भारत का युवा आखिर क्यों लड़ रहा रूस की जंग? दिल्ली में परिजनों का प्रदर्शन, सरकार से कर दी ये मांग
दिल्ली के जंतर-मंतर पर कई परिवारों ने सरकार से गुहार लगाई है कि रूस में उनके बच्चों को जबरन रूसी सेना में भर्ती करा दिया गया है, उन्हें जल्द से जल्द वापस भारत लाया जाए.

दिल्ली के जंतर मंतर पर सोमवार (03 नवंबर, 2025) को उन परिवारों की आवाज गूंजी, जिनके बच्चे रूस के युद्ध के मैदान में फंसे हुए हैं. राजस्थान के जयपुर से लेकर पंजाब, हरियाणा और तेलंगाना तक, ऐसे 20 से अधिक परिवार जंतर-मंतर पहुंचे और सरकार से मांग की है कि उनके बच्चों को जल्द से जल्द भारत वापस लाया जाए.
परिवारों ने जंतर मंतर पर गुहार लगाई, 'हमारे बच्चों को वापस लाओ'. दिल्ली के जंतर-मंतर पर सोमवार को देशभर से आए दर्जनों परिवारों ने वहां एकत्र होकर सरकार से गुहार लगाई कि उनके बच्चों को जल्द से जल्द भारत वापस लाया जाए. इन परिवारों का कहना है कि उनके बेटे नौकरी या पढ़ाई के बहाने रूस भेजे गए थे, लेकिन अब वे रूस-यूक्रेन युद्ध के फ्रंटलाइन पर लड़ने को मजबूर हैं.
रूसी सेना में भारतीय युवाओं की जबरन भर्ती
जयपुर, पंजाब, हरियाणा और तेलंगाना जैसे राज्यों से आए परिजनों ने बताया कि बच्चों को विदेश भेजते वक्त कहा गया था कि उन्हें फैक्ट्री में काम या किसी कॉलेज में पढ़ाई करनी है, लेकिन रूस पहुंचने के बाद उन्हें जबरन रूसी सेना में भर्ती कर लिया गया और सीधे युद्ध क्षेत्र में भेज दिया गया.
कई युवकों ने वीडियो कॉल या वॉयस मैसेज के जरिए अपने परिवारों को बताया कि उन्हें हथियार थमा दिए गए हैं और अब वे घर नहीं लौट पा रहे. प्रदर्शन में शामिल परिवारों ने विदेश मंत्रालय और रूसी दूतावास पर यह आरोप लगाया कि अब तक उन्हें केवल 'कोशिश जारी है' जैसी बातें ही सुनाई दे रही है, लेकिन कोई ठोस कदम या परिणाम नजर नहीं आ रहा.
20 से अधिक भारतीय परिवार पीड़ित
एक प्रदर्शनकारी पिता ने कहा, 'हम विदेश मंत्रालय से मिले थे, उन्होंने कहा कि बातचीत चल रही है, लेकिन हमारे बेटे अभी भी जंग में हैं.' जानकारी के मुताबिक, अब तक 20 से अधिक भारतीय परिवार ऐसे मामले लेकर सामने आए हैं. इनमें राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और तेलंगाना के युवा शामिल हैं. कुछ युवकों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि कई से अब तक संपर्क नहीं हो पाया है.
परिवारों का कहना है कि भारतीयों को जान-बूझकर फ्रंटलाइन पर भेजा जा रहा है, क्योंकि वे विदेशी हैं और उनकी जान की कीमत नहीं समझी जा रही. देश में पहले भी जांच एजेंसियों की रिपोर्टों में खुलासा हुआ है कि भारत में सक्रिय एक मानव तस्करी नेटवर्क युवाओं को 'विदेश में नौकरी' या 'उच्च शिक्षा' का लालच देकर रूस भेजता है. वहां पहुंचते ही एजेंट उनके पासपोर्ट और दस्तावेज जब्त कर लेते हैं और उन्हें 'नॉन-कॉम्बैट वर्क' के बहाने रूसी सेना की ट्रेनिंग में डाल देते हैं. CBI ने इस सिलसिले में पहले भी कई गिरफ्तारियां की थीं.

सोशल मीडिया पर कई युवकों का दर्द
सोशल मीडिया पर कुछ युवकों के वीडियो सामने आए हैं जिनमें वे रोते हुए कह रहे हैं, 'हमें फ्रंटलाइन पर भेज दिया गया है, कृपया हमें बचा लीजिए.' इन वीडियो ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. परिवारों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि अगर सरकार ने जल्द कार्रवाई नहीं की तो और जानें जा सकती हैं.
उनका कहना है कि यह सिर्फ 20 परिवारों का मामला नहीं, बल्कि सैकड़ों भारतीय युवाओं का जीवन खतरे में है. जंतर मंतर पर बैठे परिजनों की आंखों में एक ही उम्मीद झलक रही थी कि भारत सरकार जल्द कदम उठाए और उनके बच्चे सुरक्षित वतन लौटें.

भारत सरकार का पीड़ित परिवारों को सांत्वना
भारत सरकार की ओर से विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह रूस के अधिकारियों के संपर्क में है और प्रभावित नागरिकों को जल्द से जल्द वापस लाने की कोशिश की जा रही है. साथ ही नागरिकों को चेतावनी दी गई है कि किसी फर्जी एजेंट या संदिग्ध नौकरी प्रस्ताव के झांसे में न आएं.
परिजनों के लिए अब सिर्फ 'कोशिश जारी है' कहना काफी नहीं है. उनकी यह साफ मांग है कि सरकार ठोस कदम उठाए, रूस में फंसे युवाओं को वापस लाए और उन एजेंटों पर सख्त कार्रवाई करे जिन्होंने भारत के बेटों को युद्ध के मैदान में झोंक दिया.
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Source: IOCL






















