चर्चा के बाद मुंबई में बीएमसी ने तय किया कि सबसे पहले नेस्को ग्राउंड में इसे प्रयोग में लाएंगे जहां डॉक्टर नीलम डीन नेस्को कोविड सेंटर के नेतृत्व में यह प्रक्रिया शुरू की गई. नीलम बताती हैं कि जो भी कोरोना का मरीज होता है उसके गले में उसके फेफड़े में सूजन हो जाती है. बलगम होता है ऐसे में जब वह कुछ बोलता है गले की सूजन और लंच के प्रभाव से उसकी ऑडियो इंपैक्ट पर असर पड़ता है. इसी ऑडियो को कैप्चर करके आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए यह पता लगाने की कोशिश रहेगी कि इस कैटेगरी कैसी है अभी जो सैंपल इकट्ठे किए गए हैं दिसंबर में उसके परिणाम आएंगे जिसके बाद और बड़े पैमाने पर इस पर काम किया जाएगा.
तकनीक सफल रही तो 40 सेकंड में मरीज पकड़ में आएगा
अब एक सवाल यह भी बनता है कि जब वैक्सीन की चर्चा इतनी गरम है उम्मीद है कि जल्दी बाजार में वैक्सीन आएगी तो इस तकनीक जो कि अभी सफल भी नहीं है के प्रयोग का क्या मतलब है? डॉक्टर नीलम स्पष्ट कहती हैं कि अभी बिल्कुल नहीं कहा जा सकता कि कितनी जल्दी वैक्सीन आएगी वह भी एक प्रयोग के स्तर पर है ऐसे में जरूरी है कि ट्रैकिंग की प्रक्रिया को लगातार सुधारा जाए अगर यह तकनीक सफल रही तो 40 सेकंड में मरीज पकड़ में आएगा जिसके बाद इस बीमारी के रोकथाम में बड़ी जीत मिलेगी.
ऑडियो सैंपल के टेस्ट के बाद पीसीआर होगा. जिसके बाद ऑडियो सैंपल और केस स्टडीज मरीजों की इजरायली कंपनी को भेजकर दिसंबर महीने के अंत तक रिजल्ट मिलने के बाद अगला कदम लिया जाएगा.
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