ग्लोबल साउथ में भारत की बड़ी चाल: मुर्मू के अफ्रीकी दौरे से बढ़ेगी रणनीतिक पकड़, प्रोजेक्ट चीता को मिलेगी रफ्तार!
Droupadi Murmu's state visit to Angola and Botswana: राष्ट्रपति मुर्मू 8 से 11 नवंबर तक अंगोला में रहेंगी और इस दौरान वे अंगोला के राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगी.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 8 से 13 नवंबर तक अंगोला और बोत्सवाना के राजकीय दौरे पर रहेंगी. यह पहली बार है जब कोई भारतीय राष्ट्रपति इन दोनों देशों की आधिकारिक यात्रा पर जा रहा है. विदेश मंत्रालय के सचिव (ER) सुधाकर दलेला ने कहा कि यह यात्रा भारत की ‘ग्लोबल साउथ’ नीति के तहत अफ्रीकी देशों से संबंध मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
अंगोला में राष्ट्रपति स्तर की बैठकें
राष्ट्रपति मुर्मू 8 से 11 नवंबर तक अंगोला में रहेंगी और इस दौरान वे अंगोला के राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगी. वे 11 नवंबर को अंगोला की आजादी की 50वीं वर्षगांठ के समारोह में भी शामिल होंगी. अपने कार्यक्रम के तहत वे अंगोला की संसद को संबोधित करेंगी और वहां रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से मुलाकात करेंगी. यह पूरा चरण दोनों देशों के राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत बनाने में मदद करेगा.
बोत्सवाना में इन मुद्दों पर होगी चर्चा
दौरे के दूसरे चरण में राष्ट्रपति मुर्मू 11 से 13 नवंबर तक बोत्सवाना में रहेंगी और वहां के राष्ट्रपति मोकगवीत्सी मासीसी से औपचारिक मुलाकात करेंगी. दोनों नेता तकनीक, ऊर्जा, स्वास्थ्य, फार्मा, रक्षा, निवेश और कृषि जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा करेंगे. राष्ट्रपति मुर्मू बोत्सवाना की नेशनल असेंबली को भी संबोधित करेंगी और कुछ ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक स्थलों का दौरा करेंगी. यह यात्रा भारत और बोत्सवाना के बीच बहु-क्षेत्रीय साझेदारी को और मजबूत करेगी.
भारत आएंगे चीते!
MEA सचिव सुधाकर दलेला ने बताया कि भारत नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के साथ संरक्षण और जैव विविधता के क्षेत्र में पहले से काम कर रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि भारत की बोत्सवाना से इस मुद्दे पर लगातार बातचीत हो रही है और बोत्सवाना ने सहयोग करने की अपनी तत्परता व्यक्त की है. उन्होंने स्पष्ट कहा कि बोत्सवाना से आने वाले चीते बहुत जल्द भारत पहुंच सकते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि यदि अंगोला या बोत्सवाना की ओर से इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट या लाइन ऑफ क्रेडिट की मांग आती है, तो भारत उन प्रस्तावों पर सकारात्मक नजरिए से विचार करेगा, हालांकि अभी तक ऐसा कोई अनुरोध नहीं मिला है.
भारत–अफ्रीका संबंधों में नई मजबूती
विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह यात्रा भारत और अफ्रीका के बीच राजनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक संबंधों को नई दिशा देगी. यह दौरा अफ्रीकी महाद्वीप में भारत की उपस्थिति और भरोसे को मजबूत करेगा. इसके साथ ही यह यात्रा ग्लोबल साउथ में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका को भी और मजबूती प्रदान करेगी.
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