'इन ताकतों को बेनकाब करना होगा', USAID विवाद पर उपराष्ट्रपति धनखड़ का बड़ा बयान
Jagdeep Dhankhar: उपराष्ट्रपति धनखड़ ने भारत की संस्कृति और लोकतंत्र पर बढ़ते खतरों पर चिंता जताई. उन्होंने कहा समय रहते इनका समाधान नहीं किया गया तो देश को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.

USAID Funding Row: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने USAID फंडिंग विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान का हवाला देते हुए कहा कि भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने की साजिश रची जा रही है. इस साजिश को अंजाम देने के लिए भारी मात्रा में पैसा भी दिया गया. धनखड़ ने कहा कि ये देश की संप्रभुता पर हमला है और हमें इसकी जड़ तक जाकर उन लोगों को बेनकाब करना होगा, जिन्होंने लोकतांत्रिक मूल्यों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की.
दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत की पांच हजार साल पुरानी संस्कृति पर मंडराते खतरों को लेकर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो स्थिति इतनी गंभीर हो जाएगी कि इसे संभालना मुश्किल हो जाएगा. उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत के सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं जो समाज को अंदर से कमजोर कर रही हैं.
जनसंख्या असंतुलन पर भी जताई चिंता
धनखड़ ने "नॉन-ऑर्गेनिक डेमोग्राफिक डिस्लोकेशन" यानी जनसंख्या असंतुलन पर गंभीर चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि ये एक साजिशपूर्ण प्रक्रिया के तहत हो रहा है जिससे भारत में कुछ क्षेत्रों में जनसंख्या अनुपात तेजी से बिगड़ रहा है. इसके अलावा उन्होंने जबरन धर्मांतरण को भी एक बड़ा खतरा बताया. उन्होंने कहा कि संविधान हर व्यक्ति को धर्म की स्वतंत्रता देता है, लेकिन अब इसे लालच और पैसे के दम पर बदला जा रहा है जिससे समाज में अस्थिरता पैदा हो रही है.
गुरुकुल परंपरा को पुनर्जीवित करने पर दिया जोर
ध्यान (मेडिटेशन) को राष्ट्रीय संस्कृति का हिस्सा बनाने की वकालत करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि ये आत्म-ज्ञान और आत्म-विकास का अहम साधन है. उन्होंने बताया कि प्राचीन काल में नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालयों में शिक्षा का उच्च स्तर था, लेकिन विदेशी आक्रमणों की वजह से हमारी सांस्कृतिक धरोहर नष्ट हो गई. उन्होंने जोर दिया कि शिक्षा और गुरुकुल परंपरा को फिर से महत्व देने की जरूरत है ताकि आने वाली पीढ़ियों को सही मार्गदर्शन मिल सके.
लोकतंत्र को मजबूत बनाने पर धनखड़ का जोर
धनखड़ ने कहा कि पिछले दस सालों में भारत ने अपनी खोई हुई पहचान वापस पाई है. सरकार की योजनाओं की वजह से आम नागरिकों के जीवन में बड़ा बदलाव आया है. हर घर में बिजली, शौचालय, इंटरनेट और स्वच्छ जल की सुविधा दी जा रही है. उन्होंने कहा कि समाज में कमियां जरूर होती हैं, लेकिन उन पर चर्चा और सुधार की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है. लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, विचार-विमर्श और खुली बहस को प्रोत्साहित करना होगा.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश विरोधी ताकतों का सामना करना ही राष्ट्रधर्म है. उन्होंने सभी भारतीयों से आह्वान किया कि वे इन खतरों को पहचानें और देश को सशक्त बनाने में अपना योगदान दें. साथ ही ये भी कहा कि यदि हम अपनी संस्कृति और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करेंगे तो भारत निश्चित रूप से विश्व मंच पर नई ऊंचाइयों को छुएगा.
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL






















